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बिटकॉइन की माइनिंग में नैचुरल गैस का प्रयोग करने पर विचार, पर्यावरण में होने वाले नुकसान को रोकने की कवायद

बिटकॉइन की माइनिंग में अनगिनत कंप्यूटर मशीनें जटिल समीकरणों को सुलझाती हैं जो कि किसी राष्ट्र की कुल ऊर्जा खपत के जितनी ऊर्जा खपत करती हैं

बिटकॉइन की माइनिंग में नैचुरल गैस का प्रयोग करने पर विचार, पर्यावरण में होने वाले नुकसान को रोकने की कवायद

बिटकॉइन माइनिंग में प्रोसेसर्स की एक बड़ी संख्या हर वक्त काम करती है

ख़ास बातें
  • बिटकॉइन की माइनिंग के दुष्प्रभावों को लेकर पर्यावरण संबंधी चिंताएं बढ़ीं
  • टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने भी की थी बिटकॉइन माइनिंग को लेकर आलोचना
  • माइनिंग प्रक्रिया में फ्लेअर्ड नैचुरल गैस को प्रयोग करने की कवायद
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बिटकॉइन की कीमतों में आती गिरावट और इसका उत्पादन करने में होने वाली गहन ऊर्जा प्रक्रिया को लेकर अब चिंताएं बढने लगी हैं। इसलिए यूएस में क्रिप्टोकरंसी के एंत्रप्रेन्योर अब कहने लगे हैं कि उनको इसका समाधान फ्लेअर्ड नैचुरल गैस में मिल गया है।

लाभागत निर्माण या माइनिंग में बिटकॉइन (भारत में कीमत) और दूसरी अन्य क्रिप्टोकरंसी के लिए अनेकों कम्प्यूटर मशीनें विचारपूर्वक जटिल समीकरणों को सुलझाती रहती हैं जिससे कि विश्व स्तर पर इसमें समूचे राष्ट्र से भी कहीं अधिक ऊर्जा खपत होती है। मगर अब इन स्टार्टअप का कहना है कि तैलीय कुओं के सामने ज्वलनशील गैस को रखना इसके लिए उत्तम ऊर्जा स्रोत है।

EZ Blockchain के सीईओ Sergii Gerasymovych ने कहा कि यह मार्केट बहुत ही ज्यादा बड़ी है। EZ Blockchain के पास 6 अलग अलग डेटा सेंटर हैं जो कि यूएस स्टेट्स ऑफ ऊटाह, न्यू मैक्सिको और कनाड़ा में नैचुरल गैस से संचालित होते हैं। देशभर में EZ Blockchain जैसी कंपनी शिपिंग कंटेनर को सेटअप कर रही हैं जहां पर बनाए गए रैक में सैकड़ों क्रिप्टोकरंसी माइन कंम्प्यूटर्स को लगाया गया है। इनको तेल कुओं से निकलने वाली नैचुरल गैस के द्वारा ईंधन दिया जा रहा है जो न किया जाए तो गैस खुले में बर्बाद ही चली जाती है।

Bitcoin और इथिरियम (भारत में कीमत) और डॉगकॉइन (भारत में कीमत) जैसी क्रिप्टोकरंसी ने कोविड महामारी के दौरान विश्व अर्थव्यवस्था के मुंह के बल गिरने के बाद कीमतों में आकाशीय तेजी देखी है। अब मुख्य धारा कंपनी भी इस तकनीक को अपना रही हैं। मगर इस डिजिटल संपत्ति की ऊर्जा खपत के बारे में एक उलट लहर उस वक्त उठने लगी जब इसका संबंध कार्बन उत्सर्जन ऊर्जा स्रोत से पाया गया जो कि पर्यावरण में बदलाव करता है।

इस सप्ताह टेस्ला के मालिक एलन मस्क ने बिटकॉइन की ऊर्जा खपत की आलोचना की, खासकर कि कोयले से उत्पन्न होने वाली ऊर्जा की। उन्होंने कहा कि वह अपनी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री में बिटकॉइन को पेमेंट के रूप में स्वीकार नहीं करेंगे। वहीं इस नये अनुभवहीन व्यवसाय में लगे एंत्रप्रेन्योर कह रहे हैं कि इस चिंता को नैचुरल गैस के प्रयोग से खत्म किया जा सकता है। ऑयल और गैस रिसर्च फर्म BTU Analytics के एनालीसिस मैनेजिंग डायरेक्टर Tony Scott ने कहा कि नैचुरल गैस के द्वारा उत्सर्जन अवशेषों में आई गिरावट को साफ देखा जा सकता है। स्कॉट ने कहा, "चीजों की बड़ी योजना और अन्य भार के सापेक्ष यह बहुत छोटी है।" "वे इकॉनोमिक वैल्यू तो बना रहे हैं मगर आवश्यक रूप से वह उत्सर्जन प्रोफाइल को नहीं बदल रहे हैं।"
 

ऊर्जा का दोहन

बिटकॉइन की माइनिंग में विश्व भर में अनगिनत प्रोसेसर्स लगे हुए हैं। कैम्ब्रिज बिटकॉइन एनर्जी कन्जम्प्शन इनडेक्स (CBECI) के मुताबिक यह प्रक्रिया 149.6TWh प्रति वर्ष के हिसाब से ऊर्जा की खपत करती है। यह ऊर्जा मिस्र की कुल बिजली खपत से थोड़ी ही कम है।
सबसे लोकप्रिय क्रिप्टोकरंसी के रूप में बिटकॉइन निसंदेह मूल्यवान है जो साल भर पहले $10,000 (लगभग 7 लाख रुपये) से कम में ट्रेड कर रही थी मगर अब $50,000 (लगभग 36.6 लाख रुपये) पर ट्रेड कर रही है। जाहिर तौर पर यह माइनर्स को मार्जिन बढाने के लिए सबसे सस्ता ऊर्जा स्रोत खोजने का प्रलोभन दे रही है।
 

फ्लेअर्ड नैचुरल गैस में प्रवेश

ऑयल निर्माणकर्ता नैचुरल गैस को जला सकते हैं यदि उनको इसे प्रोसेस करने का तरीका मिल जाए। कम कीमत में इसकी पाइपलाइन बनाना काफी जटिल होगा। Quantum Economics के बिटकॉइन एनालिस्ट Jason Deane ने कहा, "माइनर्स वहां पर स्थापित होना चाहते हैं जहां पर ऊर्जा अधिक मात्रा में हो। यही अब गैस फ्लेअरिंग का नया कॉन्सेप्ट है।"

नैचुरल गैस को भभकाने में कई ग्रीनहाउस गैस भी दहन हो जाती हैं। मगर अन्तर्राष्ट्रीय एनर्जी ऐजेंसी का कहना है कि 2019 में लगभग 150 बिलियन क्यूबिक मीटर नैचुरल गैस को भभकाने में उतनी ही मात्रा में कॉर्बन डाईऑक्साइड गैस निकली थी जितनी कि अकेले इटली से निकलती है। बिटकॉइन को माइन करने के लिए एप्लीकेशन स्पेसिफिक इंटीग्रेटेड सर्किट को फ्लेअर्ड नैचुरल गैस से ऊर्जा देना उत्सर्जन को पूरी तरह से नहीं रोक सकता है। मगर यह इसे जलाने से अधिक कुशल होगा और उस ऊर्जा का प्रयोग हो पाएगा जो बाद में बर्बाद में हो जानी थी।

Giga Energy Solutions के सह संस्थापक Matt Lohstroh ने कहा, "हम आ रहे हैं, वे अपनी गैस से शून्य निर्माण कर रहे हैं, हम कहते हैं हम आ रहे हैं और हम आपके हाथों से गैस ले लेंगे और आपको बदले में कुछ तो देंगे।" हम आपके उत्सर्जन को कम कर सकेंगे, इसे जला देंगे और अपनी तरफ से इसका आर्थिक मूल्य बना देंगे।"
 

सस्ती ऊर्जा

नैचुरल गैस का छोर इसकी ऊर्जा की लागत में है। CBECI का अनुमान है कि बिटकॉइन माइनिंग के लिए औसत वैश्विक ऊर्जा लागत लगभग $0.05 (लगभग 4 रुपये) प्रति KWh है। Lohstroh ने कहा कि नैचुरल गैस का प्रयोग इस लागत को $0.018 (लगभग 2 रुपये) से नीचे ले आएगा। अब क्रिप्टोकरंसी को फ्लेअर्ड गैस देने में रुचि बढने लगी है, और यह केवल इसलिए नहीं हो रहा है क्योंकि इन डिजिटल संपत्तियों की वैल्यू अब बढ रही है।

क्रिप्टोकरंसी माइनिंग में Ecoark होल्डिंग कंपनी को लीड करने वाले Britt Swann ने कहा, "फ्लेअर गैस परमिट को जारी करने से पहले इसकी समीक्षा होनी चाहिए और मुझे लगता है कि ये प्रोडक्ट उसको साकार कर रहे हैं।"ये इसे खेलना चाहते हैं और इस गैस को प्रयोग करने का तरीका खोजना चाहते हैं बिना इसकी कोई कीमत लिए।"

वहीं कंपनी ये भी सोच रही हैं कि बिटकॉइन और दूसरी डिजिटल संपत्तियों को लेने के बाद उनका क्या करना है, वहीं Ecoark इसको डॉलर में बदलने का विचार कर रही है। मगर Lohstroh बिटकॉइन को होल्ड करने का विचार कर रहे हैं। उनका मानना है कि एक दिन यह नए ग्लोबल फाइनेंशिअल सिस्टम को रेखांकित करेगा। उन्होंने कहा, "इस सबसे मूल्यवान एसेट को बेचने की कोई आवश्यकता नहीं है, अभी यह कीमत में बहुत कम है।"

भारतीय एक्सचेंजों में क्रिप्टोकरेंसी की कीमतें

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