कोरोना क्‍यों था इतना खतरनाक, जापानी रिसर्चर्स ने लगाया पता

कोविड-19 को लेकर दुनियाभर में खूब रिसर्च हुई हैं और अब जापानी रिसर्चर्स ने पता लगाया है कि कोविड-19 इतना खतरनाक क्‍यों था।

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Written by IANS, Edited by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 22 अक्टूबर 2024 17:28 IST
ख़ास बातें
  • कोविड-19 को लेकर हुई रिसर्च
  • एक एंजाइम की वजह से वायरस बना खतरनाक
  • जापानी वैज्ञानिकों ने की रिसर्च

वैज्ञानिकों को लगता है कि उनकी रिसर्च से भविष्‍य में इस तरह की बीमार‍ियों के खिलाफ लड़ने में मदद मिलेगी और वैक्‍सीन डेवलप करना भी आसान होगा।

कोविड-19 (कोरोना का एक टाइप) की भयावहता को लोग अभी भूले नहीं हैं। चीन से दुनियाभर में फैली इस महामारी ने लाखों लोगों की जान ली। अर्थव्‍यवस्‍था को गहरी चोट पहुंचाई। लॉकडाउन का दंश झेलने पर मजबूर किया। कोविड-19 को लेकर दुनियाभर में खूब रिसर्च हुई हैं और अब जापानी रिसर्चर्स ने पता लगाया है कि कोविड-19 इतना खतरनाक क्‍यों था। उनका कहना है कि कोविड-19 की वजह बनने वाला कोरोनावायरस 2 ( SARS‑CoV‑2 ) में एक एंजाइम होता है। 

कोबे यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने कहा कि इस स्‍टडी से पता चल सकता है कि सार्स और मेर्स वायरस की तुलना में कोविड-19 अधिक संक्रामक क्यों है? स्‍टडी के दौरान वैज्ञानिकों ने कोविड वायरस में "ISG15" नाम के मोलेक्युलर टैग की भूमिका पर फोकस किया। यह न्यूक्लियोकैप्सिड प्रोटीन को एक-दूसरे से जुड़ने नहीं देता है- यह वायरस को इकट्ठा करने की एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है।

यूनिवर्सिटी के वायरोलॉजिस्ट शोजी इकुओ ने जर्नल ऑफ वायरोलॉजी में एक पेपर में समझाया कि  एंजाइम अपने न्यूक्लियोकैप्सिड से टैग हटा सकता है, जिससे नए एंजाइम को इकट्ठा करने की इसकी क्षमता दोबारा डेवलप हो जाती है। शोजी ने कहा कि नोवल कोरोनावायरस इसी क्षमता की वजह से वह ज्यादा संक्रामक होते हैं।

सार्स और मेर्स वायरस से उलट कोविड बहुत तेजी से लगभग पूरी दुनिया में फैल गया था। कम आबादी वाला अंटार्कटिका भी इसकी चपेट में आया। कोविड वायरस में म्‍यूटेशन होते रहे और यह लोगों को  संक्रमित करता रहा। हालांकि बड़े पैमाने पर वैक्‍सीनेशन से इसका असर सीमित हो गया। 

वैज्ञानिकों को लगता है कि उनकी रिसर्च से भविष्‍य में इस तरह की बीमार‍ियों के खिलाफ लड़ने में मदद मिलेगी और वैक्‍सीन डेवलप करना भी आसान होगा। रिसर्चर्स का मानना है कि अगर हम ISG15 टैग को हटाने वाले वायरल एंजाइम को काम करने से रोक पाएं तो नई एंटीवायरल दवाएं डेवलप की जा सकती हैं। 
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