UPI का नया नया फीचर खत्म करेगा पैसे भेजने वालों की सरदर्दी, फ्रॉड पर लगेगी लगाम!

अभी कई UPI ऐप्स (TPAP, यानी थर्ड-पार्टी ऐप्स) में रिसीवर अपना नाम कस्टमाइज कर सकता था।

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Written by नितेश पपनोई, अपडेटेड: 30 अप्रैल 2025 19:11 IST
ख़ास बातें
  • P2P और P2PM ट्रांजैक्शन के दौरान यूजर को दिखाई देगा असली नाम
  • सिर्फ उसी शख्स या मर्चेंट का नाम दिखेगा जो बैंक की CBS में रजिस्टर्ड है
  • अभी कई UPI ऐप्स में रिसीवर अपना नाम कस्टमाइज कर सकता था

Photo Credit: Unsplash

जल्द ही UPI पेमेंट्स और भी ज्यादा ट्रस्टेबल बन जाएंगे। अब जब भी आप किसी को पैसे भेजेंगे, तो ऐप में आपको उसका असली बैंक रजिस्टर्ड नाम दिखेगा, ना कि कोई QR कोड से निकाला गया नाम, सेव कॉन्टैक्ट का नाम या यूजर का खुद से रखा हुआ डिस्प्ले नेम। यह नया नियम NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया) ने 24 अप्रैल 2025 को जारी एक सर्कुलर के जरिए अनाउंस किया है और इसे 30 जून 2025 तक सभी UPI ऐप्स में लागू करना जरूरी होगा। नीचे हम आपको इससे जुड़ी सभी जानकारियां दे रहे हैं।
 

किस तरह बदलेगा UPI इंटरफेस?

अब P2P (peer-to-peer) और P2PM (peer-to-peer-merchant) ट्रांजैक्शन के दौरान यूजर को सिर्फ उसी शख्स या मर्चेंट का नाम दिखेगा जो बैंक की CBS (कोर बैंकिंग सिस्टम) में रजिस्टर्ड है। QR कोड से निकाले गए नाम, UPI ID के नाम, या कॉन्टैक्ट लिस्ट से लिए गए नाम अब दिखाए नहीं जाएंगे।

NPCI के मुताबिक, 'अल्टिमेट बेनेफिशियरी' वही होता है जो डायरेक्टली सर्विस या प्रोडक्ट देने के बदले पैसे रिसीव कर रहा हो। बैंक का CBS सिस्टम रियल-टाइम ट्रांजैक्शन और अकाउंट डेटा मैनेज करता है, इसलिए वहीं से लिया गया नाम सबसे वेरिफाइड और ट्रेस करने लायक माना गया है।
 

अब तक क्या होता था?

अभी कई UPI ऐप्स (TPAP, यानी थर्ड-पार्टी ऐप्स) में रिसीवर अपना नाम कस्टमाइज कर सकता था। कई बार QR कोड से गलत नाम दिख जाता था या यूजर की कॉन्टैक्ट लिस्ट का नाम दिखता था, जिससे भ्रम की स्थिति बनती थी। कई केस में लोग ऐसे नामों के भरोसे पेमेंट कर देते थे जो असली बैंक रेकॉर्ड से मैच नहीं करते।
 

पेमेंट प्रोसेस में क्या फर्क पड़ेगा?

पेमेंट का तरीका पहले जैसा ही रहेगा, फर्क सिर्फ इतना होगा कि अब आप ट्रांजैक्शन से पहले सामने वाले का रजिस्टर्ड बैंक नाम देख पाएंगे। इससे गलती से गलत अकाउंट में पैसे भेजने की संभावना कम होगी। ET को दिए एक बयान में कैशफ्री पेमेंट्स के हेड ऑफ रिस्क एंड कम्प्लायंस, अतुल गुप्ता ने कहा, "यह बदलाव डिस्प्ले लेवल पर है, जिससे ट्रांजैक्शन से पहले क्लियरिटी बढ़ेगी और ट्रस्ट भी।"
 

फ्रॉड पर पड़ेगा असर

UPI फ्रॉड के केस में अक्सर देखा गया है कि स्कैमर ऐसा नाम यूज करते हैं जो किसी बड़ी कंपनी या भरोसेमंद सोर्स से मिलता-जुलता हो। जब यूजर वेरिफाई नहीं कर पाते कि सामने वाला असल में कौन है, तो धोखा होना आसान हो जाता है। रिपोर्ट के अनुसार, NTT DATA Payment Services India के CFO राहुल जैन का कहना है कि “इस नए नियम से वो फ्रॉड्स काफी हद तक रुकेंगे जो गलत नाम दिखाकर लोगों को गुमराह करते हैं। अब हर यूजर को ट्रांजैक्शन से पहले CBS से वेरिफाइड नाम दिखेगा।”
 

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