एलियंस की तलाश में दुनियाभर के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं। हर कोई इस कोशिश में लगा है कि एलियंस से सबसे पहले उसका संपर्क हो जाए। लेकिन भविष्य में ऐसा होने पर क्या करना होगा? एलियंस हमसे बात करने की कोशिश करें, तो उन्हें क्या जवाब देना होगा? रिसर्चर्स का कहना है कि इस बारे में अभी कोई नहीं जानता और यह एक बड़ी समस्या है। यही वजह है कि 35 साल में पहली बार पॉलिसी एक्सपर्ट्स की टीम और साइंटिस्ट एकसाथ आए हैं। सभी मिलकर ‘एलियन-कॉन्टैक्ट प्रोटोकॉल' (alien contact protocol) का एक सेट स्थापित करने पर काम कर रहे हैं, ताकि ET (Extra Terrestrial) के अचानक सामने आने पर उन्हें रेस्पॉन्ड किया जा सके।
लाइव साइंस की
रिपोर्ट के अनुसार, स्कॉटलैंड में सेंट एंड्रयूज यूनिवर्सिटी के एक कंप्यूटर साइंटिस्ट जॉन इलियट हाल में स्थापित किए गए ‘SETI डिटेक्शन हब' के कोऑर्डिनेटर हैं। यह संगठन नए एलियन कॉन्टैक्ट प्रोटोकॉल तैयार करेगा। इलियट के अनुसार, नया रिसर्च ग्रुप इस बात पर फोकस करेगा कि हमें एलियंस को किस तरह से प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
एलियन कॉन्टैक्ट प्रोटोकॉल को सबसे पहले साल 1989 में ‘सर्च फॉर एक्स्ट्राटेरेस्ट्रियल इंटेलिजेंस इंस्टीट्यूट' (SETI) कम्युनिटी ने स्थापित किया था। करीब एक दशक पहले इसे रिवाइज किया गया था। हालांकि जब ऐसे कम्युनिकेशंस पर रेस्पॉन्स देने की बात आती है तो यह प्रोटोकॉल काफी अस्पष्ट है। इस प्रोटोकॉल में फिलहाल सिर्फ खोजों को लोगों तक शेयर करने पर फोकस किया गया है।
लेकिन जिस तरह से नई खोजें हमारे सामने आ रही हैं, वह पृथ्वी से परे जीवन की संभावनाओं के संकेत देती हैं। चाहे मंगल ग्रह पर पानी की मौजूदगी की खोज हो या फिर पृथ्वी जैसे एक्सोप्लैनेट जहां जीवन मुमकिन हो सकता है। इन खोजों ने पृथ्वी से बाहर जीवन होने के विचार को और मजबूत किया है।
SETI का नया डिटेक्शन हब एलियंस को मैसेज भेजने पर फोकस करने के बजाए, उन मैसेजों को स्कैन करेगा, जिनमें संभावना हो कि वो एलियंस की ओर से भेजे गए हैं। उन सिग्नलों का मतलब तलाशा जाएगा। उसके असर को देखा जाएगा और प्रोटोकॉल तैयार किया जाएगा, ताकि भविष्य में ऐसे मैसेजों का जवाब दिया जा सके। जॉन इलियट ने कहा कि हम नहीं जानते कि हमें कभी ET से कोई मैसेज मिलेगा। हम यह भी नहीं जानते कि ऐसा कब होने वाला है। पर हम जानते हैं कि हम खराब तैयारी का जोखिम नहीं उठा सकते।