सबसे खास बात यह है कि इसमें 500 से अधिक ऐसी भाषाओं को शामिल किया गया है जिनके बहुत कम संसाधन मौजूद हैं।
Meta ने दुनिया का पहला ऐसा AI मॉडल लॉन्च करने का दावा किया है जो 1600 से ज्यादा भाषाओं को समझता है।
Meta ने AI स्पीच रिकग्निशन के क्षेत्र में एक क्रांतिकारी मॉडल लॉन्च कर दिया है। मेटा ने नया ओमनीलिंगुअल ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन (Omnilingual ASR) मॉडल लॉन्च किया है जो 1600 से भी ज्यादा भाषाएं समझ सकता है। सबसे खास बात यह कि इसमें 500 से अधिक ऐसी भाषाओं को शामिल किया गया है जिनके बहुत कम संसाधन मौजूद हैं। यानी ऐसी भाषाएं भी अब AI पहचानेगा जिनके अब से पहले बहुत कम डिजिटल रिकॉर्ड हैं। इसमें कई दुर्लभ भारतीय बोलियां भी शामिल होंगीं। कुल मिलाकर अब AI स्पीच का इस्तेमाल वे लोग भी कर पाएंगे जो क्षेत्रीय भाषाओं के अलावा कोई और भाषा जैसे अंग्रेजी आदि नहीं जानते थे। आइए जानते हैं कैसे काम करता है Meta का यह नया मॉडल।
Meta ने दुनिया का पहला ऐसा AI मॉडल लॉन्च करने का दावा किया है जो 1600 से ज्यादा भाषाओं को समझता है। इसमें कई बोलियां भी शामिल हैं जो काफी दुर्लभ हैं और जिनके बहुत कम रिकॉर्ड मौजूद हैं। कंपनी ने नया ओपन सोर्स ओमनीलिंगुअल ASR सिस्टम पेश किया है जो कई तरह की भाषाओं और बोलियों को पहचानेगा और उनमें उत्तर भी देगा। मौजूदा वॉइस रिकग्निशन टूल्स में अंग्रेजी समेत केवल कुछ चुनिंदा बड़ी भाषाओं का ही सपोर्ट मिलता है। लेकिन मेटा का नया सिस्टम हजारों भाषाओं को सपोर्ट करता है।
कैसे काम करता है नया ASR मॉडल
कंपनी ने इसमें wav2vec 2.0 तकनीक का इस्तेमाल किया है और यह 7 अरब पैरामीटर्स को सपोर्ट करता है। कंपनी ने इसे कई उच्चारणों, बोलियों और भाषायी पैटर्न पर ट्रेन किया है। इसके लिए कंपनी ने मोजिला कॉमन वॉइस, लैनफ्रिका और नाइजीरियावॉइस जैसे प्रोजेक्ट्स को भी मॉडल तैयार करने में शामिल किया। इसमें स्थानीय वक्ताओं से असली रिकॉर्डिंग और आवाजें ली गई हैं। इनके आधार पर इसे सटीक, रियल, और विभिन्न तरह के डेटासेट सपोर्ट के साथ तैयार किया गया है।
क्या है नए AI मॉडल का सबसे बड़ा फायदा
Meta का नया AI मॉडल ऑटोमैटिक स्पीच रिकग्निशन में एक नई क्रांति लाने वाला है। अब से पहले अंग्रेजी समेत केवल कुछ चुनिंदा भाषाएं ही AI स्पीच में सपोर्टेड थीं। लेकिन मेटा का यह नया मॉडल AI स्पीच की पहुंच को कई गुना तक बढ़ाता है। यह अब क्षेत्रीय जनसंख्या तक अपनी पहुंच बनाएगा जो लोकल लैंग्वेज के सहारे ही अपना काम करते हैं। नया मॉडल कई दुर्लभ भारतीय भाषाओं और बोलियों को भी सपोर्ट करेगा। यह हिंदी, तमिल, बांग्ला से लेकर अवधि और छत्तीसगढ़ी तक के उच्चारण को भी समझ सकता है। यानी अब आप अपनी लोकल लैंग्वेज में AI से सवाल कर पाएंगे। अब हर भाषा बोलने वाला व्यक्ति AI तकनीक का फायदा उठा सकेगा।
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