रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद चमका Terra, बनी दुनिया की 7वीं सबसे बड़ी क्रिप्टोकरेंसी

एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस और यूक्रेन के युद्ध ने इस टोकन में यह बड़ा बदलाव किया है क्योंकि निवेशक अब स्टेबल कॉइन्स की तरफ भाग रहे हैं जिनमें (Terra) Luna भी शामिल है।  

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हेमन्त कुमार, अपडेटेड: 5 मार्च 2022 15:37 IST
ख़ास बातें
  • 24 फरवरी को Terra की कीमत 50 डॉलर के आसपास थी।
  • वर्तमान में इसकी कीमत 90 डॉलर को पार कर चुकी है।
  • पिछले एक महीने में दोगुनी हो चुकी है इस टोकन की कीमत।
Terra (Luna) क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में बहुत ज्यादा पॉपुलर नहीं है लेकिन फिर भी पिछले कुछ दिनों में इसने बाकी क्रिप्टो टोकनों की तुलना में ज्यादा रिटर्न दिया है। पिछले महीने जहां क्रिप्टोकरेंसी मार्केट में लगातार उतार-चढ़ाव और जोखिम बना हुआ था वहीं, Terra की परफॉर्मेंस उस समय टॉप पर चल रही थी और रिटर्न देने के मामले में यह अन्य पॉपुलर डिजिटल टोकनों से कहीं आगे रहा। 

यह हैरान कर देने वाला है कि पिछले एक महीने में इसकी कीमत 47 डॉलर से उठकर 91 डॉलर तक जा चुकी है। इसका अर्थ साफ है कि महीने भर के अंदर Terra की वैल्यू (Terra Value) में दोगुना इजाफा हो चुका है और टोकन की रिटर्न देने की क्षमता दोगुनी हो गई है। यहां पर यह जानना भी रोचक होगा कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के शुरू होने के एक हफ्ते के अंदर इस टोकन की कीमत में जबरदस्त ग्रोथ हुई है। 

Terra की प्राइस हिस्ट्री (Terra price history) देखें तो 24 फरवरी को इसकी कीमत 50 डॉलर के आसपास थी। लेकिन उसके बाद से इसकी कीमत में बड़ा उछाल आ गया और इस क्रिप्टोकरेंसी की मार्केट कैपिटलाइजेशन डबल हो चुकी है। वर्तमान में Terra का मार्केट कैपिटलाइजेशन (Terra Market Cap) 34 करोड़ डॉलर (लगभग 25.9 खरब रुपये) है। मार्केट रिसर्च एजेंसी CoinMarketCap के आंकड़ों के अनुसार, Terra दुनिया का 7वां सबसे बड़ा डिजिटल टोकन बन गया है। 

एक्सपर्ट्स का कहना है कि रूस और यूक्रेन के युद्ध ने इस टोकन में यह बड़ा बदलाव किया है क्योंकि निवेशक अब स्टेबल कॉइन्स की तरफ भाग रहे हैं जिनमें (Terra) Luna भी शामिल है।  

Terra एक ब्लॉकचेन प्रोटोकॉल है। यह स्थिर कीमतों वाले ग्लोबल पेमेंट सिस्टम को चलाने के लिए लीगल करेंसी से बंधे स्टेबलकॉइन्स का इस्तेमाल करती है। इसे 2018 में डेनिअल शिन और डू वॉन ने बनाया था। इन्होंने प्राइस स्टेबिलिटी को ध्यान में रखते हुए रेपिड ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी को अपनाने के मकसद से यह प्रोजेक्ट चलाया था।
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