अगर आपके घर में पुराने राउटर की धूल जम रही है, तो उसे दोबारा इस्तेमाल में लाने का वक्त आ गया है। इस गाइड में जानिए कैसे आप उसे रेंज एक्सटेंडर या एक्सेस पॉइंट बनाकर घर के हर कोने में Wi-Fi कवरेज बढ़ा सकते हैं।
Photo Credit: Unsplash/ Compare Fibre
हर Wi-Fi राउटर के अंदर वही हार्डवेयर होता है जो किसी एक्सेस पॉइंट या रिपीटर में होता है
आजकल हर घर में इंटरनेट उतना ही जरूरी हो गया है जितना बिजली या पानी। लेकिन ज्यादातर लोगों की शिकायत रहती है कि घर के किसी हिस्से में नेटवर्क अच्छा चलता है, तो किसी कोने में Wi-Fi सिग्नल गायब हो जाता है। खासकर बड़े घरों या डबल-फ्लोर अपार्टमेंट्स में ये दिक्कत और बढ़ जाती है। ऐसे में लोग नया रेंज एक्सटेंडर या Mesh राउटर सिस्टम खरीदने पर मजबूर हो जाते हैं। लेकिन अगर आपके घर में पुराना Wi-Fi राउटर पड़ा है, तो उसे ही आप एक दमदार रेंज एक्सटेंडर या एक्सेस पॉइंट (AP) में बदल सकते हो और वो भी बिना कोई नया खर्च किए।
दरअसल, हर Wi-Fi राउटर के अंदर वही हार्डवेयर होता है जो किसी एक्सेस पॉइंट या रिपीटर में होता है। बस फर्क सॉफ्टवेयर सेटिंग्स का होता है। पुराने राउटर को रिपीटर या एक्सेस पॉइंट मोड में कन्वर्ट कर देने से वो मेन राउटर से सिग्नल लेकर पूरे घर में री-ट्रांसमिट करता है। यानी जो Wi-Fi एक कमरे में सीमित था, अब पूरे घर में फैल जाएगा।
सबसे पहले आपको पुराने राउटर को अपने मेन राउटर से कनेक्ट करना होगा। इसके दो तरीके हैं, वायर्ड (LAN केबल से) और वायरलेस (Wi-Fi ब्रिज के जरिए)। अगर आप Ethernet केबल से कनेक्ट कर सकते हो, तो सबसे अच्छा रिजल्ट उसी से मिलेगा, क्योंकि स्पीड और लेटेंसी दोनों बेहतर रहती हैं। लेकिन अगर केबल संभव नहीं है, तो राउटर को वायरलेस रिपीटर मोड में चलाना पड़ेगा।
राउटर को अपने लैपटॉप या मोबाइल से कनेक्ट करो और ब्राउजर में जाकर उसका IP एड्रेस डालो, उदाहरण के लिए 192.168.0.1 या 192.168.1.1। आप कमांड प्रॉम्प्ट (CMD) के जरिए भी अपना IP एड्रेस निकाल सकते हो। अपने मेन WiFi से कनेक्ट करें और CMD ओपन करके IP Config लिखें, यहां आपको नीचे Default Gateway मिलेगा, जिसके सामने IP एड्रेस लिखा होगा। इसे ब्राउजर में डालें और आपको अपने राउटर का मैनेजमेंट पेज दिखाई देगा।
अब आपको यहां लॉगिन करना होगा, जिसके लिए डिफॉल्ट यूजरनेम व पासवर्ड राउटर के पीछे लिखा होता है। लॉगिन करने के बाद एडमिन पैनल में जाकर “Operation Mode” या “Network Mode” में रिपीटर/एक्सेस पॉइंट ऑप्शन सलेक्ट करें। हर ब्रांड का नाम थोड़ा अलग हो सकता है, जैसे TP-Link में इसे Range Extender Mode, D-Link में Repeater Mode, Tenda में Universal Repeater और Netgear में Bridge Mode कहा जाता है। ऑपरेशन मोड सलेक्ट करने के बाद आपके राउटर रीस्टार्ट होंगे।
इसके बाद सेकंडरी राउटर के मैनेजमेंट पेज से DHCP सर्वर को बंद कर दो ताकि मेन राउटर ही IP असाइन करे। फिर LAN पोर्ट को मेन राउटर से जोड़ो (अगर केबल यूज कर रहे हो) या Wi-Fi से कनेक्ट करो (अगर वायरलेस मोड यूज कर रहे हो)।
ध्यान रखें कि सेकंडरी राउटर को उस तरफ रखें, जहां से वो घर के उन बाकी हिस्सों को कवर करेगा, जहां मेन राउटर नहीं पहुंच पाता।
पुराने राउटर का SSID (Wi-Fi नाम) या तो मेन राउटर जैसा रखो ताकि दोनों नेटवर्क मर्ज होकर एक ही Wi-Fi दिखे, या फिर अलग नाम रखो ताकि तुम जान सको कौनसा नेटवर्क चल रहा है। IP एड्रेस के लिए ध्यान रहे कि दोनों राउटर एक ही रेंज में न हों, जैसे अगर मेन राउटर का IP 192.168.0.1 है, तो एक्सटेंडर को 192.168.0.2 या 192.168.0.3 दे दो। IP चेंज करने का ऑप्शन आपके राउटर के मैनेजमेंट पेज पर मौजूद होता है।
ज्यादातर ISPs के राउटर, चाहे JioFiber, Airtel Xstream या BSNL FTTH हों रिपीटर से कनेक्शन सपोर्ट करते हैं। लेकिन कुछ फाइबर मॉडेम्स में एक्सटेंडर मोड को एक्टिव करने के लिए एडमिन पैनल की जरूरत होती है।
राउटर को ऐसे लोकेशन पर रखो जहां वो मेन Wi-Fi के अच्छे सिग्नल पकड़ सके, बहुत दूर रखोगे तो सिग्नल कमजोर होगा, बहुत पास रखोगे तो रेंज नहीं बढ़ेगी। कोशिश करो कि दीवारों के बीच कम से कम इंटरफेरेंस हो और अगर दो मंजिल का घर है, तो पुराने राउटर को सीढ़ियों या मिड-पॉइंट पर रखो।
अगर रेंज चाहिए तो 2.4GHz बैंड का इस्तेमाल करो और अगर हाई-स्पीड चाहिए तो 5GHz बैंड। पुराने राउटर का फर्मवेयर अपडेट जरूर कर दो ताकि रिपीटर मोड सही चले।
ज्यादातर राउटर्स में “Repeater” या “Access Point Mode” का ऑप्शन होता है। अगर नहीं है, तो ओपन-सोर्स फर्मवेयर जैसे DD-WRT से इसे एक्टिव किया जा सकता है।
LAN से कनेक्शन में स्पीड और लेटेंसी बेहतर रहती है, जबकि वायरलेस मोड में सिग्नल थोड़ा कमजोर हो सकता है, खासकर दीवारों के पार।
हां, दोनों ISPs के राउटर्स रिपीटर मोड सपोर्ट करते हैं। बस IP एड्रेस और SSID सेटिंग सही रखनी होती है।
नेटवर्क क्लैश होगा। इसलिए एक्सटेंडर को अलग IP दो (जैसे 192.168.0.2), ताकि कनेक्शन स्थिर रहे।
थोड़ा असर हो सकता है, खासकर वायरलेस रिपीटर मोड में। लेकिन सही प्लेसमेंट और 2.4GHz बैंड यूज करने पर स्पीड लॉस बहुत कम होता है।
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