iPhone न खरीदें ऐसे यूजर्स! ये रहे 3 बड़े कारण

कस्टमाइजेशन चाहने वाले यूजर्स iPhone में निराश हो सकते हैं।

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Written by हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 31 मार्च 2025 14:07 IST
ख़ास बातें
  • एपल के आईफोन मे कस्टमाइजेशन के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं
  • आईफोन एक सीमित प्राइस रेंज तक ही उपलब्ध होते हैं
  • Android की दुनिया में यूजर को ओपन ईकोसिस्टम मिलता है

Apple के iPhones दुनियाभर में पॉपुलर हैं।

Apple के iPhones दुनियाभर में पॉपुलर हैं। दुनिया के कई देशों में फैंस एपल की स्मार्टफोन सीरीज की रिलीज का बेसब्री से इंतजार करते हैं। आईफोन की प्रीमियम बिल्ड क्वालिटी, सॉफ्टवेयर सपोर्ट, और एपल का ईकोसिस्टम इन डिवाइसेज को लुभावना बनाता है। लेकिन आईफोन सभी यूजर्स के लिए नहीं हैं। कुछ ऐसी बातें हैं जो गौर की जाएं तो आप पाएंगे कि आईफोन कई यूजर्स को नहीं खरीदना चाहिए। आइए हम आपको 3 ऐसे बड़े कारण बताते हैं जिससे आपको पता चलेगा कि आईफोन सबको क्यों नहीं खरीदना चाहिए। 

Customization
कस्टमाइजेशन यानी चीजों को अपने तरीके से बदल पाना। Apple के आईफोन में यूजर को कस्टमाइजेशन के लिए बहुत अधिक विकल्प नहीं मिलते हैं, लेकिन एंड्रॉयड डिवाइसेज में कस्टमाइजेशन बड़े पैमाने पर संभव है। कंपनी ने iOS को एक क्लोज सिस्टम के रूप में डेवलप किया है जो अधिकतर एपल प्रोडक्ट्स के साथ ही काम करता है। इसलिए आप आईफोन में थर्ड पार्टी लॉन्चर नहीं डाउनलोड कर सकते हैं। सिस्टम थीम को मॉडिफाई नहीं कर सकते हैं। इसलिए यहां पर कस्टमाइजेशन बहुत सीमित हो जाती है। 

Budget
iPhones भले ही मार्केट में मिलने वाले सबसे महंगे फोन अब नहीं रह गए हैं। लेकिन आईफोन एक सीमित प्राइस रेंज तक ही उपलब्ध होते हैं। वहीं, दूसरी तरफ एंड्रॉयड फोन हरेक प्राइस रेंज में खरीदे जा सकते हैं। एंड्रॉयड में यूजर के पास विकल्प होता है कि वह 10 हजार रुपये से भी कम कीमत के फोन को चुन सकता है। वहीं, प्रीमियम रेंज में भी यूजर के पास ढेरों विकल्प होते हैं। वह अपने बजट के हिसाब से डिवाइस चुन सकता है। एंड्रॉयड के पास बजट फोन्स की एक बड़ी रेंज है। वहीं आईफोन एक सीमित प्राइस रेंज से नीचे नहीं आ पाते हैं। ये सिर्फ प्रीमियम रेंज तक सीमित रहते हैं। 

Open Ecosystem
Apple का ईकोसिस्टम तभी बढ़िया तरीके से काम करता है जब यूजर के पास सभी डिवाइसेज Apple के हों। लेकिन अगर आपके पास एक आइफोन है और उसके साथ में विंडोज का लैपटॉप है, या एंड्रॉयड टैबलेट है तो यह ईकोसिस्टम में फिट नहीं बैठेगा। यहां पर चीजें बहुत सीमित हो जाती हैं। Android की दुनिया में यूजर को ओपन ईकोसिस्टम मिलता है। वह विभिन्न तरह के ब्रांड्स और डिवाइसेज में से चुन सकता है। इससे यूजर एक ही ईकोसिस्टम में कैद होकर नहीं रह जाता है। उसके पास डिवाइसेज की एक आजादी होती है। उदाहरण के लिए Google की सर्विसेज Windows और Android डिवासेज, दोनों के साथ ही बेहतर तरीके से काम करती हैं। 
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इसलिए iPhone खरीदना हरेक यूजर के लिए जरूरी नहीं हो सकता है। यह यूजर की प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है कि उसके लिए किस तरह का ईकोसिस्टम उपयोगी है, और उसके लिए डिवाइसेज की आजादी कितने मायने रखती है। 
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हेमन्त कुमार Gadgets 360 में सीनियर ...और भी

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