Elon Musk की Starlink सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस को भारत की हरी झंडी!

डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) ने Starlink को ग्लोबल मोबाइल परनसल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस प्रदान कर दिया है

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 6 जून 2025 17:39 IST
ख़ास बातें
  • Starlink ने इंडिया में GMPCS लाइसेंस हासिल किया
  • OneWeb‑Jio‑SES के साथ अब तीन में शामिल
  • ट्रायल स्पेक्ट्रम अगले 15-20 दिन में आवंटित होने के कगार पर है

Starlink अब भारत में तीसरी कंपनी बन चुकी है जिसे DoT से सैटकॉम लाइसेंस मिला है

Photo Credit: Reuters

सैटेलाइट‑बेस्ड इंटरनेट के फ्यूचर की ओर एक बड़ा कदम रखते हुए, Elon Musk की Starlink को भारत के दूरसंचार मंत्रालय से सैटकॉम (Satcom) सर्विसेज लाइसेंस मिल गया है। यह India में Eutelsat‑OneWeb और Reliance Jio‑SES के बाद तीसरी कंपनी है जिसे यह मंजूरी मिली है। इससे Starlink को कमर्शियल सेवाएं शुरू करने का रास्ता मिल गया है, खासकर उन इलाकों में जहां पारंपरिक नेटवर्क पहुंच नहीं पाता। हाल ही में Starlink ने जोर दिया था कि स्पेक्ट्रम को एडमिनिस्ट्रेटिव रूप से एलोकेट करना चाहिए, न कि ऑक्शन में बेचना चाहिए और भारत सरकार ने इसका पक्ष भी लिया था, जिसपर Reliance Jio और Bharti Airtel ने आपत्ती भी जताई थी।

PTI के हवाले से NDTV की रिपोर्ट बताती है कि Starlink ने आखिरकार भारत में अपनी सर्विसेज के लिए DoT का लाइसेंस प्राप्त कर लिया है। लाइसेंस लंबे समय से ठंडे बस्ते में था और एक समय में ऐसा लग रहा था कि इसके लिए Elon Musk की कंपनी को और अधिक इंतजार करना होगा। Starlink ने 2022 में इंडिया में कमर्शियल एंट्री के लिए एग्रीमेंट की शुरुआत की थी, लेकिन नैशनल सिक्योरिटी चिंताओं के चलते इसे लंबा इंतजार करना पड़ा।

अब डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकॉम (DoT) ने इसे ग्लोबल मोबाइल परनसल कम्युनिकेशन बाय सैटेलाइट (GMPCS) लाइसेंस प्रदान कर दिया है और लगभग 15-20 दिनों में ट्रायल स्पेक्ट्रम आवंटित करने का प्रोसेस भी शुरू होगा। 

Starlink अब भारत में तीसरी कंपनी बन चुकी है जिसे DoT से सैटकॉम लाइसेंस मिला है। इसके पहले Eutelsat-OneWeb और Jio‑SES को लाइसेंस मिला था। यह फैसला भारतीय सैटलाइट इंटरनेट मार्केट में मजबूत प्रतिस्पर्धा और रफ्तार लाएगा।

हालिया रिपोर्ट में बताया गया था कि Starlink ने कथित तौर पर जोर दिया था कि स्पेक्ट्रम को एडमिनिस्ट्रेटिव रूप से एलोकेट करना चाहिए, न कि ऑक्शन में बेचना चाहिए। सरकार ने भी उसके पक्ष में झुकाव दिखाया और Reliance Jio‑SES vs Airtel‑OneWeb के बीच स्पेक्ट्रम फीस स्ट्रक्चर को लेकर बहस तेज हुई। वहीं Reliance Jio और Bharti Airtel ने इसे 'असमान फीस' बताया और अपनी आपत्तियां दर्ज करवा दी हैं। 
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Starlink का फोकस खासतौर पर रिमोट और अंडरसर्व्ड क्षेत्रों पर है, जहां पारंपरिक नेटवर्क पहुंच नहीं पाता। लो-अर्थ ऑर्बिट (LEO) सैटेलाइट्स से तेज और लो‑लेटेंसी इंटरनेट कनेक्टिविटी मिल सकेगी, जिससे ग्रामीण इंडिया में डिजिटल कनेक्टिविटी को बेहतरी मिल सकती है।

 

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