Apple की तुलना में 20 गुना ज्यादा डेटा इकट्ठा करता है Google!

रिसर्च से पता चलता है कि लॉग इन न होने पर भी Apple यूज़र्स की लोकेशन एकत्र करता है, साथ ही स्थानीय IP एड्रेस भी लिया जाता है। जबकि Google ने  ऐसा नहीं किया।

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Vineet Washington, अपडेटेड: 31 मार्च 2021 18:04 IST
ख़ास बातें
  • Google और Apple के डेटा इकट्ठा करने के तरीकों पर एक शोध की गई है
  • शोध से पता चला है कि गूगल ऐप्पल की तुलना में 20 गुना ज्यादा डेटा लेता है
  • गूगल ने इस शोध के तरीकों से असहमती जताई है

Google इस रिसर्च से असहमत है

Google अपने Android ऑपरेटिंग सिस्टम पर Apple द्वारा iPhone पर इकट्ठा किए गए डेटा की तुलना में 20 गुना ज्यादा डेटा इकट्ठा करता है। ऐसा हम नहीं, एक नई स्टडी कहती है। ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन, आयरलैंड के रिसर्चर्स ने उस डेटा की तुलना की, जो एक Pixel फोन ने Google के साथ साझा किया और जो iPhone ने Apple के साथ साझा किया। तुलना में पाया गया कि Google Apple की तुलना में 20 गुना अधिक हैंडसेट डेटा एकत्र करता है। शोध में यह भी पाया गया कि "न्यूनतम रूप से कॉन्फिगर" होने के बावजूद भी पिक्सल और आईफोन मॉडल ने औसतन काफी बार डेटा साझा किया। एक रिपोर्ट के अनुसार, Google रिसर्चर्स द्वारा इस्तेमाल किए गए तरीके से असहमत है।

डगलस जे. लीथ (Douglas J. Leith) और उनकी ट्रिनिटी कॉलेज डबलिन की टीम ने मोबाइल हैंडसेट प्राइवेसी को आज़माने के लिए Google द्वारा बनाए गए Pixel फोन और  Apple द्वारा बनाए गए iPhone को आमने-सामने रखा और यह पता लगाया कि कौन अपने फोन से ज्यादा डेटा इकट्ठा करता है। इस रिसर्च में पाया गया कि Pixel और iPhone दोनों मॉडल्स ने अपने संबंधित निर्माताओं के साथ औसतन हर 4.5 मिनट में डेटा साझा किया। एकत्र किए गए डेटा में IMEI, हार्डवेयर सीरियल नंबर, सिम सीरियल नंबर और IMSI, हैंडसेट फोन नंबर समेत अन्य कई जानकारियां शामिल थी।

जब कोई यूज़र इन दोनों स्मार्टफोन में पहली बार सिम डालता है, तो Google और Apple दोनों के फोन कंपनी को डेटा भेजते हैं। यह पाया गया कि iOS आस-पास के डिवाइस के मैक एड्रेस साथ ही उनके जीपीएस लोकेशन को Apple के साथ साझा करता है। iOS यूज़र्स के लिए इससे बचने के लिए किसी प्रकार का विकल्प मौजूद नहीं है। यदि लॉग इन नहीं किया गया है, उस स्थिति में भी दोनों फोन IMEI, हार्डवेयर सीरियल नंबर, सिम सीरियल नंबर और फोन नंबर अपने निर्माताओं को भेजते हैं। स्टडी के अनुसार, यहां गूगल एक कदम आगे निकलता है और कंपनी को Android आईडी, रीसेटेबल डिवाइस आइडेंटिफायर या एड आईडी और DroidGuard Key भी भेजता है। इसकी तुलना में, Apple केवल UDID और Ad ID एकत्र करता है।

लॉग इन न होने पर भी Apple यूज़र्स की लोकेशन एकत्र करता है, साथ ही स्थानीय IP एड्रेस भी लिया जाता है। जबकि Google ने  ऐसा नहीं किया। Google ने वाई-फाई मैक एड्रेस एकत्र किया, जबकि Apple ने ऐसा नहीं किया। दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम तब भी टेलीमेट्री डेटा भेजते हैं, जब यूज़र्स ने इनके लिए ऑप्ट-आउट किया होता है। स्टार्टअप के 10 मिनट के भीतर, Google लगभग 1MB डेटा एकत्र करता है, जबकि Apple 42KB डेटा एकत्र करता है। जब फोन को निष्क्रिय छोड़ दिया जाता है, तो Google हर 12 घंटे में 1MB डेटा एकत्र करता है, जबकि Apple 52KB डेटा एकत्र करता है।

रिसर्च को सबसे पहले देखने वाले Arstechnica की रिपोर्ट एक Google प्रवक्ता का हवाला देते हुए बताती है कि कंपनी इस शोध की पद्धति से असहमत है।
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कंपनी के प्रवक्ता का कहना है कि कंपनी ने डेटा की मात्रा को मापने के लिए की गई शोध की कार्यप्रणाली में खामियां पाई हैं और वे दावों से असहमत हैं। प्रवक्ता ने आगे बताया कि यह शोध काफी हद तक स्मार्टफोन के काम करने के तरीके को बताते हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि आधुनिक कार भी नियमित रूप से कार निर्माताओं को गाड़ी के कंपोनेंट्स, उनकी सुरक्षा स्थिति और सेवा शेड्यूल के बारे में बुनियादी डेटा साझा करती हैं और मोबाइल फोन भी समान तरीके से काम करते हैं।
 

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