Nasa ने खोज निकाला ‘नर्क’! जल्‍द नजर आएगी जलती दुनिया की पहली झलक

‘55 कैनरी ई’ नाम का ग्रह गर्म लावा के सागरों से ढका हुआ है। इसकी सतह का तापमान बेहिसाब हो सकता है, जो बुध ग्रह के तापमान से भी कई गुना ज्‍यादा हो सकता है।

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प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 2 जून 2022 11:38 IST
ख़ास बातें
  • अगले कुछ हफ्तों में दुनिया दो ऐसे ग्रहों को देख सकती है
  • ये कहने के लिए तो ‘सुपर अर्थ’ हैं, पर किसी ‘नर्क’ से कम नहीं
  • इन्‍हें सुपर अर्थ कहा जाता है

अंतरिक्ष में तैनात दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्‍कोप- जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप इन ग्रहों को सामने ला सकता है।

अगले कुछ हफ्तों में दुनिया दो ऐसे ग्रहों को देख सकती है, जो कहने के लिए तो ‘सुपर अर्थ' हैं, पर किसी ‘नर्क' से कम नहीं हैं। अंतरिक्ष में तैनात दुनिया का सबसे बड़ा टेलीस्‍कोप- जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप इन ग्रहों को सामने ला सकता है। ये दोनों ‘सुपर अर्थ' हमसे 50 प्रकाश वर्ष दूर हैं। इनमें से एक ग्रह का नाम है ‘55 कैनरी ई' (55 Cancri e)। यह ग्रह अपने सूर्य के इतने करीब से चक्‍कर लगाता है कि इसकी सतह बेहद गर्म है। इतनी गर्म की आप इसे आग का गोला भी समझ सकते हैं।  

रिपोर्टों के अनुसार, ‘55 कैनरी ई' अपने तारे से 15 लाख मील से भी कम दूरी पर स्थित है। नासा के मुताबिक, यह दूरी हमारे सूर्य और बुध ग्रह के बीच की दूरी का भी 1/25वां भाग है। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह ग्रह कितना गर्म होगा। माना जाता है कि यह ग्रह गर्म लावा के सागरों से ढका हुआ है। इसकी सतह का तापमान बेहिसाब हो सकता है, जो बुध ग्रह के तापमान से भी कई गुना ज्‍यादा हो सकता है। 

सोचिए अगर पृथ्‍वी अपने सूर्य के इतने करीब होती, जिसमें एक साल का समय कुछ घंटों में ही पूरा हो जाता। इतनी गर्म होती कि महासागर उबल रहे होते और चट्टाने पिघलतीं और बादलों से लावा बरसता। ‘55 कैनरी ई' की स्थिति भी कुछ ऐसी ही है, इसीलिए इसे सुपर अर्थ के नाम पर ‘नर्क' कहना गलत नहीं होगा। नासा का कहना है कि हमारे सौर मंडल में ऐसा कोई ग्रह नहीं है। 

इस ग्रह की कुछ शुरुआती तस्‍वीरें नासा के स्पिट्जर स्पेस टेलीस्कॉप ने भी ली थीं। जो बताती हैं कि ग्रह पर कुछ तो रहस्‍य है। ऐसा इसलिए क्‍योंकि इसकी सबसे गर्म जगह सीधे अपने सूर्य का सामना नहीं करती। नासा के मुताबिक, इसके पीछे एक थ्‍याेरी यह भी हो सकती है कि ग्रह में एक गतिशील वातावरण है, जो गर्मी को पूरे ग्रह में फैला देता है। कुछ वैज्ञानिकों का यह भी मानना है कि ‘55 कैनरी ई' अपने सूर्य का चक्‍कर लगाता है, ताकि दिन और रात हो सके, लेकिन ऐसा शायद नहीं होता। इस ग्रह पर लंबे वक्‍त तक रोशनी रहती है।  

बहरहाल, जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप के जरिए अब इस ग्रह की सच्‍चाई का पता चल सकेगा। इस टेलीस्‍कोप के अगले कुछ हफ्तों में शुरू हो जाने की उम्‍मीद है। माना जा रहा है कि टेलीस्‍कोप का पहला ऑब्‍जर्वेशन इस साल जुलाई के आसपास मिल जाएगा। मौजूदा टेलीस्‍कोप टेक्‍नॉलजी में गैसीय आवरण वाले ग्रहों के मुकाबले चट्टानी ग्रहों को देखना ज्‍यादा कठिन है, लेकिन जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप में लगे पावरफुल मिरर यह काम बखूबी कर सकते हैं। ‘55 कैनरी ई' ग्रह भी चट्टानी है। ऐसे में इसके सच को उजागर करने के लिए जेम्‍स वेब टेलीस्‍कोप तैयार नजर आता है।  
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नासा का कहना है कि शुरुआत में इन ग्रहों के जरिए यह समझा जाएगा कि पृथ्‍वी जैसे चट्टानी ग्रहों का विकास कैसे होता है। इन ग्रहों की जांच से वैज्ञानिकों को पृथ्वी पर दृष्टिकोण बनाने में मदद मिलेगी। यह जानना आसान होगा कि जब पृथ्‍वी गर्म हुआ करती थी, तब वह कैसी रही होगी। 
 
 

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