संभव है कि आने वाले दिनों में फोन पर व्हाट्सऐप या फिर अन्य कम्यूनिकेशन सर्विस इस्तेमाल करने के तरीके में बड़ा बदलाव देखने को मिले। केंद्र सरकार एक ऐसी नीति बनाने पर विचार कर रही है जिसके तहत यूज़र और कंपनियों को सभी मैसेज स्टोर करके रखना होगा। ये खुलासा सोमवार को एनडीटीवी ने किया। खुलासे के चंद घंटों के अंदर ही सरकार ने नई इनक्रिप्शन पॉलिसी के प्रस्ताव को लेकर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। सरकार ने कहा कि अभी जिस प्रस्ताव पर चर्चा चल रही है, उसके अंदर सोशल मीडिया नहीं आएगा।
1. नई इनक्रिप्शन पॉलिसी की ड्राफ्ट कॉपी की इंटरनेट पर खासी निंदा हुई। इसके बाद सरकार ने पूरे मामले पर
स्पष्टीकरण दिया।
2. जब आप व्हाट्सऐप मैसेज भेजते हैं तो यह अपने आप इनक्रिप्ट हो जाता है और फिर दूसरे यूज़र के पास पहुंचने के बाद यह खुद-ब-खुद डीक्रिप्ट होकर प्लेन टेक्स्ट में तब्दील हो जाता है।
3. व्हाट्सऐप और ऐप्पल के आईमैसेज जैसे सर्विस में इनक्रिप्शन अपने आप होता है। दो यूज़र के बीच हो रहे संवाद के दौरान दोनों डिवाइस पर इनक्रिप्शन कीज़ अपने आप काम करते हैं। ऐसे में यूज़र को कुछ नहीं करना पड़ता।
4. केंद्र सरकार ने जिस नई नेशनल इनक्रिप्शन पॉलिसी पर जनता से फीडबैक मांगा है उसकी भाषा को लेकर जानकार चिंतित हैं। इसमें साफ तौर पर लिखा था कि यूज़र को 90 दिनों तक प्लेन टेक्स्ट मैसेज को स्टोर करना होगा। (
ऑरिजनल ड्राफ्ट को यहां क्लिक करके पढ़ें।)
5. सूचना और प्रौद्योगिकी मंत्रालय द्वारा जारी किए गए ड्राफ्ट के अनुसार, ''भारत और भारत के बाहर से काम कर रहे सभी सर्विस प्रोवाइडर जो इनक्रिप्शन टेक्नोलॉजी के जरिए किसी भी तरह की सेवा मुहैया करा रहे हैं, उन्हें भारत में सर्विस देने के लिए केंद्र सरकार के साथ समझौता करना होगा।"
6. पॉलिसी की भाषा बेहद ही लचीली थी जिस कारण से कई ऐप्स और व्हाट्सऐप जैसे सर्विस इसकी जद में आ रहे थे। सोशल मीडिया पर नकारात्मक प्रतिक्रिया मिलने के बाद सरकार ने बताया कि सोशल मीडिया, इंटरनेट बैंकिंग और ई-कॉमर्स नए गाइडलाइन के अंतर्गत नहीं आएंगे।
7. अन्य कैटेगरी के लिए, अगर इस नीति को मंजूरी मिल जाती है तो इनक्रिप्शन के लिए सरकार के साथ समझौता नहीं करने वाले प्लेटफॉर्म और सर्विसेज भारत में गैर-कानूनी घोषित कर दिए जाएंगे।
8. कंपनियों या बिजनेस (इंटरनेट बैंकिंग, सोशल मीडिया और ई-कॉमर्स शामिल नहीं) को इनक्रिप्टेड और प्लेन टेक्स्ट मैसेज स्टोर रखना होगा। और सरकारी जांच एजेंसियां द्वारा मांगे जाने पर वे मैसेज मुहैया भी कराने होंगे।
9. 2010 की बात है। कंपनी के ईमेल सर्वर और ब्लैकबेरी मैसेंजर सर्विस को इंटरसेप्ट करने को लेकर तत्कालीन यूपीए सरकार और ब्लैकबेरी आमने-सामने आ गए थे। तब की सरकार ने तो एक वक्त यहां तक कह दिया था कि अगर ब्लैकबेरी देश की सुरक्षा एजेंसियों को उसके सर्वर का इस्तेमाल कर भेजे गए ईमेल को खंगालने नहीं देगी तो ब्लैकबेरी मैसेंजर सर्विस को बैन कर दिया जाएगा। अंत में सरकार और ब्लैकबेरी के बीच समझौता हुआ, जिसके तहत सरकार ब्लैकबेरी के प्लेटफॉर्म से भेजे गए मैसेज को भी इंटरसेप्ट कर सकती थी।
10. आप भी सरकार द्वारा प्रस्तावित नेशनल इनक्रिप्शन पॉलिसी पर फीडबैक दे सकते हैं। आपको
akrishnan@deity.gov.in पर ईमेल करना होगा।