अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) के आर्टिमिस 1 (Artemis 1) मिशन ने नया रिकॉर्ड बनाया है। चांद पर रवाना हुआ नासा का ओरियन स्पेसक्राफ्ट (Orion Spacecraft) चंद्रमा की सतह के बेहद करीब पहुंच गया। यह चंद्रमा से सिर्फ 130 किलोमीटर ऊपर था। करीब 50 साल बाद यह मौका आया है। 50 साल पहले नासा के अपोलो 17 मिशन ने उड़ान भरी थी, तब इंसानों को चंद्रमा पर ले जाया गया था। अब जाकर यह मौका आया है, जब कोई स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा के इतने नजदीक पहुंचा है।
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने अपनी
वेबसाइट पर बताया है कि चंद्रमा का यह सफर अब अपनी वापसी पर है। पृथ्वी से लगभग 270,000 मील की दूरी पर पहुंचने के बाद ओरियन स्पेसक्राफ्ट धरती के लिए लौट रहा है। फ्लाईबाई बर्न शुरू होते ही स्पेसक्राफ्ट धरती पर लौटने लगा है। ध्यान रहे कि ‘पावर्ड फ्लाईबाई बर्न' का खासतौर पर स्पेसक्राफ्ट का वेग (velocity) बदलने के लिए डिजाइन किया गया है।
16 नवंबर को लॉन्च हुए आर्टेमिस 1 मिशन का मकसद यह स्थापित करना है कि भविष्य में इंसान को चांद पर दोबारा कैसे भेजा जाए। मिशन के शुरुआती दिनों में ओरियन स्पेसक्राफ्ट नासा के लिए चुनौती भी लेकर आया था। नासा के मिशन कंट्रोलर्स ने ओरियन स्पेसक्राफ्ट के साथ संपर्क खो दिया था। हालांकि करीब 47 मिनट बाद संपर्क बहाल हो गया था।
नासा ने यह भी संभावना जताई है कि इस दशक के अंत तक इंसान चंद्रमा पर लंबे समय के लिए रहने लगेगा। एजेंसी का कहना है कि आर्टेमिस मिशन हमें एक स्थायी प्लेटफॉर्म और ट्रांसपोर्टेशन सिस्टम में सक्षम बनाता है। यह हमें सीखने की अनुमति देता है कि उस डीप स्पेस एनवायरनमेंट में कैसे काम किया जाए।
वैज्ञानिकों की मानें, तो चंद्रमा पर स्थायी बेस बनाने में ओरियन स्पेसक्राफ्ट बड़ी भूमिका निभाएगा। यह चंद्रमा पर ऐसी जगहों की तलाश करेगा, जहां इंसानों के रहने के लिए बेस बनाया जा सकता है। नासा चंद्रमा पर आर्टेमिस बेस कैंप बनाना चाहती है। इसमें एक मून केबिन और मोबाइल घर होगा। इसमें अंतरिक्ष यात्री 2 महीने बिता सकेंगे। चंद्रमा के बेस पर एक रोवर रहेगा, तो वैज्ञानिकों को चंद्रमा की सतह के बारे में जानकारी जुटाने में मदद करेगा।