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भारत में अभी 5G शुरू भी नहीं हुआ, लेकिन इन 2 देशों में 6G लॉन्च करने की रेस शुरू!

चीन इस तकनीक में पहले से ही आगे बढ़ रहा है। कनाडाई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, देश ने संभावित 6G ट्रांसमिशन के लिए एयरवेव्स की टेस्टिंग करने के लिए नवंबर में एक सैटेलाइट लॉन्च की गई थी और Huawei का कनाडा में 6G अनुसंधान केंद्र भी है।

भारत में अभी 5G शुरू भी नहीं हुआ, लेकिन इन 2 देशों में 6G लॉन्च करने की रेस शुरू!

अमेरिका और चीन के साथ-साथ युरोप भी 6G तकनीक की शुरुआत के लिए मैदान में उतर चुका है

ख़ास बातें
  • चीन, अमेरिका और युरोप में 6G तकनीक की शुरुआत के पीछे रेस लगी है
  • भारत में फिलहाल 5G की भी शुरुआत नहीं हुई है
  • Airtel ने हाल ही में बैंगलोर में 5G नेटवर्क को पहली बार टेस्ट किया था
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अभी भारत में 5G की शुरुआत हुई भी नहीं है कि कुछ देश 6G की शुरुआत करने की दौड़ शुरू हो चुकी है। यह दौड़ अमेरिका और चीन के बीच हो रही है, क्योंकि निश्चित तौर पर, जो देश 6G को विकसित करने और पेटेंट करने वाला पहला देश होगा, वो दुनिया के अधिकांश टेलीकॉम बाज़ारो में राज करेगा। 6G नेटवर्क मौजूदा 5G नेटवर्क की अधिकतम स्पीड से 100 गुना ज्यादा तेज़ होगा। हालांकि अभी भी इसे वास्तविकता बनने में कम से कम दशक का समय लग सकता है।

इसमें दोराय नहीं कि डोनाल्ड ट्रम्प (Donald Trump) के सत्ता में रहते हुए चीनी टेक्नोलॉजी कंपनियों को बड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी चीन 5G लीडर के रूप में उभरा। देश की घरेलू कंपनी Huawei ने अपनी आकर्षक कीमतों के चलते 5G बाज़ार में अन्य प्रतिद्वंदियों को पीछे छोड़ दिया। ऐसे में 6G के विकास और पेटेंट को सबसे पहले हासिल करने से अमेरिका को वायरलेस तकनीक की दुनिया में खोई अपनी जमीन वापस हासिल करने का मौका मिल सकता है।

अमेरिकी कंसलटेंसी फर्म Frost & Sullivan के इनफॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन्स विभाग के सीनियर इंडस्ट्री डायरेक्टर विक्रांत गांधी (Vikrant Gandhi) का कहना है कि (अनुवादित) "5G के विपरीत, उत्तरी अमेरिका इस बार लीडरशिप को इतनी आसानी से हाथ से फिसलने नहीं देगा। यह संभावना है कि 6G लीडरशिप के लिए प्रतिस्पर्धा 5G की तुलना में काफी जबरदस्त होगी।"

बता दें कि 2019 में उस समय रहे अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया था, जिससे साफ हो गया था कि वह 6G तकनीक की शुरुआत जल्द से जल्द चाहते हैं।

चीन इस तकनीक में पहले से ही आगे बढ़ रहा है। कनाडाई मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, देश ने संभावित 6G ट्रांसमिशन के लिए एयरवेव्स की टेस्टिंग करने के लिए नवंबर में एक सैटेलाइट लॉन्च की गई थी और Huawei का कनाडा में 6G अनुसंधान केंद्र भी है। टेलीकॉम उपकरण बनाने वाली कंपनी ZTE ने चीन की Unicom Hong Kong के साथ मिलकर इस टेक्नोलॉजी का विकाश पहले से ही शुरू कर दिया है।

अमेरिका ने भी 6G तकनीक पर ज़ोर-शोर से काम करना शुरू कर दिया है। ATIS (द अलायंस फॉर टेलीकम्युनिकेशन्स इंडस्ट्री सॉल्यूशन्स) ने अक्टूबर में देश को 6G तकनीक में लीडर बनाने के लिए नेक्स्ट जी अलायंस की शुरुआत कर दी थी। इस अलायंस में Apple, AT&T, Qualcomm, Google और Samsung जैसे टेक्नोलॉजी दिग्गज शामिल हैं, लेकिन चीनी दिग्गज Huawei नहीं है। इससे साफ दिखाई देता है कि अमेरिका चीनी कंपनियों को अभी भी दबाने के मूड में है।

गठबंधन ने यह दिखाया कि जिस तरह से दुनिया 5 जी प्रतिद्वंद्विता के परिणामस्वरूप शिविरों का विरोध कर रही है। यूएस द्वारा नेतृत्व किया गया, जिसने Huawei को जासूसी जोखिम के रूप में पहचाना - एक आरोप चीनी विशालकाय इनकार करता है - जापान, ऑस्ट्रेलिया, स्वीडन और यूके सहित देशों ने अपने 5 जी नेटवर्क से फर्म को बंद कर दिया है। हालांकि, Huawei का स्वागत रूस, फिलीपींस, थाईलैंड और अफ्रीका और मध्य पूर्व के अन्य देशों में किया जाता है।

पिछले साल दिसंबर में यूरोपीय संघ ने भी Nokia के नेतृत्व में 6G वायरलेस प्रोजेक्ट की शुरुआत की, जिसमें Ericsson AB और Telefonica SA के साथ-साथ कुछ विश्वविद्यालय भी शामिल हैं।
 
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