सभी सोशल नेटवर्किंग साइट पर प्राइवेसी और सिक्योरिटी हमेशा से एक अहम मुद्दा रही है और फेसबुक भी इस मामले में अपवाद नहीं है। हम हमेशा ही अपने पाठकों को अपने अकाउंट को सुरक्षित रखने के लिए डिजिटल क्लीन-अप करने के लिए सुझाव देते रहे हैं। अब, एक
ताजा रिपोर्ट में फेसबुक मैसेंजर और ऑनलाइन चैट को लेकर संवेदनशील जानकारी सामने आई है। इस जानकारी के मुताबिक, हैकर किसी कनवर्सेशन में जाकर उसमें फेरबदल कर सकते हैं। हालांकि, फेसबुक का कहना है कि इस समस्या से छुटकारा दिलाने वाले बग का पता लगा लिया है।
अब, सिक्योरिटी रिसर्चर ने
दावा किया है कि फेसबुक मैसेंजर पर निज़ी तौर पर साझा किए गए लिंक को फेसबुक और डेवलेपर द्वारा इसके एपीआई को एक्सेस कर पढ़ा जा सकता है। रिसर्चर ने इस बारे में कंपनी को जानकारी दी और वह यह जानकर चौंक गए कि, 'फेसबुक को निज़ी लिंक के एक्सेस होने से कोई समस्या नहीं थी।'
रिसर्चर फेसबुक के
क्रॉलर टूल को इस्तेमाल कर लिंक एक्सेस करने में कामयाब रहे। फेसबुक पर इस टूल के बारे में जानकारी दी गई है, ''फेसबुक पर अधिकतर कंटेट एक वेबपेज के रूप में साझा किया जाता है। जब कोई यूजर पहली बार लिंक शेयर करता है, फेसबुक क्रॉलर फेसबुक पर एक टाइटल, डिस्क्रिप्शन और थंबनेल इमेज के बारे में यूआरएल, काचेऔर डिस्प्ले की जानकारी के लिए एचटीएमएल को खत्म कर देगा। ''
अपनी टेस्टिंग के दौरान, इस रिसर्चर ने पाया कि फेसबुक पर स्टोर किए गए सभी ऑब्जेक्ट जैसे तस्वीरें, स्टेटस और लिंक सभी एक 'यूनीक, नॉन क्रोनोलॉजिल आइडेंटिफिकेशन नंबर' के साथ दिए गए थे। इनके मुताबिक मार्क ज़ुकरबर्ग फेसबुक पर ऑब्जेक्ट नंबर 4 के रूप में मौजूद हैं।
उन्होंने गौर किया कि डेवलेपर फेसबुक एपीआई (डेवलेपर के लिए इंटरफेस) के जरिए किसी ऑब्जेक्ट के नंबर के जरिए इसके बारे में जानकारी मांग सकते हैं। अगर उन्हें जानकारी एक्सेस करने की अनुमति मिलती है तो उन्हें 'ओनली' के साथ जवाब वापस मिलेगा। इसके बाद कुछ और जानकारी खोजने के बाद, उन्होंने जानकारी लेने वाले ऑब्जेक्ट के लिए यूआरएल के लिए रिक्वेस्ट की और उन्हें उसका लिंक एड्रेस मिल गया। इसके बाद उन्होंने 'एक छोटी स्क्रिप्ट लिखी जिससे वो किसी आइडेंटिफिकेशन नंबर का पता लगा सकेंगे और और वो दूसरे लिंक हासिल कर सकेंगे।' इससे वो यूजर द्वारा साझा किए गए दूसरे यूआरएल भी हासिल कर सके।
उन्होंने आगे बताया, ''जहां एक यूजर के लिए ये लिंक हासिल करना संभव नहीं है, लेकिन अगर आप पूरे दिन इस बारे में जानकारी हासिल कर सकते हैं जब तक कि आपको कुछ रोचक ना मिल जाए। फेसबुक इस बारे में ज्यादा रिक्वेस्ट आने पर ब्लॉक कर देता है लेकिन इसके लिए कई दूसरे तरीके भी हैं। जैसे मल्टीपल एक्सेस टोकन का इस्तेमाल और वीपीएन। ''
इसके साथ ही उन्होंने इशारा किया कि हालांकि इन परिणाम से लिंक शेयर करने वाले यूजर की पुष्टि नहीं होती लेकिन दिखाए गए परिणामों में यूजर आई लिंक होने से यूजर का पता करना भी मुश्किल नहीं है। रिसर्चर ने इशारा किया कि शेयर किए गए लिंक में कई बार निजी जानकारी भी होती है जिसे यूजर दूसरों के साथ शेयर नहीं करना चाहते।