उत्तराखंड का जोशीमठ (Joshimath) इन दिनों एक बड़ी आपदा झेल रहा है। जोशीमठ शहर धंस रहा है, जिस वजह से यहां के सैकड़ों घरों, दुकानों और होटलों में दरारें आ गई हैं। जिन घरों को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है, वहां रहने वाले लोगों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट किया जा रहा है। जोशीमठ में बने हालात कितने नाजुक हैं, इसका पता भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन यानी इसरो की एक रिपोर्ट से चल रहा है। इसरो ने जोशीमठ का सैटेलाइट ऑब्जर्वेशन करते हुए शुरुआती परिणाम जारी किए हैं। इनसे पता चला है कि जोशीमठ शहर सिर्फ 12 दिनों में लगभग 5 सेंटीमीटर तक धंस गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि जमीन का यह धंसाव जोशीमठ शहर के सेंट्रल पार्ट में हो रहा है।
जोशीमठ की पहचान ज्योतिर्मठ से है। भगवान बदरीनाथ की पूजा शीतकाल में जोशीमठ में ही की जाती है। यह बदरीनाथ और हेमकुंट साहिब जैसे तीर्थ स्थलों के लिए गेटवे का काम भी करता है। विश्वप्रसिद्ध औली भी जोशीमठ के ऊपर बसा हुआ है।
रिपोर्ट के अनुसार, इसरो ने जो जानकारी दी है, सैटेलाइट इमेज पर बेस्ड हैं। ये तस्वीरें कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं। इसरो के मुताबिक, 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच
जोशीमठ शहर तेजी से धंसा है। रिपोर्ट के अनुसार, सेना के हेलीपैड और मंदिर के आसपास के क्षेत्र में यानी सेंट्रल जोशीमठ में मिट्टी तेजी से धंसी है। यह क्षेत्र कुछ दिनों के अंतराल में 5.4 सेमी के आसपास धंस गया है और धंसने की प्रक्रिया का क्षेत्र भी बढ़ गया है। हालांकि अभी यह जोशीमठ शहर के मध्य भाग तक ही सीमित है।
रिपोर्ट के अनुसार, जोशीमठ शहर में यह धंसाव कई वर्षों से हो रहा था, लेकिन इसकी रफ्तार बहुत धीमी थी। रिपोर्ट के अनुसार अप्रैल से नवंबर 2022 के बीच 7 महीने में जोशीमठ शहर 9 सेमी की धीमी रफ्तार से धंसा, लेकिन 27 दिसंबर 2022 से 8 जनवरी 2023 के बीच जोशीमठ शहर तेजी से धंसा है।
जोशीमठ के धंसने की सबसे बड़ी वजह इस इलाके की जियोग्राफी है। पहले आई रिपोर्टों में बताया जा चुका है कि जोशीमठ शहर भूस्खलन से निकले मलबे पर बसा हुआ है। इस वजह से इस क्षेत्र की कैपिसिटी कम है। बीते कुछ वर्षों में शहर तेजी से विकसित हुआ। निर्माण कार्य, नैशनल हाइवे से जुड़े काम और हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट्स की वजह से यहां काफी कंस्ट्रक्शन हुआ है।