स्मार्टफोन इंडस्ट्री को स्पेसिफिकेशन का चस्का लगा है और लत लगाने में टेक्नोलॉजी प्रेस का भी अहम योगदान है। हम ऐसी दुनिया में रह रहे हैं जो octa-core प्रोसेसर, 13 मेगापिक्सल के कैमरे और कई GB के रैम (RAM) की दीवानी है, लेकिन हम अहम चीजों को ज्यादा समय नहीं देते। ख़ासकर फोन को दैनिक तौर पर इस्तेमाल करने का अनुभव।
आईफोन 6 (iPhone 6) में 'सिर्फ' डुअल कोर प्रोसेसर के साथ 'मात्र' 1GB रैम (RAM) है। अच्छी बात यह है कि ज्यादातर लोग iPhone के बारे में कोई भी फैसला सिर्फ स्पेसिफिकेशन देखकर नहीं करते। Apple ने भी कभी इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी। वहीं दूसरे मैन्यूफैक्चरर "price to specs ratio" और "experience" के बीच बातों को घुमाते रहेंगे। यह भी इस बात पर निर्भर करेगा कि वे किस डिवाइस के बारे में चर्चा कर रहे हैं; क्या वे अपने सेगमेंट के लीडर हैं या फिर वहां पहुंचने की रेस में शामिल हैं।
हालांकि, एंट्री लेवल स्मार्टफोन के मामले में लोगों के लिए स्पेसिफिकेशन ही सबकुछ है। ऐसा मानकर चला जाता है कि इस सेगमेंट के कस्टमर वो हैं जिन्हें स्टेब्लिटी और यूज़र एक्सपीरियंस जैसी चीजों से कोई मतलब नहीं, सिर्फ और सिर्फ फोन के स्पेसिफिकेशन की फिक्र है।
हम यह नहीं कहना चाह रहे हैं कि किसी डिवाइस में स्पेसिफिकेशन की कोई अहमियत नहीं और इसे नज़रअंदाज किया जा सकता है। काफी समय तक एंट्री लेवल वाले स्मार्टफोन के हार्डवेयर थोड़े कमजोर किस्म के होते थे। आज की तारीख में आप 10,000 रुपये की रेंज में ऐसा स्मार्टफोन पा सकते हैं जिसमें किसी फ्लैगशिप डिवाइस वाले स्पेसिफिकेशन हैं। ऐसे में कंज्यूमर का उत्साहित होना बिल्कुल जायज है।
कभी-कभी ये उत्साह एक अजीब किस्म की ज़िद बन जाती है। इसके चक्कर में कई लोग Mi, Yu और अन्य 'फ्लैगशिप किलर' डिवाइस पर इसलिए भरोसा कर लेते हैं क्योंकि इसके स्पेसिफिकेशन प्रीमियम किस्म के हैं। इन्हें आम तौर पर इस्तेमाल करने का अनुभव कैसा है, यह मायने ही नहीं रखता। दूसरी तरफ जो डिवाइस स्थिरता और यूज़र एक्सपीरियंस के लिए स्पेसिफिकेशन के साथ समझौता कर लेते हैं, उन्हें कस्टमर नहीं मिलते। पिछले साल लॉन्च किए गए एंड्रॉयड वन (Android One) स्मार्टफोन को मिला कमजोर रिस्पॉन्स इस किस्म के बिहेवियर का बेहतरीन उदाहरण है।
Lenovo (जो अब Motorola की मालिक भी है), Xiaomi और Micromax के बढ़ते कस्टमर बेस की तारीफ सही कारणों से हुई है, पर हकीकत यह भी है कि सॉफ्टवेयर की स्थिरता में इन कंपनियों को अभी लंबा सफ़र तय करना है तब जाकर ये Apple, Motorola, HTC और Samsung जैसी कंपनियों के डिवाइस की स्थिरता से तुलना कर पाएंगी। कुछ कंपनियां तो कस्टमर से ही पैसे लेकर उन्हें बीटा टेस्टर के तौर पर इस्तेमाल कर रही हैं। इसी बहाने टेस्टिंग पर होने वाले खर्चा बचा जाता है जो हैंडसेट की कीमत में कटौती करने के काम आता है। वहीं, जो कंपनियां यूजर एक्सपीरियंस, सॉफ्टवेयर स्टेब्लिटी पर ध्यान देती हैं और यूज़र के पैसे व समय का सम्मान करती हैं, उनके डिवाइस दूसरों की तुलना में थोड़े महंगे नज़र आते हैं।
अब बात मोटो जी थर्ड जेन (Moto G 3rd gen) की। लेनेवो के3 नोट (Lenovo K3 Note) और शाओमी एमआई 4आई (Xiaomi Mi 4i) की तुलना में Moto G 3rd gen के स्पेसिफिकेशन थोड़े कमजोर नज़र आते हैं, लेकिन वाटरप्रूफ होना और बेहतरीन सॉफ्टवेयर एक्सपीरियंस इस हैंडसेट की खासियतों में शामिल है। हमने Moto G 3rd gen को करीब एक हफ्ते तक प्राइमरी स्मार्टफोन के तौर पर इस्तेमाल किया और इसे एक भरोसेमंद डिवाइस पाया। आइए फोन के अन्य पहलुओं के बारे में विस्तार से जानते हैं।
डिज़ाइन और डिस्प्लेMoto G 3rd gen का डिज़ाइन ऐसा है जो पूरी तरह से Motorola की पहचान है, लेकिन इस डिवाइस में कुछ यूनीक टच भी दिया गया है। यह स्मार्टफोन भले ही अपने लुक के कारण भीड़ की नज़र अपनी ओर ना खींच पाए, लेकिन इसे हाथों में रखने का एहसास शानदार है और महंगे डिवाइस के सामने कमज़ोर भी नहीं नज़र आता। इसके बैकपैनल पर टेक्सचर्ड फिनिश है जो डिज़ाइन और फंक्शनालिटी के बीच शानदार बैलेंस बनाता है। यह दिखने में अच्छा है और हाथों पर इतना घर्षण पैदा करता है कि फोन सुरक्षित तौर से आपके ग्रिप में रहता है। हैंडसेट का टेक्सचर्ड फिनिश बहुत ज्यादा ख़ुरदरा भी नहीं है जैसे कि हमने कई और हैंडसेट में देखा है।
Moto G 3rd gen के बैककवर को तो हटाया जा सकता है, लेकिन बैटरी पूरी तरह से सील है ताकि डिवाइस वाटरप्रूफ रहे। इस प्राइस में यह डिवाइस की सबसे बड़ी खूबी है। अगर आप अपनी गाढ़ी कमाई से स्मार्टफोन खरीदने वाले हैं तो हमारा मानना है कि फुल-एचडी डिस्प्ले और ओक्टाकोर प्रोसेसर वाले डिवाइस की जगह वाटरप्रूफ फीचर वाला स्मार्टफोन ज्यादा फायदे का सौदा है। मोटोरोला (Motorola) का दावा है कि Moto G 3rd gen को 3 मीटर गहरे पानी में 30 मिनट तक रखे जाने पर कुछ नहीं होगा। यह दैनिक इस्तेमाल के दौरान सेफ्टी के उपाय के तौर पर काफी है। फोन में वाटर रेसिस्टेंस मौजूद है, इसका मतलब यह नहीं कि आप इसे अपने पॉकेट में रखकर गहराई में जाकर स्वीमिंग करने लगे।
Moto G 3rd gen के साथ जितना वक्त हमने बिताया उस दौरान यही एहसास हुआ कि फोन थोड़ा 'छोटा' है। हमें बार-बार खुद को यह याद दिलाना पड़ा कि यह 5 इंच के डिस्प्ले वाला डिवाइस है। संभव है कि बड़े स्क्रीन वाले स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की आदत के कारण हमें ऐसा लगा, या फिर इसकी वजह डिवाइस का शानदार स्क्रीन-टू-बॉडी रेशियो (अनुपात) भी हो सकती है। Motorola ने नए Moto G डिवाइस में 720p का डिस्प्ले दिया है जो इस प्राइस रेंज के अन्य स्मार्टफोन के जितना शार्प नहीं है। ऐसा बिल्कुल नहीं होने वाला है कि आप स्क्रीन को देखते ही इसकी तारीफ करने लगेंगे।
हालांकि, इसमें कोई पिक्सलेशन वाली कमी भी नहीं है। Corning Gorilla Glass 3 प्रोटेक्शन के साथ आने वाले इस डिस्प्ले का व्यूइंग एंगल अच्छा है और हमें बाहर की तेज रोशनी में स्क्रीन पर देखने में कोई परेशानी नहीं आई।
सॉफ्टवेयर, परफॉर्मेंस और बैटरी लाइफMoto G 3rd gen में एंड्रॉयड 5.1.1 (Android 5.1.1) का स्टॉक वर्ज़न मौजूद है। इसका मतलब है कि डे-टू-डे परफॉर्मेंस के मामले में यह अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे है। कुछ लोगों को octa-core प्रोसेसर पसंद है, लेकिन हम स्थिर और प्रोब्लम रहित एक्सपीरियंस चाहते हैं चाहे डिवाइस अपेक्षाकृत कमजोर हार्डवेयर पर ही क्यों ना चल रहा हो। Lenovo, Xiaomi और Micromax के Yu ने अक्सर ही स्पेसिफिकेशन के लिए यूज़र एक्सपीरियंस से समझौता किया है, लेकिन यह आरोप Motorola पर नहीं लगाया जा सकता।
ये भी मानना होगा कि कंपनी ने Android के लगभग स्टॉक वर्ज़न का इस्तेमाल करके कोई खतरा मोल नहीं लिया है। अब जब कंज्यूमर इसी से खुश हैं तो हिट फॉर्मूले को बदलने की क्या जरूरत? स्टॉक Android इस्तेमाल करने के कारण कंपनी तेजी से ऑपरेटिंग सिस्टम का अपडेट रिलीज करती रहती है, कई बार तो Google का Nexus डिवाइस भी इस मामले में पीछे रह जाता है। अगर आपको हमेशा लेटेस्ट Android वर्ज़न पर रहना पसंद है तो यह आपके लिए Motorola फैमिली के इस नए स्मार्टफोन को खरीदने की एक और वजह है।
Moto G 3rd gen में Moto Display फीचर दिया गया है। यह फीचर Moto X (Gen. 2) में देखने को मिला था। इस फीचर के कारण आप लॉक स्क्रीन पर भी टाइम और अन्य नोटिफिकेशन देख पाएंगे। इसके लिए फोन को एक्टिव मोड में भी लाने की जरूरत भी नहीं। स्मार्टफोन यह जान लाता है कि आपने उसे कब उठाया और आपके कुछ किए बिना ही यह अपने आप जानकारियों को स्क्रीन पर उपलब्ध करा देता है जो एक बेहतरीन फीचर है। हालांकि, कभी-कभार इस फीचर के कारण डिवाइस अति-उत्साही नज़र आता है। दरअसल, ड्राइव करते वक्त हमने पाया कि रोड पर जब भी कार का सामना छोटे-मोटे गड्ढों या फिर ठोकर से हुआ Moto Display अपने आप एक्टिव हो गया।
हमने 2GB RAM/ 16GB स्टोरेज मॉडल (12,999 रुपये) को टेस्ट किया। यह जानते हुए कि डिवाइस के दोनों वेरिएंट में मात्र 1,000 रुपये का अंतर है, ऐसे में सवाल बनता है कि 1GB RAM और 8GB स्टोरेज वाले मॉडल को बनाया ही क्यों गया? इस वेरिएंट को कस्टमर मिलने की संभावना बेहद कम है। हमारा सुझाव भी यही है कि आप 2GB RAM/16GB स्टोरेज मॉडल को ही खरीदें। Moto G 3rd gen दोनों ही सिम कार्ड पर 4G सपोर्ट के साथ आता है और हमने Airtel के 4G नेटवर्क पर डेटा कनेक्टिविटी को पूरी तरह से एन्जॉय किया। कॉल क्वालिटी और लाउडस्पीकर की परफॉर्मेंस भी संतोषजनक है।
Asphalt 8 जैसे हाई-एंड ग्राफिक्स गेम को खेलते वक्त हमें परफॉर्मेंस में किसी कमी का एहसास नहीं हुआ और लंबे समय तक गेम खेलते रहने के बावजूद फोन गर्म भी नहीं हुआ। हालांकि, सूरज के उजाले में लंबे समय तक 3G इस्तेमाल करने पर हमने पाया कि स्क्रीन थोड़ा गर्म हो गया था और यह कई लोगों के लिए प्रोब्लम हो सकती है। फोन की सेटिंग्स यही बताती है कि इसमें USB OTG सपोर्ट मौजूद है, लेकिन हम अपने ड्राइव को Moto G 3rd gen के साथ नहीं चला पाए। स्मार्टफोन में कुछ क्विक गेस्चर्स को भी शामिल किया गया है, जैसे कि फोन को दो बार हिलाकर फ्लैशलाइट स्विच ऑन करना या फोन पकड़े हुए अपनी कलाइयों को दो बार मोड़ने से कैमरा ऐप का खुल जाना, ये सारे फीचर कुछ लोगों के लिए काम के साबित हो सकते हैं।
लगातार एसडी वीडियो प्लैबेक पर बैटरी 10 और 46 मिनट तक चली जो Snapdragon 410 प्रोसेसर वाले हैंडसेट के लिए औसत है। अगर आप ज्यादातर वक्त बाहर रहते हैं और 3G या 4G नेटवर्क पर डेटा का लगातार इस्तेमाल करते रहते हैं तो Moto G 3rd gen को दिन में सिर्फ एक बार चार्ज करने से काम नहीं चलेगा। अगर आप घर और ऑफिस में वाई-फाई नेटवर्क का इस्तेमाल करते हैं और सिर्फ बाहर निकलने पर सेलुलर डेटा को यूज़ करते हैं तो बैटरी आसानी से एक दिन चल जाएगी।
कैमराMoto G 3rd gen के साथ आने वाला कैमरा ऐप डिफॉल्ट में ऑटोफोकस मोड में होता है। इसका मतलब है कि आप स्क्रीन पर टैप करके तस्वीर ले सकते हैं। आप ऐप की सेटिंग्स में जाकर फोकस और एक्सपोज़र कंट्रोल को स्विच ऑन भी कर सकते हैं। ऐसे करने से स्क्रीन पर एक रेटिक्यूल आ जाता है जिसे आप स्लाइड करके किसी खास ऑबजेक्ट पर फोकस कर सकते हैं। एक डायल भी मौजूद है जिसका इस्तेमाल करके आप एक्सपोजर सेटिंग्स को बदल सकते हैं। इन नए फीचर को शामिल किया जाना स्वागत योग्य है। हालांकि, यह टैप-टू-फोकस वाले स्टाइल की तरह उतनी सहजता से काम नहीं करता (आप चाहें तो थर्ड-पार्टी ऐप का इस्तेमाल कर सकते हैं)। ऐप में HDR मोड भी शामिल है। हालांकि, आप इसे फोकस और एक्सपोजर कंट्रोल के साथ इस्तेमाल नहीं कर सकते।
इमेज क्वालिटी की बात करें तो Moto G 3rd gen आउटडोर और अच्छी रोशनी वाली जगहों पर काफी डिटेल के साथ तस्वीरें लेता है। हालांकि, कम रोशनी में कैमरे की परफॉर्मेंस और अच्छी हो सकती थी। फ्रंट कैमरा पर्याप्त से अधिक खूबियों वाला है जो सेल्फी के दीवानो को खुश रखेगा।
Moto G 3rd gen फुल-एचडी वीडियो और 720p पर स्लो मोशन वीडियो रिकॉर्ड कर सकता है। क्वालिटी के लिहाज से रेगुलर वीडियो ठीक ठाक हैं, लेकिन डेलाइट में शूट किए जाने के बावजूद कई बार स्लो-मोशन वाले वीडियो में ग्रेन्स साफ नज़र आते हैं।
हमारा फैसलाअगर आप दूसरों को प्रभावित करने के लिए स्मार्टफोन खरीद रहे हैं तो Moto G 3rd gen आपके लिए नहीं है। इसमें कोई भी ऐसा स्पेसिफिकेशन नहीं मौजद है जिसे बताकर आप वाहवाही लूट पाएं। वैसे आप चाहें तो दोस्तों के सामने अपने फोन को पानी भरे ग्लास में गिरा कर दिखा सकते हैं। खैर गंभीरता से बात की जाए तो हमें खुशी है इस प्राइस प्वाइंट पर वाटर रेसिस्टेंश फ़ीचर की एंट्री हुई है और वक्त आ चुका है कि यह फीचर अब सभी स्मार्टफोन में शामिल किया जाए।
यह मात्र एक कारण नहीं है जिसकी वजह से हम Moto G 3rd gen खरीदने का सुझाव दे रहे हैं। कैमरा और बैटरी लाइफ ने निराश नहीं किया। स्टेब्लिटी व यूज़र एक्सपीरियंस के मामले में यह कहीं आगे है और हमारा मानना भी यही है कि हर यूज़र इन दो चीजों का सबसे पहले हक़दार होता है।