पृथ्वी से 200 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर करीब आईं दो आकाशगंगाएं, ऐसा है नजारा

एकसाथ इन आकाशगंगाओं को ‘Arp 298’ कहा जाता है। यह नाम इन्‍हें खगोलविद् ‘हाल्टन Arp’ के नाम से मिला है।

पृथ्वी से 200 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर करीब आईं दो आकाशगंगाएं, ऐसा है नजारा

Photo Credit: ESA/Hubble/NASA

इस इमेज को कैप्‍चर करने के लिए हबल स्‍पेस टेलीस्‍कोप ने कैमरे के 7 फ‍िल्‍टर्स का इस्‍तेमाल किया।

ख़ास बातें
  • NGC 7469 आकाशगंगा में बड़ा ब्‍लैक होल और तारों का समूह भी है
  • एकसाथ इन आकाशगंगाओं को ‘Arp 298’ कहा जाता है
  • यह नाम इन्‍हें खगोलविद् ‘हाल्टन Arp’ के नाम से मिला है
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नासा (NASA) के हबल स्पेस टेलीस्कोप ने पृथ्वी से लगभग 200 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक-दूसरे से इंटरेक्‍ट करने वालीं दो आकाशगंगाओं को कैमरे में कैद किया है। यह ‘पेगासस तारामंडल' में स्थित हैं। अपने इंस्टाग्राम पेज पर शेयर की गई इमेज में नासा ने एक बड़ी चक्राकार आकाशगंगा (NGC 7469) और इसके छोटे साथी (IC 5283) को दिखाया है। ‘NGC 7469' आकाशगंगा काफी बड़ी है। यह एक विशाल ब्‍लैक होल और तारों के समूह की चमकदार रिंग को भी रिप्रजेंट करती है। 

वैसे एकसाथ इन आकाशगंगाओं को ‘Arp 298' कहा जाता है। यह नाम इन्‍हें खगोलविद् ‘हाल्टन Arp' के नाम से मिला है। उन्‍होंने अजीबोगरीब आकाशगंगाओं की एक लिस्‍ट बनाई है, जिसमें ‘Arp 298' भी शामिल है। इसे एटलस कहा जाता है। एटलस में अजीबोगरीब और अद्भुत आकाशगंगाओं की एक गैलरी है। इन सभी की संरचनाएं काफी अलग हैं। नासा ने बताया है कि Arp 298 में जो दो आकाशगंगाएं आपस में इंटरेक्‍ट कर रही हैं, उनमें से NGC 7469 आकाशगंगा बड़ी है। इसके पास विशाल ब्‍लैक होल और चमकदार रिंग वाले तारों का एक समूह भी है। 

इस तरह की आकाशगंगाओं का अध्ययन वैज्ञानिक यह समझने के लिए करते हैं कि उनके केंद्र में सुपरमैसिव ब्लैक होल कैसे तारे बना सकता है। इस इमेज को कैप्‍चर करने के लिए हबल स्‍पेस टेलीस्‍कोप ने अपने दो इंस्‍ट्रूमेंट्स- वाइड फील्‍ड कैमरा 3 और एडवांस्‍ड कैमरा फॉर सर्वे के 7 फ‍िल्‍टर्स का इस्‍तेमाल किया। नासा का कहना है कि यह पहला सिस्‍टम होगा, जिसे जेम्‍स वेब टेलिस्‍कोप द्वारा देखा जाएगा। 
 


जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप का यह प्रोजेक्‍ट NASA, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी और कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी ने मिलकर शुरू किया है। इस टेलीस्‍कोप को 25 दिसंबर को एरियन-5 रॉकेट से लॉन्च किया गया था। अंतरिक्ष में छोड़े जाने के बाद इस टेलीस्‍कोप ने धीरे-धीरे खुद को खोलना शुरू किया। अब यह अपने अंतिम चरण में है। हालांकि इस टेलीस्‍कोप को पूरी तरह स्‍टार्ट होने में अभी कुछ समय लगेगा। तब तक हबल टेलीस्कोप अपना काम करता रहेगा। गौरतलब है कि जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप अंतरिक्षत में हबल टेलीस्‍कोप की जगह लेगा। 

फ‍िलहाल हबल स्पेस टेलीस्कोप अंतरिक्ष में सबसे शक्तिशाली टेलीस्कोप है। पिछले 30 साल से इसने खगोलविदों को बड़ी जानकारियां दी हैं। काफी समय हो जाने की वजह से इसे बदलने की जरूरत महसूस की गई थी। हबल प्रोजेक्‍ट को पूरा करने में नासा और ESA (यूरोपियन स्‍पेस एजेंसी) दोनों की भूमिका थी। 
 
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