हमारी आकाशगंगा यानी मिल्की-वे (Milky Way) में हर साल तारों का निर्माण होता है। लेकिन एक नई स्टडी ने वैज्ञानिक समुदाय को चौंका दिया है। जर्मनी में वुर्जबर्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों के नेतृत्व में किए गए एक अध्ययन में कहा गया है कि मिल्की-वे में तारों के निर्माण की दर पहले जताए गए अनुमानों से अधिक है। यानी वैज्ञानिक जितना सोचते आए हैं, हर साल उससे ज्यादा तारे जन्म ले रहे हैं। इस स्टडी ने उस सोच को भी खारिज कर दिया है, जिसमें माना जाता है कि तारों का निर्माण एक स्थिर प्रक्रिया है।
एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स में पब्लिश हुई यह स्टडी प्रीप्रिंट सर्वर
arXiv पर मौजूद है। हमारी सहयोगी वेबसाइट ने अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी
नासा के हवाले से लिखा है कि तारों का जन्म धूल के बादलों के भीतर मौजूद गैसों के मिलने से होता है। ये बादल ज्यादातर आकाशगंगाओं में बिखरे हुए हैं। इनका सबसे जाना-पहचाना उदाहरण है ओरियन नेबुला (Orion Nebula)। नासा के मुताबिक बादलों के अंदर टर्बुलेंस होने गांठें बनती हैं और गैस व धूल मिलकर तारों का निर्माण शुरू कर देती है।
जानकारी के अनुसार, इसकी शुरुआत एक प्रोटोस्टार (protostar) से होती है। यह ढहने वाले बादल का गर्म कोर है, जो एक दिन तारा बन जाता है। साइंस अलर्ट के
मुताबिक अभी तक यह माना जाता है कि मिल्की वे यानी हमारी आकाशगंगा हर साल लगभग दो सूर्य के मटीरियल बराबर पेस से तारे पैदा करती है। क्योंकि ये तारे सूर्य की तुलना में बहुत छोटे हैं, इसलिए उम्मीद है कि हर साल लगभग 6 या 7 तारे हमारी आकाशगंगा में जन्म लेते हैं।
लेकिन हालिया अध्ययन कहता है कि सूर्य जितने द्रव्यमान के साथ तारे हर साल 4 से 8 बार विकसित हो रहे हैं। क्योंकि इनका साइज छोटा है, उस हिसाब से हमारी आकाशगंगा को हर साल 10 से 20 तारे पैदा करने चाहिए। हालांकि यह भी एक अनुमान है, लेकिन इसने पिछली थ्योरी को खारिज कर दिया है।