31 हजार साल पहले धरती पर रहती थी यह महिला, कहां से आई इसकी फोटो? जानें

140 से अधिक साल बाद रिसर्चर्स ने उस गलती को ठीक किया है। बताया है कि वह खोपड़ी 17 साल की एक महिला की थी।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 29 सितंबर 2022 14:19 IST
ख़ास बातें
  • वैज्ञानिकों ने एक खोपड़ी का पुनर्निर्माण किया है
  • 140 साल पहले गुफा में दफन मिली थी यह खोपड़ी
  • 31 हजार साल पहले पाषाण काल की महिला की खोपड़ी थी

वैज्ञानिकों की टीम ने तकनीक की मदद से खोपड़ी का पुनर्निर्माण किया है।

अगर मैं कहूं कि इस खबर में आप जिस तस्‍वीर को देख रहे हैं, वह महिला आज से 31 हजार साल पहले पृथ्‍वी पर रहती थी। क्‍या इस बात पर यकीन किया जा सकता है? आपके मन में यह खयाल नहीं आ रहा कि 31 हजार साल पहले धरती पर रहने वाली किसी महिला की तस्‍वीर कैसे ली जा सकती है? यह सब मुमकिन हुआ है विज्ञान से। आइए जानते हैं इस तस्‍वीर की कहानी और समझते हैं कि हजारों साल पहले धरती पर रहने वाली महिला के बारे में कैसे पता चला।   

बात साल 1881 की है। पुरातत्वविदों ने एक गुफा में दफन एक मानव की खोपड़ी का पता लगाया। यह जगह अब चेक गणराज्य में एक गांव है। उस समय रिसर्चर्स ने खोपड़ी को लगभग 31,000 साल पहले का बताया और कहा कि यह एक पुरुष था। हालांकि नई स्‍टडी बताती है कि रिसर्चर्स पाषाण युग के उस शख्‍स के बारे में गलत थे।

140 से अधिक साल बाद रिसर्चर्स ने उस गलती को ठीक किया है। बताया है कि वह खोपड़ी 17 साल की एक महिला की थी। यह महिला अपर पुरापाषाण काल (लगभग 43,000 से 26,000 वर्ष) के बीच धरती पर रहती थी। टीम ने ‘द फॉरेंसिक फेशियल अप्रोच टू द स्कल म्लादेस 1' नाम की एक नई ऑनलाइन किताब के रूप में अपने निष्कर्ष प्रकाशित किए हैं। इसमें बताया गया है कि वैज्ञानिकों ने ‘यूरोप में पाए जाने वाले सबसे पुराने होमो सेपियन्स में से एक' के लिंग को कैसे पुनर्वर्गीकृत किया। 

ब्राजील के ग्राफिक्स विशेषज्ञ और पुस्तक के सह-लेखकों में से एक सिसेरो मोरेस ने लाइव साइंस को बताया कि जब खोपड़ी का विश्लेषण किया गया था, तो उसने एक पुरुष की ओर इशारा किया था। बाद के अध्ययनों में और अन्य लोगों के साथ खोपड़ी की तुलना की गई, तो पता चला कि खोपड़ी एक महिला की है। 

मोरेस और उनकी टीम ने खोपड़ी का पुनर्निर्माण किया। टीम ने आधुनिक मनुष्यों के लगभग 200 सीटी स्कैन और यूरोपीय, अफ्रीकी और एशियाई समेत विभिन्न जनसंख्या समूहों से संबंधित सांख्यिकीय डेटा का उपयोग किया। तकनीक की मदद से उस खोपड़ी को एक शक्‍ल के रूप में तैयार किया गया। इस तरह खोपड़ी की डिजिटल इमेज बनकर तैयार हुई। ध्‍यान रहे कि चेहरे को आधुनिक मनुष्‍यों के डेटा के हिसाब से तैयार किया गया। ऐसे में खोपड़ी की कई चीजें एकदम समान नहीं हो सकती हैं। 
 

 

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