भारतीय अर्थव्यवस्था से जुड़ी एक सकारात्मक खबर है कि मेड इन इंडिया (Made in India) स्मार्टफोन्स की बिक्री 2022 की पहली तिमाही में 7 प्रतिशत बढ़ी है। यहां पर थोड़ा हैरान करने वाली बात ये भी है कि जब विश्व भर में कम्पोनेंट की कमी चल रही है, तब भी मेड इन इंडिया स्मार्टफोन्स की शिपमेंट में ये बढ़त दर्ज हुई है। इसका श्रेय स्मार्टफोन्स की लगातार बढ़ रही मांग को जाता है और साथ ही साथ बढ़ रहे निर्यात को भी जाता है। सरकार ने इसके लिए कई तरह की पहल कीं और लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा दिया जिसके ये परिणाम निकल कर आए हैं।
मार्केट रिसर्च फर्म Counterpoint की
रिपोर्ट के अनुसार, Made in India स्मार्टफोन्स की शिपमेंट में 2022 की पहली तिमाही में 7 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है और देश ने 4 करोड़ 80 लाख ज्यादा स्मार्टफोन शिप किए हैं। इसमें सबसे ज्यादा योगदान Oppo का बताया गया है जिसने साल की पहली तिमाही में 1 करोड़ से ज्यादा स्मार्टफोन्स को शिप किया है। इसके बाद इसका मार्केट शेयर 21.6 प्रतिशत पहुंच गया है। उसके बाद Samsung का नाम आता है जिसका मार्केट शेयर 21.3 प्रतिशत है।
थर्ड पार्टी इलेक्ट्रॉनिक मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज (EMS) ने इसमें 42 प्रतिशत की हिस्सेदारी निभाई है। जिसमें YoY ग्रोथ में 4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। तिमाही में Bharat FIH सबसे बड़ी EMS प्रोवाइडर रही जिसने शिपमेंट में 11.3 प्रतिशत का योगदान दिया। उसके बाद डिक्सन टेक्नोलॉजी का शेयर 8.6 प्रतिशत रहा।
रिसर्च एनालिस्ट प्रिया जोसेफ ने कहा, "भारतीय सरकार का मकसद देश को एक मैन्युफैक्चरिंग केंद्र बनाने का रहा है। इस दिशा में सरकार की ओर से कई पहल की गई हैं। इसमें प्रोडक्शन लिंक्ड इनसेंटिव (PLI) स्कीम का काफी योगदान रहा। इसी तरह की स्कीम अन्य सेक्टरों में भी सरकार ने लागू की हैं जिनमें सोलर, सेमीकंडक्टर, ऑटोमोटिव और इलेक्ट्रिॉनिक प्रोडक्ट शामिल हैं। वर्तमान में जब युद्ध और महामारी के कारण विश्व भर में कई तरह की अनिश्चितताएं पैदा हो गई हैं, ऐसे में सरकार को लगता है कि इकोनॉमी को लचीला बनाए रखना चाहिए ताकि वह इस तरह के झटकों को सहन कर सके।"
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