What is Samudrayaan Mission? समुद्र में 6000 मीटर गहराई तक जाएंगे भारतीय वैज्ञानिक, जानें समुद्रयान मिशन की खूबियां

Samudrayaan Mission : गगनयान के साथ-साथ समुद्रयान (Samudrayaan) पर भी काम चल रहा है, जोकि भारत का पहला गहरा समुद्री मिशन होगा और वैज्ञानिक भी समुद्र में गोता लगाएंगे।

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Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 9 अक्टूबर 2024 14:56 IST
ख़ास बातें
  • भारत कर रहा समुद्रयाान मिशन की तैयारी
  • समुद्र की गहराइयों में गोता लगाएंगे वैज्ञानिक
  • मिशन के खास मॉड्यूल को तैयार कर रहा इसरो

मॉड्यूल को रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में टेस्‍ट किया जाएगा।

Photo Credit: Pixabay

भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में इस वक्‍त सबसे ज्‍यादा चर्चा गगनयान (Gaganyaan) मिशन की है। मिशन के तहत पहली बार भारत की जमीन से अंतरिक्ष यात्रियों को तीन दिन की स्‍पेस यात्रा में भेजा जाएगा। लेकिन एक और मिशन पर हमारे वैज्ञानिक काम कर रहे हैं। रिपोर्ट्स पर भरोसा करें तो गगनयान के साथ-साथ समुद्रयान (Samudrayaan) पर भी काम चल रहा है, जोकि भारत का पहला गहरा समुद्री मिशन होगा और वैज्ञानिक भी समुद्र में गोता लगाएंगे। 

इस मिशन में जिस पनडुब्‍बी का इस्‍तेमाल होगा, उसका नाम मत्स्य-6000 (Matsya-6000) रखा गया है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, इस मिशन के अहम मॉड्यूल को इसरो डेवलप कर रहा है।  

उस मॉड्यूल में क्रू रहेगा, साथ ही लाइफ सपोर्ट सिस्‍टम और अन्‍य जरूरी चीजें भी होंगी। मॉड्यूल को टाइटेनियम से बनाया जा रहा है, जिसकी मोटाई 80 एमएम होगी। रिपोर्ट के अनुसार, क्‍योंकि मॉड्यूल टाइटेनियम का है, इसलिए उसकी वेल्डिंग के लिए जो काबिलियत चाहिए, वह सिर्फ इसरो के पास है। 

इसरो की विक्रम साराभाई स्‍पेस सेंटर फैसिलटी (VSSC) को यह टास्‍क पूरा करने की जिम्‍मेदारी दी गई थी। कहा जाता है कि काम पूरा करने के लिए VSSC को अपनी मशीनरी में कुछ सुधार करने पड़े। मॉड्यूल को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि वह समुद्र तल से 6 हजार मीटर गहराई तक दबाव को झेल सके।  
 

रूस से भी मदद

भारत के पास ऐसी फैसिलिटीज की कमी है, जिसमें मॉड्यूल को टेस्‍ट किया जा सके। रिपोर्ट के अनुसार उसे रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में टेस्‍ट किया जाएगा। मॉड्यूल का काम अगले कुछ महीनों में पूरा हो सकता है, जिसे नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ ओसियन टेक्‍नॉलजी को सौंपा जाएगा। यह इंस्टिट्यूट पूरे मिशन को लीड कर रहा है। भारत कामयाब होता है तो वह अमेरिका, रूस, फ्रांस, जापान और चीन जैसे देशों की लिस्‍ट में शामिल हो जाएगा, जो वैज्ञानिकों को गहरे समुद्री मिशनों में भेज चुके हैं। 
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