TikTok के एंड्रॉयड ऐप ने कथित तौर पर कम से कम 15 महीनों तक लाखों मोबाइल डिवाइसों से यूनिक आइडेंटिफायर्स एकत्र किए, जो पिछले साल नवंबर में एक अपडेट जारी करने के साथ समाप्त हो गया। यह यूनिक आइडेंटिफ़ायर्स, जिसे मीडिया एक्सेस कंट्रोल (मैक) एड्रेस कहा जाता है, मुख्य रूप से व्यक्तिगत विज्ञापनों को प्रस्तुत करने के उपयोग किया जाता है। यह नई जानकारी उस समय सामने आती है, जब कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा देश में टिकटॉक पर प्रतिबंध लगाने के लिए आदेश पारित किया। ऐप पर चीन की कम्युनिस्ट पार्टी को अमेरिकी सरकार पर नज़र रखने में मदद करने का आरोप है।
The Wall Street Journal की
रिपोर्ट के अनुसार, Android यूज़र्स के मैक एड्रेस एकत्र करने के लिए TikTok द्वारा उपयोग की जाने वाली रणनीति Google की पॉलिसी का उल्लंघन करती है। कहा जाता है कि चीनी इंटरनेट कंपनी बाइटडांस के स्वामित्व वाले प्लेटफॉर्म ने 18 नवंबर को जारी किए एक अपडेट के जरिए इस रणनीति को समाप्त कर दिया था।
2013 में, Apple ने थर्ड-पार्टी के ऐप डेवलपर्स को iPhone यूज़र्स के मैक एड्रेस एकत्र करने से रोका था। Google ने 2015 में उस सूट का अनुसरण किया और Google Play पर मौजूद ऐप्स को यूज़र्स के मैक एड्रेस और IMEI नंबर सहित "व्यक्तिगत रूप से पहचाने जाने योग्य डिवाइस आइडेंटिफायर्स" को एकत्र करने से प्रतिबंधित कर दिया। हालांकि, TikTok ने कथित तौर पर "सीर्केट तरीका" अपनाया और एक अलग रणनीति का उपयोग करके Google के प्रतिबंध को दरकिनार कर दिया।
इस खोज का समय काफी दिलचस्प है, क्योंकि भारत सरकार ने जून के अंत में TikTok पर प्रतिबंध लगा दिया था और अमेरिका भी इस कदम को दोहराना चाह रहा है। पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा पारित आदेश ऐप को Apple App Store और Google Play दोनों से हटा सकता है और साथ ही प्लेटफॉर्म पर विज्ञापन को अवैध बना सकता है। वहीं, दूसरी ओर इसके विपरीत Microsoft जैसी कंपनियां बाजार में TikTok की विशिष्ट उपस्थिति का उपयोग करने के लिए TikTok के ग्लोबल ऑपरेशन को हथियाने में रुचि दिखा रही हैं।