भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (NPCI) ने जानकारी दी है कि 1 अप्रैल से मर्चेंट UPI (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) लेनदेन पर 1.1 प्रतिशत तक की इंटरचेंज फीस लागू होगी। पिछले कुछ समय ऐसी अफवाहें थी कि लोगों को 2,000 रुपये से ऊपर की पेमेंट करने पर फीस देनी होगी, लेकिन अब, NPCI ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ट्रांजेक्शन फीस लोगों पर नहीं, मर्चेंट से वसूली जाएगी।
हाल ही में NPCI ने एक सर्कुलर जारी करते हुए जानकारी दी कि UPI के जरिए लेनदेन के लिए प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (PPI) का उपयोग करने पर इंटरचेंज फीस लगेगी। यह फीस 2,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर वसूली जाएगी। इंटरचेंज फीस व्यापारियों की कैटेगरी के हिसाब से 0.5% से 1.1% तक, अलग-अलग होती है।
बुधवार को जारी किए अपने सर्कुलर में NPCI ने कहा कि नई फीस केवल प्रीपेड पेमेंट साधनों के जरिए किए गए मर्चेंट लेनदेन पर ही लागू होगा। इसके अलावा, यह भी स्पष्ट किया गया है कि सामान्य यूपीआई भुगतानों पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाएगा, जिसे "बैंक अकाउंट-टू-अकाउंट आधारित यूपीआई भुगतान" कहा गया है।
NDTV के
अनुसार, दूरसंचार, शिक्षा और उपयोगिताओं/डाकघर के लिए इंटरचेंज फीस 0.7% है, जबकि सुपरमार्केट के लिए फीस ट्रांजेक्शन वैल्यू का 0.9% है। वहीं, बीमा, सरकार, म्यूचुअल फंड और रेलवे के फीस कथित तौर पर 1%, ईंधन के लिए 0.5% और कृषि के लिए 0.7% है।
ये सभी फीस 1 अप्रैल से लागू होंगी। 30 सितंबर, 2023 को या उससे पहले NPCI द्वारा मूल्य निर्धारण को रिव्यू किया जाएगा।
रिपोर्ट आगे कहती है कि पीयर-टू-पीयर (P2P) और पीयर-टू-पीयर-मर्चेंट (P2PM) लेनदेन के मामले में इंटरचेंज लागू नहीं होगा। PPP जारीकर्ता को 2,000 रुपये से अधिक के लेनदेन के लिए वॉलेट-लोडिंग शुल्क के रूप में बैंक को 15 बेसिस पॉइंट्स (bps) का भुगतान करना होगा।