ISRO रचेगी इतिहास! यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ लॉन्च करेगी Proba-3 मिशन, जानें क्यों है इतना खास?

मिशन के दौरान सूरज को पहली बार इतने करीब से देखा जाएगा।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 24 नवंबर 2024 12:07 IST
ख़ास बातें
  • पहला ऐसा मिशन होगा जिसमें 2 स्पेसक्राफ्ट एकसाथ एक सटीक गठन में उड़ेंगे।
  • यह सूर्य के वायुमंडल की स्टडी में मदद करेगा।
  • सूरज को पहली बार इतने करीब से देखा जाएगा।

मिशन को ISRO के PSLV-XL रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा।

भारत की स्पेस रिसर्च संस्था ISRO अगले महीने की शुरुआत में एक नया मिशन लॉन्च करने की तैयारी में है। इसरो इस मिशन को यूरोपियन स्पेस एजेंसी (ESA) के साथ मिलकर लॉन्च करेगी। इसे Proba-3 नाम दिया गया है। मिशन में 2 स्पेसक्राफ्ट शामिल होंगे जिन्हें भारत के सतीश धवन स्पेस सेंटर, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। Proba-3 अपने आप में एक बेहद खास मिशन है। आइए जानते हैं यह क्यों महत्वपूर्ण है और मिशन के पीछे दोनों स्पेस एजेंसियों का क्या मकसद है। 

ISRO यूरोपियन स्पेस एजेंसी के साथ भागीदारी में नए स्पेस मिशन Proba-3 के लॉन्च की तैयारी में है। UNI के अनुसार, मिशन को 4 दिसंबर को लॉन्च करने की तैयारी है। यह मिशन इसलिए खास है क्योंकि यह पहला ऐसा मिशन होगा जिसमें 2 स्पेसक्राफ्ट एकसाथ एक सटीक गठन (precision formation) में उड़ेंगे। इस मिशन का मकसद है सूर्य के बारे में डिटेल स्टडी करना। यह मिशन एक कारनामा होगा क्योंकि यह सूर्य के वायुमंडल की स्टडी में मदद करेगा जिसे कोरोना (corona) कहते हैं। 

इस मिशन में दो स्पेसक्राफ्ट शामिल किए जाएंगे। एक का नाम ऑकल्टर स्पेसक्राफ्ट (OSC) है जोकि 200 किलोग्राम का होगा। जबकि दूसरे का नाम कोरोनाग्राफ स्पेसक्राफ्ट (CSC) है जो कि 340 किलोग्राम का होगा। इसमें लॉन्च के समय OSC स्पेसक्राफ्ट ऊपर की तरफ रहेगा जबकि CSC इसके नीचे मौजूद रहेगा। CSC में एक खास ईंधन भरकर इसे रवाना किया जाएगा ताकि जब यह स्पेस में पहुंचे तो अपनी यात्रा को जारी रख सके। 

मिशन को ISRO के PSLV-XL रॉकेट के माध्यम से लॉन्च किया जाएगा। यह दोनों स्पेसक्राफ्ट्स को पृथ्वी से बाहर लेकर जाएगा। स्पेस में पहुंचने के बाद दोनों स्पेसक्राफ्ट अलग हो जाएंगे लेकिन ये दोनों काम साथ में ही करेंगे। कम्युनिकेशन उपकरणों के माध्यम से यह एक दूसरे के संपर्क में रहेंगे और जुगलबंदी में काम करेंगे। दोनों मिलकर एक ऐसे बड़े उपकरण के रूप में काम करेंगे जो सूर्य को बेहद नजदीक से दिखाएगा। इससे सूर्य की क्लोज स्टडी की जा सकेगी। 

ऐसा पहली बार होगा कि सूर्य को इतने नजदीक से देखा जा सकेगा। इस मिशन के माध्यम से सूर्य के बारे में नई खोजें की जा सकेंगी। सूर्य की सतह पर क्या हो रहा है यह बेहद नजदीक से जांचा-परखा जा सकेगा। इसके साथ ही सौर-तूफानों की उत्पत्ति और इनकी मूवमेंट के बारे में भी बेहतर तरीके से जाना जा सकेगा। 
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