कोरोनावायरस के बाद अब चीनी रॉकेट हुआ आउट ऑफ कंट्रोल, धरती पर गिर सकता है कभी भी....

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि चीन का कोई रॉकेट अनियंत्रित हुआ हो। पिछली साल ठीक इसी महीने चीन के एक रॉकेट ने अपना नियंत्रण खोया था और वह पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक महासागर में गिरा था।

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नितेश पपनोई, अपडेटेड: 7 मई 2021 11:04 IST
ख़ास बातें
  • 28 अप्रैल को अंतरिक्ष के लिए रवाना किया गया था चीनी रॉकेट Long March 5B
  • मॉड्यूल छोड़ने के बाद आउट ऑफ कंट्रोल हुआ धरती में आने वाला हिस्सा
  • अब कभी भी और कही भी गिर सकता है मलबा

Long March 5B को 28 अप्रैल को अंतरिक्ष के लिए रवाना किया गया था

इस समय भारत समेत पूरी दुनिया कोरोनावायरस (Coronavirus) के कहर से जूझ रही है और अब कुछ देशों के सर पर एक और खतरे की टेंशन आ गई है। दरअसल, अंतरिक्ष में भेजे गए चीनी रॉकेट Long March 5B के धरती में वापस आने वाले हिस्से ने अपना नियंत्रण खो दिया है और वो किसी भी दिन वापस धरती पर अनियंत्रित अवस्था में ही प्रवेश कर सकता है। टेंशन इस बात की है कि अनियंत्रित होने की वजह से यह किसी भी जगह गिर सकता है। यदि यह आबादी वाले हिस्से में गिरता है, तो निश्चित तौर पर कई लोगों की जान जा सकती है। चीनी रॉकेट लॉन्ग मार्च 5बी का यह हिस्सा 100 फीट लंबा और 21 टन वज़नी बताया जा रहा है। 

ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि चीन का कोई रॉकेट अनियंत्रित हुआ हो। पिछली साल ठीक इसी महीने चीन के एक रॉकेट ने अपना नियंत्रण खोया था और वह पश्चिमी अफ्रीका के अटलांटिक महासागर में गिरा था। Long March 5B Y2 फिलहाल धरती के चारों तरफ लो-अर्थ ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है और कई देशों की स्पेस एजेंसियों की नज़र लगातार इसके ऊपर बनी हुई है। यह धरती के ऊपर 170 किलोमीटर से 372 किलोमीटर की ऊंचाई के बीच है। इसकी स्पीड 25,490 किलोमीटर प्रति घंटा बताई जा रही है।

बता दें कि चीन अपना खुद का स्पेस स्टेशन बना रहा है और यह रॉकेट 28 अप्रैल को इसी के लिए छोड़ा गया था। यूं तो Long March 5B ने अपना तय काम पूरा किया था। स्पेस में जाने के बाद इसने ले जाए गए मॉड्यूल को तय कक्षा में छोड़ दिया था, लेकिन वापस धरती पर आते समय इसने नियंत्रण खो दिया।

फिलहाल इसकी स्पीड और इसके एक्सिस को देखते हुए यह अंदाज़ा लगाया जा रहा है कि यह धरती पर कहां और किस समय गिरेगा, लेकिन इसका सटीक अनुमान लगाना मुश्किल है। SpaceNews की रिपोर्ट में यूरोपियन स्पेस एजेंसी के स्पेस सेफ्टी प्रोग्राम ऑफिस के प्रमुख होल्गर क्राग ने कहा है कि इस समय यह बता पाना मुश्किल है कि इस रॉकेट का कितना हिस्सा बचकर धरती पर आएगा, लेकिन सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि 17800 किलोग्राम वजनी कोर का 20 से 40 फीसदी हिस्सा जमीन तक आएगा या फिर समुद्र में गिरेगा। 

CNN की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका का कहना है कि उनकी नज़र लगातार इस रॉकेट पर बनी हुई है और यह इस वीकेंड यानी आने वाले दो से तीन दिनों में धरती पर गिर सकता है। अभी तक इसके न्यूयॉर्क, मैड्रिड और बीजिंग के आसपास गिरने के आसार है या फिर ऐसा भी हो सकता है कि यह दक्षिणी चिली और न्यूजीलैंड की राजधानी वेलिंग्टन के आसपास गिरे। हालांकि रिपोर्ट में कहा गया है कि हार्वर्ड विश्वविद्यालय के एस्ट्रोफिजिक्स सेंटर केएक खगोल वैज्ञानिक जोनाथन मैकडॉवेल (Jonathan McDowell) का कहना है कि इससे डरने की जरूरत नहीं है। उनका कहना है कि इसका मलबा (डेब्री) कहा गिरेगा, इसका अंदाज़ा लगाना फिलहाल असंभव है, क्योंकि रॉकेट जिस गति से यात्रा कर रहा है - इस परिस्थिति में मामूली बदलाव ट्रेजेक्ट्री को पूरी तरह से बदल सकता है।
 

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