एनडीटीवी युवा में स्वरा भास्कर ने कहा कि मैंने कभी सोशल मीडिया को कमाई का जरिया नहीं देखा था. मैं मजबूरी में सोशल मीडिया पर आई थी. मेरे पीआर ने कहा था. अब मैं ऐसी पोजिशन पर हूं जहां लोग मुझे 'की ओपिनियन लीडर' समझते हैं. स्वरा ने कहा कि जब सड़क पर लड़कियों को छेड़ा जाता है तो हम रोकते हैं, तो फिर सोशल मीडिया ट्रोल्स गाली देते हैं तो फिर हम वहां क्यों नहीं रोक सकते हैं. स्वरा ने कहा कि किसी रेस्टोरेंट जैसी पब्लिक प्लेस की तरह ट्विटर भी वर्चुअल प्लेस है. यहां पर हम किसी को किसी लड़की को छेड़ने की इजाजत नहीं दे सकते और उस पर चुप्पी नहीं साध सकते. हम लोग किसी पर हो रहे अत्याचार पर चुप्पी साध लेते हैं. ये हमारे समाज की कड़वी सच्चाई है. स्वरा ने कहा कि मैं भी ट्रोल्स को इग्नोर करती हूं. मगर इतने ज्यादा होते हैं कि कभी कभी इग्नोर नहीं किया जा सकता. सोशल मीडिया वर्चुअल पब्लिक प्लेस है. इसलिए अगर सड़क पर जब लोगों को गाली देने से रोकते हैं तो सोशल मीडिया पर हम ट्रोल्स को क्यों नहीं रोकेंगे. सोशल मीडिया में सब बराबर हैं, राष्ट्रपति को किसी ट्रोल की आवाज़ उतनी ही ऊंची सुनाई देगी, जितनी ऊंची आवाज़ में उस ट्रोल को राष्ट्रपति का संदेश सुनाई देगा...हर कोई जानता है कि पब्लिक ओपिनियन कितना जरूरी है. सोशल मीडिया काफी शक्तिशाली है. सोशल मीडिया के पावर का इस्तेमाल गलत और सही दोनों के लिए हो सकता है. सोशल मीडिया लोगों को समानता देता है. यही सोशल मीडिया की ताकत और अपील है.
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