Google का आज 2 जून को खास गूगल अमेरिकी एक्टिविस्ट Frank Kameny को समर्पित है। दरअसल, फ्रैंक कामेनी सामलैंगिक थे, जिस वजह से उन्हें समाज पर धब्बा समझा जाता था। यही नहीं उनके सामलैंगिक होने की वजह से उन्हें नौकरी से भी निकाल दिया गया था। लेकिन फ्रैंक कामेनी ने समाज के डर से अपनी पहचान छुपाना सही नहीं समझा। फिर क्या... फिर शुरू हुई समाज की सोच और सामलैंगिक के अधिकारिकों की लड़ाई। कई सालों बाद अब कई देशों में सामलैंगिकता को पहचान मिल चुकी है। इसी को देखते हुए जून का महीना Pride Month के रूप में मनाया जाता है, जिस दौरान सामलैंगिक लोगों को खुद पर गर्व महसूस कराया जाता है। इसके अलावा, समलैंगिकता को सपोर्ट करने वाले लोग जागरूकता फैलाने के लिए जगह-जगह पर कई कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं। ऐसे में इस खास महीने की शुरूआत में सामलैंगकिता को पहचान दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले फ्रैंक कामेनी को गूगल द्वारा याद किया गया है।
Google ने अपने खास
Doodle के जरिए Frank Kameny (फ्रैंक कामेनी) की उपलब्धियों और उनके संघषों को याद किया है। जैसे ही आज आप कुछ सर्च करने के लिए गूगल को खोलेंगे, तो आपको फ्रैंक कामेनी का डूडल देखने को मिलेगा। डूडल पर क्लिक करते ही आपको उन पर लिखे विभिन्न लेख और विकिपिडिया पेज़ देखने को मिलेगा, जिसे ओपन करके आप उनके संघर्षों और उपलब्धियों के बारे में पढ़ सकते हैं।
इंटरनेट पर प्राप्त जानकारी के अनुसार, फ्रैंक कामेनी का जन्म 21 मई 1925 को न्यूयॉर्क में हुआ था। उन्होंने रिचमंड हिल हाई स्कूल, हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, क्वींस कॉलेज, सिटी यूनिवर्सिटी ऑफ न्यूयॉर्क जैसे संस्थानों से शिक्षा प्राप्त की थी। 1957 में फ्रैंक कामेनी ने आर्मी मैप सर्विस ( Army Map Service) के साथ अमेरिका सरकार के खगोल शास्त्री के रूप में नौकरी प्राप्त की थी, लेकिन बाद में उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। वजह थी उनका समलैंगिक होना। उस वक्त अमेरिका जैसे देश भी सामलैंगिकता को समाज पर कलंक समझा करते थे, लेकिन फ्रैंक कामेनी ने समाज के डर से अपनी पहचान छुपाना सही नहीं समझा। इस समाज की सोच के साथ अपनी लड़ाई का पहला कदम उठाते हुए फ्रैंक कामेनी ने अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट का रूख किया। इसके बाद 1960 में उन्होंने व्हाइट हाउस के बाहर सामलैंगिक आधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन भी किए। यह अमेरिका में सामलैंगिक अधिकारों के लिए होने वाला पहला विरोध प्रदर्शन था। धीरे-धीरे करके उनके साथ कई और लोग जुड़ना शुरू हो गए, जिसके बाद अमेरिकी सरकार को आखिरकार फ्रैंक कामेनी के आगे आखिरकार झुकना ही पड़ा।
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