• होम
  • इंटरनेट
  • ख़बरें
  • रूस यूक्रेन युद्ध में भारतीय छात्रों के लिए जब सोशल मीडिया बन गई जान बचाने का जरिया ...

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय छात्रों के लिए जब सोशल मीडिया बन गई जान बचाने का जरिया ...

रूस हमले के दौरान यूक्रेन में फंसे छात्रों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ।

रूस-यूक्रेन युद्ध में भारतीय छात्रों के लिए जब सोशल मीडिया बन गई जान बचाने का जरिया ...

भारत पहुंचने के बाद IAF के विमान से उतरकर चलते छात्र।

ख़ास बातें
  • रूस का हमला शुरू होते ही सोशल मीडिया पर आ गई फोटो और वीडियो की बाढ़।
  • Whatsapp और Telegram की मदद से लोग करते रहे आपस में संपर्क।
  • युद्ध के दौरान सोशल मीडिया पर फेक न्यूज भी बनी परेशानी का कारण।
विज्ञापन
रूस हमले के दौरान यूक्रेन में फंसे छात्रों का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इसमें यूक्रेन के सूमी शहर में फंसे छात्र भारत का राष्ट्रीय ध्वज लिए हुए दिखे और धमकी देते दिखाई दिए कि वे रूस के बॉर्डर तक पैदल चलकर जाएंगे। इस वीडियो ने भारतीय और अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा। नतीजा ये हुआ कि भारतीय सरकार को उन्हें वहां से निकालने के लिए तेजी से कदम उठाने पड़े। 

बुधवार तक यूक्रेन के इस उत्तर-पूर्वी शहर में फंसे छात्रों को वहां से निकाल लिया गया। यह घटना इस बात का सबसे अच्छा उदाहरण देती है कि किस तरह सोशल मीडिया रूस-यूक्रेन युद्ध में फंसे लोगों का सहारा बना। रूस का हमला शुरू होने के साथ ही सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर यूक्रेन में फंसे लोगों, सैनिकों और राजनेताओं के फोटो और वीडियो की जैसे बाढ़ सी आ गई। 25 वर्षीया मेडिकल स्टूडेंट जिस्ना जीजी, जो उन 700 छात्रों के ग्रुप में शामिल थी जिन्होंने रूस बॉर्डर तक पैदल यात्रा करने का निर्णय लिया, ने बताया कि सोशल मीडिया ने उनको वहां से निकलने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। 

"हमारे रहने-खाने का प्रबंध कम होता देख हम सरकार से आग्रह कर रहे थे कि हमें जल्द से जल्द वहां से निकाला जाए, लेकिन हमारी सुनवाई नहीं हुई। बमबारी शुरू हो चुकी थी। फिर आखिर में परेशान होकर हमने सोशल मीडिया पर वीडियो पोस्ट करने का फैसला किया। यह कुछ ही घंटों में वायरल हो गया और सरकार से हमें रेस्पोन्स मिला। उसके बाद हमें वहां से निकाल लिया गया।"

लोगों के हाथ में रहने वाला मोबाइल फोन युद्ध के हर हालात को दुनिया के सामने रखने का जरिया बन गया। केरल के रहने वाले 25 वर्षीय मेडिकल स्टूडेंट आसफ हुसैन अपने दोस्तों के साथ एक मेट्रो बंकर में फंस गए। ऊपर बमबारी हो रही थी और नीचे वो अपने दोस्तों के साथ फंसे थे।  उनके संसाधन खत्म होने लगे और मदद की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही थी। 

इसलिए आसफ़ ने अपने Instagram पेज का इस्तेमाल करने की सोची। उनके हजारों में फोलोअर्स हैं और उन्होंने बंकर के अपने हालातों के वीडियो और फोटो इंस्टाग्राम पेज पर शेयर करना शुरू कर दिए। उन्होंने अपनी हर मुसीबत के बारे में बताया कि कैसे उन्हें खाने का इंतजाम करना पड़ रहा है और कैसे वो पीने के पानी के लिए मशक्कत कर रहे हैं। 

सोशल मीडिया के दौर में लोग युद्ध जैसी भयावह स्थितियों को अपने मोबाइल फोन के जरिए सारी दुनिया तक पहुंचा पा रहे हैं। यह उन परिवारों के लिए भी मददगार साबित होता है जो ऐसी जगहों पर फंस गए हैं। मोबाइल की मदद से उन्हें ताजा हालातों के बारे में अपडेट मिलता रहता है। हुसैन ने कहा, "सोशल मीडिया ने हमारे परिवार और मां-बाप को हर स्थिति के बारे में अपडेट रखने में मदद की क्योंकि उस समय अफवाहें बहुत फैल रही थीं। सोशल मीडिया के माध्यम से हमने सच उन तक पहुंचाया।"

स्टूडेंट कॉर्डिनेटर सीमेश शशिधरन के लिए कीव में फंसे 800 छात्रों के ग्रुप को संभालना बहुत मुश्किल था। Telegram ग्रुप की मदद से वह सभी छात्रों तक जरूरी सूचना पहुंचाते रहे। इससे उन्हें स्टूडेंट्स के स्टेटस के बारे में लगातार अपडेट मिलते रहे। "चारों तरफ बमबारी हो रही थी और मेरे साथ 800 छात्र थे। हमने उन्हें 40-50 के ग्रुप में बांट दिया। प्रत्येक ग्रुप की जिम्मेदारी दो सीनियर स्टूडेंट्स को दी गई। वहां से निकालने के लिए चार रूट्स बनाए गए थे जिससे छात्र यहां वहां बिखर गए थे।

इंटरनेट ने हमें लोगों को जोड़े रखने में मदद की। हमने उन्हें बताया कि कौन से रूट पर जाना है और कहां नहीं जाना है। हमने 800 लोगों का एक टेलीग्राम ग्रुप बना दिया और उनको ट्रेन टाइमिंग्स के बारे में लगातार अपडेट करते रहे।" शिशिधरन ने बताया। प्रथम वर्ष के मेडिकल स्टूडेंट कनिष्क पिछले हफ्ते ही सुरक्षित भारत पहुंचे। उन्होंने बताया कि हमसे पहले जो लोग यूक्रेन में से निकलने में कामयाब हुए उन्होंने सोशल मीडिया की मदद से हमें वहां से निकलने के रास्ते ढूंढने में मदद की। 

"हमने आपस में संपर्क बनाए रखने और बातचीत करने के लिए WhatsApp ग्रुप का इस्तेमाल किया। इंडियन एम्बेसी (भारतीय दूतावास) से वहां से निकलने के लिए जो भी जानकारी आ रही थी, वो उस वॉट्सऐप ग्रुप पर फॉरवर्ड कर दी जाती थी। निकाले जाते समय भी हमें खुद ही बॉर्डर तक पहुंचने के लिए कहा गया, इसलिए जो स्टूडेंट पहले ही निकल चुके थे उन्होंने हमें वहां के ड्राइवरों और रूट्स की सारी जानकारी दी।" कनिष्क ने बताया। 

यूक्रेन के अधिकारियों ने भी विदेशी लोगों और लोकल हैकर्स को युद्ध में शामिल करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया। सोशल मीडिया का एक दूसरा पहलू भी युद्ध के दौरान देखने को मिला कि ऐसे समय में फेक न्यूज और ट्रोलिंग भी जोरों पर थीं। 

हुसैन ने बताया, "हमें लोगों ने विदेश में आकर पढ़ाई करने को लेकर सोशल मीडिया पर खूब ट्रोल किया। उस समय फेक न्यूज बहुत ज्यादा आ रहीं थीं। हम लोग पहले से ही परेशान थे और फेक न्यूज के चलते हमारी परेशानी और ज्यादा बढ़ रही थी।" युद्ध के मुश्किल हालातो में रियल और फेक न्यूज़ में अंतर करना भी बहुत मुश्किल हो जाता है। लेकिन यूक्रेन युद्ध में सोशल मीडिया निश्चित रूप से ही लोगों के लिए अपनी जान बचाने का जरिया बना।

Comments

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

गैजेट्स 360 स्टाफ

द रेजिडेंट बोट । अगर आप मुझे ईमेल करते हैं, तो कोई इंसान जवाब ...और भी

Share on Facebook Gadgets360 Twitter ShareTweet Share Snapchat Reddit आपकी राय google-newsGoogle News

विज्ञापन

Follow Us

विज्ञापन

#ताज़ा ख़बरें
  1. 47 हजार रुपये सस्ता हुआ 50MP कैमरा, 4900mAh कैमरा ये स्मार्टफोन, अब तक का सबसे तगड़ा ऑफर
  2. ChatGPT की तरह बोलने लगे हैं इंसान, स्टडी में हुआ खुलासा
  3. Apple के iPhone 17 Pro, iPhone 17 Pro Max में टाइटेनियम के बजाय हो सकता है एल्युमीनियम फ्रेम
  4. Samsung के ट्रिपल फोल्ड स्मार्टफोन में 9.96 इंच डिस्प्ले के साथ मिल सकती है सिलिकॉन कार्बन बैटरी
  5. Top Smartphones Under Rs 25,000: OnePlus Nord CE 5 से लेकर iQOO Z10 5G तक, ये हैं टॉप स्मार्टफोन!
  6. Vivo का V60 जल्द हो सकता है भारत में लॉन्च, OriginOS के साथ होगा पहला इंटरनेशनल हैंडसेट!
  7. Google के अगले महीने Pixel इवेंट में लॉन्च हो सकती है Pixel 10 सीरीज
  8. Realme 15 5G में होगा MediaTek Dimensity 7300+ चिपसेट, 6.8 इंच डिस्प्ले
  9. आपके मोबाइल से कहां जा रहा है प्राइवेट डेटा? इन 3 पॉपुलर चाइनीज ऐप्स पर उठे गंभीर सवाल
  10. Dylect ने भारत में लॉन्च की Sony STARVIS 2 सेंसर, ADAS सिस्टम वाली स्मार्ट डैशकैम सीरीज, जानें कीमत
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.
ट्रेंडिंग प्रॉडक्ट्स »
लेटेस्ट टेक ख़बरें »