Bitcoin में आया Taproot अपग्रेड, ट्रांजैक्शन में बढ़ेगी प्राइवेसी, स्पीड, सिक्योरिटी

Bitcoin नेटवर्क में हाल ही में Taproot नाम का एक बड़ा तकनीकी अपडेट हुआ है। यह 2017 के बाद से नेटवर्क का सबसे बड़ा अपडेट है।

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शॉमिक सेन भट्टाचार्जी, अपडेटेड: 16 नवंबर 2021 09:32 IST
ख़ास बातें
  • Taproot की क्षमता बहुत अधिक है।
  • मगर इसके अपग्रेड के पूरी तरह से प्रभावी होने में कुछ समय लगेगा।
  • नए ट्रांजेक्शन के लिए बिटकॉइन वॉलेट का Taproot को सपोर्ट करना जरूरी है।

Taproot की मुख्य प्रॉपर्जीज में से एक Schnorr सिग्नेचर की शुरूआत है।

Bitcoin नेटवर्क में हाल ही में Taproot नाम का एक बड़ा तकनीकी अपडेट हुआ है। यह 2017 के बाद से नेटवर्क का सबसे बड़ा अपडेट है। नया अपडेट 14 नवंबर को एक्टिवेट किया गया था। यह डेवलपर्स को बिटकॉइन पर प्राइवेसी, स्केलेबिलिटी और सिक्योरिटी में सुधार करने की नई फीचर्स को इंटीग्रेट करने की क्षमता देगा। जून से ही इस अपडेट को लेकर उम्मीद बनी हुई थी और 90 प्रतिशत माइनर्स ने इसको अपना सपोर्ट दिया था। इसके बाद लॉक-इन और एक्टिवेशन डेट के बीच एक वेटिंग पीरियड शुरू किया गया। इस अवधि ने नोड ऑपरेटरों को Bitcoin Core के लेटेस्ट वर्जन, 21.1 में अपग्रेड करने के लिए आवश्यक समय दिया है - वह वर्जन जिसमें Taproot के लिए मर्ज किए गए कोड शामिल हैं।

2017 में Segregated Witness या SegWit को जोड़ने के बाद नेटवर्क में ये सबसे बड़ा अपग्रेड है। इससे नेटवर्क की स्केलेबिलिटी की समस्या खत्म हो गई है। Taproot को कम्यूनिटी का सपोर्ट है और यह इतने सालों में हो सकने वाले तकनीकी सुधारों को एक साथ लेकर आया है। 

Taproot की मुख्य प्रॉपर्जीज में से एक Schnorr सिग्नेचर की शुरूआत है। इससे Bitcoin नेटवर्क पर अधिक जटिल ट्रांजेक्शन किए जा सकते हैं। अब तक बिटकॉइन नेटवर्क द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला क्रिप्टोग्राफ़िक फ्रेमवर्क ECDSA था, जो एलिप्टिक कर्व डिजिटल सिग्नेचर एल्गोरिथम (Elliptic Curve Digital Signature Algorithm) के लिए छोटा था। इसमें यूजर्स इसे अप्रूव करने के लिए अपनी private key का उपयोग करके ट्रांजेक्शन पर सिग्नेचर करते थे। Taproot Schnorr स्कीम का इस्तेमाल करता है जो लीनियर सिग्नेचर के साथ ECDSA से तेज और छोटा है।

नए अपग्रेड के साथ मल्टी सिग्नेचर वाले वॉलेट से ट्रांजेक्शन किसी भी अन्य ट्रांजेक्शन की तरह दिखाई देगा। जिससे ट्रांजेक्शन की प्राइवेसी और सिक्योरिटी में वृद्धि होगी। यह अंततः स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए रास्ता बनाएगा जिससे बिचौलियों की जरूरत खत्म हो जाएगी। यह बिटकॉइन के नेटवर्क को इथेरियम की स्पीड के लेवल में लेकर आएगा। इथेरियम स्वाभाविक रूप से स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट्स को इनेबल करता है। 

Taproot की क्षमता बहुत अधिक है मगर अपग्रेड के पूरी तरह से प्रभावी होने में कुछ समय लगेगा। यूजर्स तब तक नए ट्रांजेक्शन को सेंड या रिसीव करने में असमर्थ होंगे जब तक कि वे जिस बिटकॉइन वॉलेट का उपयोग कर रहे हैं, वह Taproot को सपोर्ट नहीं करता है। इसमें कुछ समय लग सकता है क्योंकि इस समय अधिकांश वॉलेट इसका सपोर्ट नहीं करते हैं। बिटकॉइन के पिछले बड़े अपग्रेड SegWit को 50 प्रतिशत के एडॉप्शन रेट तक पहुंचने में लगभग दो साल लग गए।
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