Ola Electric की मुसीबतें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। एक ओला इलेक्ट्रिक यूजर ने एक्सटेंडेड वारंटी, Ola Care प्लान और हाइपर चार्जर होम इंस्टॉलेशन के साथ एक Ola S1 Pro इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदा। इसके लिए कुल 1,63,986 रुपये का पेमेंट करने के बावजूद, ग्राहक को स्कूटर के साथ लगातार समस्याओं का सामना करना पड़ा, जिसमें सबसे बड़ी खराबी बैटरी सिस्टम में थी। यूजर ने कंपनी के सर्विस सेंटर पर समस्या के निदान के लिए बार-बार अनुरोध किया, लेकिन कंपनी ने सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं दी। इसके बाद यूजर ने रिफंड की मांग के लिए कानून का सहारा लिया और एक साल से लंबी लड़ाई के बाद आखिरकार कोर्ट ने Ola Electric के ऊपर बड़ा जुर्माना लगाया है।
कंज्यूमर कमीशन (District Consumer Disputes Redressal Commission) के जजमेंट डॉक्यूमेंट के अनुसार, एक ग्राहक ने जून 2022 को एक्सटेंडेड वारंटी और ओला केयर प्लान के साथ Ola S1 Pro इलेक्ट्रिक स्कूटर खरीदा था। इसके अलावा, ग्राहक ने अपने घर पर Ola का हाइपरचार्जर भी इंस्टॉल कराया और इस पूरे पैकेज के लिए उसने कुल 1,63,986 रुपये का पेमेंट किया। हालांकि, शुरुआत से ही यूजर को ओला ई-स्कूटर में बैटरी के साथ-साथ कुछ अन्य समस्याओं का सामना करना पड़ा। स्कूटर के चार्जिंग सिस्टम को डिलीवरी के 10 दिनों के बाद ही बदलने की नौबत आई। इसके तुरंत बाद, बैटरी संबंधी समस्याएं सामने आईं, जिससे स्कूटर काम करना बंद कर दिया।
रिपोर्ट आगे बताती है कि यूजर द्वारा बार-बार शिकायतें दर्ज कराने के बावजूद, Ola Electric की ओर से अपर्याप्त प्रतिक्रिया थी। खरीदने के कुछ दिनों बाद से शिकायतकर्ता को उसका ई-स्कूटर चलाने तक का मौका नहीं मिला, क्योंकि कंपनी ने अगस्त 2023 में निरीक्षण के ई-स्कूटर को अपने पास रख लिया था। इसके बाद शिकायतकर्ता ने 31 अक्टूबर, 2023 को कानूनी नोटिस जारी कर रिफंड की मांग की, जिसे ओला ने भी नजरअंदाज कर दिया।
इसके बाद उपभोक्ता आयोग ने शिकायत के जवाब में ओला इलेक्ट्रिक को नोटिस जारी किया, लेकिन इसे भी कंपनी द्वारा नजरअंदाज कर दिया गया। नतीजतन, आयोग ने 11 मार्च, 2024 को ओला को एकपक्षीय आदेश दिया। अपने फैसले में, उपभोक्ता आयोग ने ओला इलेक्ट्रिक को ई-स्कूटर के लिए के लिए दी गई पूरी 1,63,549 रुपये की पेमेंट को वापस करने का निर्देश दिया। इसके अलावा, कंपनी को ई-स्कूटर खरीदने की तारीख से लेकर फैसले की तारीख तक 9% प्रति वर्ष के हिसाब से ब्याज का भुगतान करने का भी आदेश दिया गया है।
डॉक्यूमेंट कहता है कि यदि कंपनी 45 दिनों तक ऐसा नहीं करती है, तो ब्याज की दर 12% प्रति वर्ष होगी। इतना ही नहीं, शिकायतकर्ता को इस घटना के कारण हुए उत्पीड़न और मानसिक तनाव के लिए मुआवजे के रूप में 10,000 रुपये दिए जाने का आदेश भी दिया गया है।
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