भारत के स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त से ठीक एक दिन पहले
इसरो (ISRO) के
चंद्रयान-3 मिशन ने बड़ी उपलब्धि हासिल की है। सोमवार को
Chandrayaan-3 की कक्षा में सफलतापूर्वक एक और बदलाव किया गया। इस बदलाव के बाद चंद्रयान-3 अपने लक्ष्य यानी चंद्रमा के और नजदीक पहुंच गया है। इसकी चांद से न्यूनतम दूरी 150 किलोमीटर और अधिकतम दूरी 177 किलोमीटर रह गई है। अब दो दिन बाद यानी 16 अगस्त को आखिरी बार चंद्रयान-3 की कक्षा में बदलाव किया जाएगा।
कुछ मिनट पहले किए गए एक ट्वीट में इसरो ने बताया है कि चंद्रयान-3 का ऑर्बिट वृत्ताकारीकरण (Orbit circularisation) चरण शुरू हो गया है। आज किए गए अभ्यास ने 150 किमी x 177 किमी की निकट-गोलाकार कक्षा हासिल की है। अगले ऑपरेशन की योजना 16 अगस्त 2023 को लगभग सुबह 8 बजकर 30 मिनट पर है।
इसरो के ट्वीट से पता चलता है कि चंद्रयान-3 स्पेसक्राफ्ट, जो अबतक चंद्रमा के चारों ओर अंडाकार पथ पर चक्कर लगा रहा था अब गोलाकार कक्षा में घूमने लगा है। 16 अगस्त को जब इसकी कक्षा में आखिरी बार बदलाव किया जाएगा, तब चंद्रयान-3 की चांद से दूरी 100 किलोमीटर तक सिमट जाएगी। सबकुछ तय योजना के अनुसार हुआ तो 23 अगस्त को चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग की कोशिश कर सकता है।
इसरो को पूरी उम्मीद है कि यह मिशन सफल होगा। लैंडर ‘विक्रम' को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि बड़ी गड़बड़ी भी मिशन को बर्बाद नहीं कर पाएगी। इसरो अध्यक्ष एस. सोमनाथ कह चुके हैं कि चंद्रयान-3 का लैंडर ‘विक्रम' 23 अगस्त को चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट-लैंडिंग' करने में सक्षम होगा, भले ही इसके सभी सेंसर और दोनों इंजन काम न करें।
गौरतलब है कि साल 2019 में इसरो का चंद्रयान-2 मिशन चांद पर लैंड नहीं कर पाया था। मिशन की कमियों से सीखते हुए स्पेस एजेंसी ने चंद्रयान-3 को फुलप्रूफ बनाने की कोशिश की है।