दिल्ली में ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने बस और कैब एग्रीगेटर पॉलिसी को पास कर दिया है। परिवहन विभाग ने कहा है कि पॉलिसी को प्रेदश की ट्रांसपोर्ट सर्विस को पहले से ज्यादा सुरक्षित और सुविधाजनक बनाने के मकसद से लाया गया है। इस पॉलिसी को जनता की राय लेने के बाद आखिरी रूप दिया गया है। पॉलिसी पर सरकार की मुहर के लिए इसे दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पास भेज दिया गया है।
कैब एग्रीगेटर पॉलिसी के बारे में दिल्ली के परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने मीडिया बयान में कहा कि यह यात्रियों के हितों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए पॉलिसी के माध्यम से कई प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि पॉलिसी लागू होते ही ऐप आधारित
कैब सर्विस प्रोवाइडर्स को 90 दिनों के भीतर सरकार के साथ रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। हिंदुस्तान की
रिपोर्ट के मुताबिक, सर्ज प्राइसिंग को इसमें शामिल नहीं किया गया है। यानी कि व्यस्त समय में भी किराया बढ़ोत्तरी का प्रावधान इसमें नहीं जोड़ा गया है।
दिल्ली
कैब एग्रीगेटर पॉलिसी का मुख्य मकसद दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ोत्तरी पर खास जोर देना है। कहा गया है कि 2030 तक दिल्ली में चलने वाली ऐप आधारित कैब और डिलीवरी सर्विसेज को इलेक्ट्रिक मीडियम में तब्दील कर दिया जाएगा। पॉलिसी के तहत बाइक टैक्सी को भी दिल्ली के परिवहन तंत्र में शामिल किया गया है, लेकिन इसके लिए केवल
इलेक्ट्रिक टूव्हीलर ही मान्य होंगे। यह प्रावधान दिल्ली ईवी पॉलिसी 2020 को ध्यान में रखकर बनाया गया है।
इसके अलावा सरकार ने एग्रीगेटर्स के लिए व्हीकल को इलेक्ट्रिक में तब्दील करने के लिए एक समय सीमा तय कर दी है। जिसके मुताबिक पॉलिसी लागू होने के बाद पहले 6 महीने के भीतर बेड़े में नई शामिल हुई कारों को इलेक्ट्रिक में बदलना होगा। वहीं माल ढोने वाले टूव्हीलर और थ्रीव्हीलर (इसमें मालवाहक और पैसेंजर व्हीकल भी शामिल हैं) के लिए कहा गया है पॉलिसी लागू होने के 6 महीने के भीतर इनमें से 10 प्रतिशत को इलेक्ट्रिक में तब्दील करवाना होगा।