जब से रिलायंस जियो के बारे में पहली बार जानकारी की गई, तब से यह सुर्खियों का हिस्सा रहा है। प्रिव्यू ऑफर की शुरुआत सबसे पहले मई महीने में रिलायंस के कर्मचारियों के लिए की गई थी, इसके बाद चुनिंदा स्मार्टफोन के ग्राहकों के लिए। प्रिव्यू ऑफर के तहत ग्राहक रिलायंस जियो के नेटवर्क की टेस्टिंग करते हैं, बिना कोई कीमत चुकाए। उस समय रिलायंस जियो कनेक्शन इन यूज़र के लिए तेज, भरोसेमंद और लिमिटेड ब्रॉडबैंड कनेक्शन का अच्छा विकल्प था।
रिलायंस जियो को लॉन्च करने के साथ कंपनी ने कई प्लान की भी घोषणा की है जो पहली नज़र में आपका ध्यान ज़रूर खींचेंगे। सबसे अच्छी बात यह है कि नया कनेक्शन जियो वेलकम प्रोग्राम के साथ आता है। इसके तहत यूज़र रिलायंस जियो नेटवर्क पर बिना कोई रकम दिए 31 दिसंबर 2016 तक हर दिन 4 जीबी 4जी डेटा इस्तेमाल कर पाएंगे। मुफ्त के हिसाब से यह बहुत ज्यादा डेटा है, यही वजह है कि लोगों के बीच सिम खरीदने की मारामारी मची है।
इसी वजह से रिलायंस जियो सिम खरीद पाना लगभग नामुमकिन भी है। सूत्रों से जानकारी मिली है कि कंपनी को सारे सिम को एक्टिवेट करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, यह एक मात्र समस्या नहीं है जिसका सामना लोगों को करना पड़ रहा है।
प्रिव्यू ऑफर के दौरान रिलायंस जियो सिम इस्तेमाल करने वालों की संख्या बेहद कम थी। लोग बेहद ही उत्साह के साथ सोशल मीडिया पर बता रहे थे कि यह कनेक्शन बेहद ही तेज है। गैजेट्स 360 ने पहले भी कई बार अपने पाठकों को चेताया था कि प्रिव्यू ऑफर के आधार पर रिलायंस जियो नेटवर्क की परफॉर्मेंस को नहीं आंका जा सकता। व्यवसायिक लॉन्च के बाद ही रिलायंस जियो नेटवर्क की ज़मीनी हकीकत सामने आएगी। आधिकारिक लॉन्च के लगभग एक हफ्ते बीत चुके हैं और यह भी साफ हो गया है कि इस नेटवर्क की स्पीड पहले की तुलना में कम हो गई है। कॉल ड्रॉप अकसर हो रहे हैं और नेटवर्क आता-जाता रहता है। ऐसे यूज़र बढ़ने के कारण हुआ है।
वैसे, कॉल ड्रॉप की वजह रिलायंस जियो और अन्य टेलीकॉम कंपनियों के बीच चल रही अनबन हो सकती है। इस बीच रिलायंस जियो ने अन्य कंपनियों से एमएनपी सपोर्ट की गुजारिश की है। और वह हर टेलीकॉम कंपनी का कॉल-ड्रॉप डेटा भी तैयार कर रही है। अगर इस मुद्दे को नज़रअंदाज भी करें तो हम पाते हैं कि रिलायंस जियो को अपनी सेवा बिना किसी कमी के मुहैया करा पाने में दिक्कत हो रही है।
उदाहरण के तौर पर, प्रिव्यू ऑफर के समय दक्षिणी बेंगलुरू में 20 से 25 एमबीपीएस की स्पीड आम बात थी। अब 5 एमबीपीएस मिल जाए तो जश्न मनाने का मन करता है। लंबे समय तक इस्तेमाल करने के बाद हमने पाया है कि स्पीड 3.5 एमबीपीएस के आसपास रहती है।
इस समस्या का सामना सिर्फ हमने नहीं किया है। कई यूज़र जिन्होंने रिलायंस जियो प्रिव्यू ऑफर के लिए साइनअप किया था, उन्हें पहले की तुलना में ज्यादा धीमे कनेक्शन से रूबरू होना पड़ रहा है।
दिल्ली के जियो यूज़र मिहिर गुप्ता ने कहा, "पहले मैं इसका इस्तेमाल हर फोन कॉल के लिए करता था। लेकिन अब दिन 25-30 बार कॉल ड्रॉप होते हैं। स्पीड भी पहले की तुलना में कम हो गई है। हालांकि, यह इंटरनेट के लिए बेहतर है। लेकिन फोन कॉल के लिए पूरी तरह से बेकार हो गया है।"
हमने दिल्ली के एक और यूज़र श्वेता झा से भी बात की। उन्होंने बताया कि कनेक्शन बार-बार काम करना बंद कर देता है। मुंबई के अंकित प्रधान ने बताया, "उन्हें नियमित तौर पर 20 एमबीपीएस की स्पीड मिलती थी। अब यह 5 एमबीपीएस है। लोग जियो को ब्रॉडबैंड कनेक्शन के विकल्प के तौर पर देखने लगे थे। मैं भी कुछ ऐसा ही करने के बारे में विचार कर रहा था। लेकिन अब जब स्पीड ही भरोसेमंद नहीं है, तो इस तरह का फैसला सही नहीं होगा।"
कंपनी का कहना है कि रिलायंस जियो भारत का पहला पूरी तरह से 4जी नेटवर्क है। इसकी नींव ही तेज स्पीड डेटा मुहैया कराने के लिए रखी गई थी। अगर कंपनी यूज़र के बढ़ते तादाद के कारण हो रही दिक्कतों का हल नहीं निकालती है तो हाई-स्पीड इंटरनेट मुहैया कराने का दावा पूरी तरह से खोखला है।