आज हमारी पृथ्वी का सामना एक ऐसे एस्टरॉयड से होने वाला है, जिसका आकार लगभग 200 फुट है। एयरोप्लेन जितना बड़ा यह एस्टरॉयड जब पृथ्वी के करीब आएगा, तब दोनों के बीच दूरी घटकर महज 56 लाख 30 हजार किलोमीटर रह जाएगी। यह फासला सुनने और पढ़ने में बहुत ज्यादा लगता है, लेकिन ब्रह्मांड के आगे कुछ भी नहीं। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (
Nasa) ने एस्टरॉयड 2023 JD2 के बारे में जानकारी दी है और इसे पृथ्वी के लिए ‘संभावित रूप से खतरनाक' माना है।
हालांकि इसका मतलब यह नहीं है कि एस्टरॉयड हमारी पृथ्वी को कोई नुकसान पहुंचा सकता है। ‘2023 JD2' को इसलिए ‘संभावित रूप से खतरनाक' माना गया है, क्योंकि यह बहुत नजदीक से गुजरने वाला है। वैज्ञानिक इसे तब तक मॉनिटर करते रहेंगे, जबतक यह पृथ्वी से बहुत दूर नहीं चला जाता। एस्टरॉयड की दिशा में परिवर्तन होने और उसका रुख पृथ्वी की ओर होने पर हमारे ग्रह पर खतरा बढ़ सकता है।
वैज्ञानिक मानते आए हैं कि करोड़ों साल पहले हमारी धरती से डायनासोरों का खात्मा भी एक एस्टरॉयड की टक्कर के बाद मचे विनाश से हुआ था। हाल के वर्षों में 2013 की एक घटना को याद किया जा सकता है। रूस के चेल्याबिंस्क शहर पर 59 फुट चौड़ा एक एस्टरॉयड क्रैश हो गया था। उस जरा से एस्टरॉयड की वजह से 8000 इमारतों को नुकसान पहुंचा था और एक हजार लोग घायल हो गए थे।
बात करें एस्टरॉयड ‘2023 JD2' की, तो यह 46 हजार 891 किलोमीटर प्रति घंटे की तेज स्पीड से पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। यह एस्टरॉयड्स के अपोलो ग्रुप से संबंधित है। एस्टरॉयड्स को लघु ग्रह भी कहा जाता है। नासा के अनुसार, जिस प्रकार से हमारे सौर मंडल के सभी ग्रह सूर्य का चक्कर लगाते हैं, उसी तरह एस्टरॉयड भी सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
एस्टरॉयड जब पृथ्वी के करीब आते हैं, तो वैज्ञानिक इनके और पृथ्वी के बीच की दूरी को देखते हैं। इसके लिए सैटेलाइट और रडार की मदद ली जाती है। ज्यादातर एस्टरॉयड मंगल और बृहस्पति ग्रह के बीच
मेन एस्टरॉयड बेल्ड में परिक्रमा करते हैं, लेकिन कई एस्टरॉयड की कक्षाएं ऐसी होती हैं, जो पृथ्वी के पास से गुजरती हैं।