पूरे ब्रह्मांड में हो सकती है हीरों की बारिश, वैज्ञानिकों की यह स्‍टडी आपको चौंका देगी

दरअसल, नेपच्यून और यूरेनस को लेकर यही माना जाता है कि ये हमारे सौर मंडल के सबसे बाहरी ग्रह हैं, जहां बर्फ ही बर्फ है। इसका मतलब है कि पूरे ब्रह्मांड में हीरे की बारिश हो सकती है।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 5 सितंबर 2022 18:18 IST
ख़ास बातें
  • यूरेनस और नेपच्यून में होने वाली बारिश को किया रिक्र‍िएट
  • इसके बाद ही वैज्ञानिकों ने यह सुझाव दिया है
  • इस प्रयोग में एक साधारण प्‍लास्टिक की अहम भूमिका रही

यूरेनस और नेपच्यून जैसे बर्फीले ग्रहों के अंदर एक्‍स्‍ट्रीम कंडीशंस की वजह से विलक्षण कैमिस्‍ट्री और स्‍ट्रक्‍चरल ट्रांजिशन हो सकते हैं। यानी वहां हीरे की या सुपरआयोनिक पानी की बारिश हो सकती है।

हीरा कह लें या डायमंड, सुनकर ही दिमाग में दुनिया सबसे महंगी चीज की फीलिंग आने लगती है। हीरा सबसे कठोर चीजों में से एक है और एक हीरे को हीरा ही काट सकता है। इसकी जूलरी सब के बस की बात नहीं, इसीलिए हीरा अनमोल है। अगर आपसे कहा जाए कि पूरे ब्रह्मांड में हीरों की बारिश हो सकती है, तो बेशक आपको यकीन नहीं होगा। लेकिन ऐसा हो सकता है। दरअसल, हमारे ब्रह्मांड के दो सबसे सुदूर ग्रहों यूरेनस और नेपच्यून में होने वाली अजीबोगरीब बारिश को रिक्रिएट करने के बाद वैज्ञानिकों ने यह सुझाव दिया है। खास यह है कि इस बारिश को रिक्रिएट करने के लिए उन्‍होंने एक आम प्‍लास्टिक को इस्‍तेमाल किया। 

एक न्‍यूज एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने पहले यह सिद्धांत दिया था कि अत्यधिक उच्च दबाव और तापमान, बर्फ की विशाल सतह से हजारों किलोमीटर नीचे हाइड्रोजन और कार्बन को ठोस हीरे में बदल देते हैं। अब साइंस एडवांस में पब्लिश नई स्‍टडी ने इस मिश्रण में ऑक्सीजन को डाला और पाया कि ‘डायमंड रेन' सोच से ज्‍यादा सामान्य हो सकता है।

दरअसल, नेपच्यून और यूरेनस को लेकर यही माना जाता है कि ये हमारे सौर मंडल के सबसे बाहरी ग्रह हैं, जहां बर्फ ही बर्फ है। इसका मतलब है कि पूरे ब्रह्मांड में हीरे की बारिश हो सकती है। कैसे? यही इस रिसर्च में समझाया गया है। इसमें कहा गया है कि यूरेनस और नेपच्यून जैसे बर्फीले ग्रहों के अंदर एक्‍स्‍ट्रीम कंडीशंस की वजह से विलक्षण कैमिस्‍ट्री और स्‍ट्रक्‍चरल ट्रांजिशन हो सकते हैं। यानी वहां हीरे की या सुपरआयोनिक पानी की बारिश हो सकती है। 

इसको लेकर किए गए एक्‍सपेरिमेंट की जानकारी देते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि रिसर्चर्स ने शॉक-कंप्रेसिंग पॉलीइथाइलीन टेरेफ्थेलेट (पीईटी) प्लास्टिक द्वारा C और H2O के एक स्टोइकोमेट्रिक मिश्रण की जांच की और सीटू एक्स-रे जांच की। रिसर्चर्स ने ~3500 से ~6000K तक तापमान पर प्रेशर के बीच में हीरे के बनने को ऑब्‍जर्व किया। C और H2O में देखी गई डिमिक्सिंग से पता चलता है कि बर्फ के विशाल भंडार के अंदर हीरे की बारिश ऑक्सीजन द्वारा बढ़ाई जाती है। रिसर्च अनुमान देती है कि अगर बर्फ के इन विशाल ग्रहों पर एक्‍स्‍ट्रीम कंडीशंस की वजह से विलक्षण कैमिस्‍ट्री और स्‍ट्रक्‍चरल ट्रांजिशन हो जाए, तो पूरे ब्रह्मांड में हीरे की बारिश हो सकती है। 

 

 

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