सूरज में एक बार फिर से बड़ा धमाका हुआ है जिसने धरती पर सौर तूफान का खतरा पैदा कर दिया है। सूर्य की सतह पर कुछ गड्ढे मौजूद हैं जिनमें ज्वालामुखी की तरह विस्फोट होते रहते हैं। इन विस्फोटों से बहुत भारी ऊर्जा पैदा होती है जिसकी लहर सूर्य से निकल कर सौरमंडल की ओर चलने लगती है। इसे सोलर फ्लेयर या सौर तूफान कहा जाता है। सौर तूफानों की घटनाएं अब काफी ज्यादा देखने को मिलने लगी हैं। पृथ्वी पर इनका व्यापक प्रभाव देखने को मिल रहा है। अब एक और सौर तूफान का अलर्ट जारी किया गया है।
अक्टूबर की शुरुआत सूर्य में एक बड़े धमाके के साथ हुई है। अंतरिक्ष एजेंसी नासा (
Nasa) ने एक भयंकर सौर तूफान की सूचना दी है। नासा का कहना है कि सूर्य में लगभग 24 घंटों के भीतर ही दो बड़े विस्फोट हुए हैं जिनके कारण दो सोलर फ्लेयर पैदा हुए हैं। इनमें से एक के लिए कहा गया है कि यह X क्लास सोलर फ्लेयर है जो कि शक्तिशाली सौर तूफान माना जाता है। इसे X7.1 क्लास में वर्गीकृत किया गया है। यह 1 अक्टूबर को 6:20 p.m. (EDT) पर सूर्य से उठा है।
Spaceweather.com के अनुसार, सूर्य से उठा यह तूफान इसकी 25वीं साइकल के सबसे बड़े सौर तूफानों में से एक है। इससे बड़ा सौर तूफान इससे पहले 14 मई को उठा था जो कि X8.7 क्लास का था। इस तरह के सौर तूफानों से पृथ्वी पर रेडियो फ्रिक्वेंसी पूरी तरह से नष्ट हो सकती है। यह एक धधकते सनस्पॉट से उठा है जिसका नाम AR3842 है। इसी सनस्पॉट में 30 सितंबर को भी एक विस्फोट हुआ था। यानी इसमें एक के बाद एक लगातार 2 धमाके हुए हैं।
बताए गए सौर तूफान का असर पृथ्वी पर 4 अक्टूबर तक पहुंचने का अनुमान लगाया गया है। इस तरह के सौर तूफानों से हाई फ्रिक्वेंसी (HF) रेडियो सिग्नल को नुकसान पहुंचता है। ये पृथ्वी पर व्यापक असर दिखाते हैं। जब ये सौर तूफान पृथ्वी से टकराते हैं तो इसके मेग्नेटिक फील्ड को हिलाकर रख देते हैं। जिससे कि न केवल ऑरोरा बनते हैं, बल्कि यहां के नेविगेशन सिस्टम, पावर ग्रिड्स, और यहां तक कि सैटेलाइट कम्युनिकेशन को भी प्रभावित करते हैं।
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