केंद्र सरकार के मोदी कैबिनेट ने "पीएम ई-बस सेवा" (PM e-Bus Sewa) स्कीम को मंजूरी दे दी है, जिसका उद्देश्य सिटी बस सेवा को बढ़ावा देना और शहरों में लोगों के आवागमन को आसान बनाना है। कैबिनेट ने फैसला लिया है कि बिना संगठित बस सेवा वाले शहरों को प्राथमिकता देनी चाहिए। इस योजना के अनुसार, 169 शहरों में 10,000 ई-बसें चलाई जाएंगी। 181 शहरों में ग्रीन अर्बन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए भी बजट आवंटित किया गया है।
बुधवार, 16 अगस्त को केंद्र सरकार ने घोषित किया कि PM e-Bus Sewa स्कीम को मंजूरी दे दी गई है, जिसके तहत 169 शहरों में 10,000 ई-बसें चलाई जाएंगी। इतना ही नहीं, मोदी कैबिनेट का कहना है कि 181 शहरों में ग्रीन अर्बन मोबिलिटी को बढ़ावा देने के लिए भी बजट आवंटित किया गया है, जिसके लिए कुल मिलाकर 57,000 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इस योजना के तहत 20,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार द्वारा प्रदान किए जाएंगे।
पीएम ई-बस सेवा नाम की इस योजना का प्रबंधन अगले 10 सालों के लिए किया जाएगा। योजना के तहत, उन शहरों को चुना जाएगा जिनमें आबादी 3 लाख या उससे अधिक है। सभी केंद्रशासित प्रदेशों की राजधानियों, उत्तर-पूर्वी क्षेत्र और पर्वतीय राज्यों को भी शामिल किया गया है। इस योजना के तहत, वे शहर भी शामिल होंगे जिनमें बस सेवा उपलब्ध नहीं है। इसके अनुसार, यह योजना 45,000 से 55,000 नौकरियों की जगह बनाएगी।
इस योजना के अंतर्गत, 169 शहरों में बस सेवा को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा, जिनमें 10,000 बसें पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मॉडल के तहत चलाई जाएंगी। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि बस सेवा के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा मौजूद हो। साथ ही, ई-बस सेवा के साथ जुड़ी अन्य सुविधाएं भी प्रदान की जाएंगी।
इसके साथ ही, सरकार 181 नए शहरों में भी बस सेवा शुरू करेगी। केंद्र सरकार ग्रीन इनिशिएटिव के तहत उन सभी सुविधाओं को प्रदान करेगी, जो राज्य सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाएंगी। सरकार राज्य सरकार के माध्यम से सब्सिडी प्रदान करेगी, जबकि सभी कामों का मैनेजमेंट और उसपर नजर रखने का काम राज्य सरकार का होगा।