ऐप्पल ने मंगलवार को यह जानकारी सार्वजनिक कर दी कि ग्लोबल मार्केट आईफोन की बिक्री पहली बार गिरावट देखने को मिली है। इसका अनुमान पहले ही कंपनी ने लगाया था। हालांकि, भारत से कंपनी के लिए अच्छी खबर आई। यहां आईफोन की बिक्री में 50 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी देखने को मिली।
कंपनी के आर्थिक आंकड़ों को जारी करते हुए सीईओ टिम कुक ने कहा, ''अगर आप भारत को देखें तो यहां पर बिक्री में 56 फीसदी बढ़ोतरी देखने को मिली। हम ऐसे ही क्षेत्रों (इमर्जिंग मार्केट) पर अपना ध्यान केंद्रित करने वाले हैं। इतना तो साफ है कि विकसित क्षेत्रों की तुलना में इन मार्केट में ज्यादा तेजी देखने को मिलेगी।''
इस दौरान कुक ने ऐप्पल को भारत में मिलने वाली चुनौतियों और अवसरों के बारे में भी विस्तार से बताया। हालांकि, उनका मानना है कि भारत के लिए चीन जैसे मार्केट की बराबरी तक पहुंचने में अभी बहुत कुछ किया जाना बाकी है और इसमें अभी वक्त लगेगा।
कुक ने कहा,''भारत आज की तारीख में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा स्मार्टफोन मार्केट है।'' वैसे कई लिहाज से यह चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा मार्केट है।
कुक ने आगे कहा, ''लेकिन भारत में इस्तेमाल किए जा रहे ज्यादातर फोन कमज़ोर स्पेसिफिकेशन वाले हैं। इसकी मुख्य वजह नेटवर्क और अर्थव्यवस्था है। भारत में फिलहाल मार्केट की क्षमता बहुत शानदार नहीं है। मेरे हिसाब से भारत आज उस स्थान पर है जहां पर चीन सात से दस साल पहले था। और भारतीय मार्केट में हमारे प्रोडक्ट के लिए ढेरों संभावनाएं हैं।"
कुक के इस बयान को इन आंकड़ों से समझाना सही रहेगा। भले ही ऐप्पल के राजस्व में 25 फीसदी गिरावट देखने को मिली। लेकिन ऐप्पल ने चीन में जनवरी-मार्च तिमाही में बिक्री से 12.5 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की। ऐप्पल भारत के लिए तो अलग से आर्थिक आंकड़ें जारी तो नहीं करती, लेकिन 2015 में कंपनी ने इस देश में मात्र 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई की थी।
कुक का मानना है कि भारत में एलटीई नेटवर्क के रोलआउट में हो रही देरी के कारण इस मार्केट में ऐप्पल के विस्तार का प्लान थोड़ा पड़ गया है।
कुक ने कहा, ''हर देश की अलग-अलग परिस्थिति होती है। हमें सबसे बड़ी चुनौती भारतीय मार्केट में एलटीई के रोलआउट में हो रही देरी से मिल रही है। हकीकत में इस सेवा को 2016 में ही वृहद स्तर पर आम यूज़र के लिए उपलब्ध कराया गया है। अब हम भारत में शानदार नेटवर्क की उम्मीद कर सकते हैं। इस नेटवर्क के आने के बाद यूज़र आईफोन के पावर और क्षमता से पूरी तरह से रूबरू हो पाएंगे, यानी आधारभूत संरचना मुख्य मुद्दा है।"
कुक ने भारतीय मार्केट में रिटेल बिजनेस के बारे में भी बात की। ऐप्पल को कुछ साल पहले तक यहां के मार्केट में आईफोन रिटेल करने के खासी परेशानी का सामना करना पड़ा। लेकिन कंपनी ने धीरे-धीरे स्थानीय मार्केट के दांव-पेंच को सीख लिए।
कुक ने इसके बारे में विस्तार से कहा, "अमेरिका में जहां टेलीकॉम कंपनियां ज्यादातर हैंडसेट बेचती हैं। भारत में ऐसा बहुत कम होता है, लगभग ना के बराबर। यानी हैंडसेट को रिटेल स्टोर तक पहुंचाना होगा। रिटेल मार्केट का मतलब है...छोटे-छोटे दुकान।"
मज़ेदार बात यह है कि कुक ने पिछले 18 महीनों में भारत के लिए ऐप्पल की बदली हुई रणनीति के बारे में बताया। गौर करने वाली बात है कि इस दौरान ही हमें आईफोन के दाम बड़ी छूट देखने को मिली। ऐप्पल के कई रिटेल पार्टनर द्वारा आईफोन को एमआरपी से कम दाम में उपलब्ध कराया गया।
कुक ने कहा, "हम भारत में पिछले दो साल से ज्यादा वक्त से काम कर रहे हैं। लेकिन पिछले 18 महीनों में हमने ज्यादा ध्यान केंद्रित किया है। और अब तक मिले नतीजों को लेकर उत्साहित हैं। मुझे विश्वास है कि भारत में अभी असीमसंभावनाएं बाकी हैं।"
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