वैज्ञानिकों ने पता लगाया दूर के ग्रहों पर धूल के बादल कैसे बनते हैं!

स्पिजर टेलीस्कोप ने ब्राउन ड्वार्फ्स के वातावरण में सिलिका के बादलों को देखा है। हालांकि, इसका प्रमाण बहुत अधिक ठोस नहीं है।

विज्ञापन
गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 9 जुलाई 2022 19:45 IST
ख़ास बातें
  • चट्टान को भाप बनने के लिए बहुत ज्यादा तापमान चाहिए होता है
  • इसलिए ऐसे बादल केवल ब्राउन ड्वार्फ्स पर ही पाए जा सकते हैं
  • नई स्टडी में शोधकर्ताओं ने ऐसी ही 100 के लगभग खोजों को एक साथ रखा

घटक के भाप बनने का सिद्धांत सिलिका के बादल बनने में भी इस्तेमाल होता है

धरती के वातावरण में तैरने वाले बादल पानी के भाप बनने से बनते हैं। यहां के बादलों का बनना दूसरे ग्रहों से काफी अलग है। वैज्ञानिकों ने इतना तो पता लगा लिया था कि कुछ ग्रहों के बादल सिलिकेट के बने हुए हैं लेकिन वो किन परिस्थितियों में बने हैं, इसका पता अभी तक नहीं लग पाया था। अब, एक नई स्टडी में पता चला है कि धूल से बने बादलों में भी एक समान कारक काम करता है। वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में शोधकर्ताओं ने नासा के रिटायर हो चुके टेलीस्कोप Spitzer Space Telescope द्वारा देखे गए ब्राउन ड्वार्फ्स (Brown dwarfs) को ऑब्जर्व करके एक स्टडी तैयार की है। ये ऐसे खगोलीय पिंड होते हैं जो ग्रह से तो बड़े होते हैं लेकिन तारे से छोटे होते हैं। 

वेस्टर्न यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर और स्टडी के को-ऑथर स्टेनिमिर मेचिव ने कहा कि ब्राउन ड्वार्फ्स और उन सिलिकेट बादलों वाले ग्रहों के वातावरण को समझने के माध्यम से हम पृथ्वी के आकार जितने बाकी ग्रहों के वातावरण को भी समझ सकते हैं। बादल बनने की प्रक्रिया सब जगह एक जैसी रहती है, जिसमें मुख्य घटक गर्म होता है और भाप बनता है। एक बार जब घटक- चाहे वह पानी हो, नमक हो, सल्फर हो या अमोनिया हो, वातावरण में कैद हो जाता है और ठंडा होने लगता है तो बादल बनते हैं। 

यह सिद्धांत सिलिका के बादल बनने में भी इस्तेमाल होता है, चूंकि चट्टान को भाप बनने के लिए बहुत ज्यादा तापमान चाहिए होता है, इसलिए ऐसे बादल केवल ब्राउन ड्वार्फ्स जैसे खगोलीय पिंडों पर ही पाए जा सकते हैं, जो बहुत ज्यादा गर्म होते हैं। शोधकर्ताओं ने ब्राउन ड्वार्फ्स को अपनी स्टडी में शामिल किया है, क्योंकि इनमें से बहुत में गैसीय वातावरण पाया जाता है जैसा कि बृहस्पति का वातावरण है। 

स्पिजर टेलीस्कोप ने ब्राउन ड्वार्फ्स के वातावरण में सिलिका के बादलों को देखा है। हालांकि, इसका प्रमाण बहुत अधिक ठोस नहीं है। नई स्टडी में शोधकर्ताओं ने ऐसी ही 100 के लगभग खोजों को एक साथ रखा और उन्हें ब्राउन ड्वार्फ्स के अलग अलग तापमान के हिसाब से ग्रुप में बांट दिया। इसकी मदद से वह उस लक्षण और तापमान तक पहुंच पाए जिनसे सिलिका के बादल बनते हैं। 

स्टडी के लीड ऑथर जिनेरो सुआरेज ने कहा कि सिलिका के बादलों वाले ब्राउन ड्वार्फ्स को खोजने के लिए उन्होंने Spitzer के डेटा को खंगाला, और उन्हें ये बिल्कुल नहीं पता था कि उन्हें इसमें क्या मिलने वाला है।
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

ये भी पढ़े: , Brown Dwarfs, Spitzer Space Telescope, NASA

द रेजिडेंट बोट । अगर आप मुझे ...और भी

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. 20 हजार वाले Samsung Galaxy A35 5G, Vivo T4 5G और Moto G96 5G जैसे स्मार्टफोन्स पर जबरदस्त डील
  2. Vivo ने लॉन्च किया G3 5G, MediaTek Dimensity 6300 चिपसेट, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
#ताज़ा ख़बरें
  1. Vivo ने लॉन्च किया G3 5G, MediaTek Dimensity 6300 चिपसेट, जानें प्राइस, स्पेसिफिकेशंस
  2. Infinix Hot 60i 5G भारत में हुआ लॉन्च, 6,000 mAh की बैटरी
  3. 20 हजार वाले Samsung Galaxy A35 5G, Vivo T4 5G और Moto G96 5G जैसे स्मार्टफोन्स पर जबरदस्त डील
  4. Ola Electric ने लॉन्च किया S1 Pro Sport, जानें प्राइस, रेंज
  5. Oppo K13 Turbo Pro की भारत में शुरू हुई बिक्री, जानें प्राइस, ऑफर्स
  6. Google Search में AI मोड भारत में हुआ शुरू, जानें कैसे करें उपयोग
  7. Flipkart Freedom Sale: 7 हजार रुपये सस्ता मिल रहा Google का पिक्सल फोन
  8. Lava Blaze AMOLED 2 5G vs iQOO Z10 Lite 5G vs Moto G45 5G: 15 हजार में कौन है बेस्ट
  9. घर के बाहर कूड़े का ढेर लगा है या गंदे हैं सार्वजिक शौचालय तो इस सरकारी ऐप पर करें रिपोर्ट, जल्द मिलेगा समाधान
  10. प्राइवेट टेलीकॉम कंपनियों को टक्कर देगी BSNL, सरकार से मिलेंगे 47,000 करोड़ रुपये
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.