दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने सूर्य पर अपना शोध तेज कर दिया है। दरअसल, हमारा सूर्य 11 साल के अपने चक्र से गुजर रहा है। यह बहुत ज्यादा एक्टिव फेज में है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (Nasa) चेतावनी दे चुकी है कि सूर्य में विशाल सौर विस्फोटों के बार-बार होने की संभावना है। इस बीच एक सनस्पॉट (sunspot) भी पिछले हफ्ते सूर्य पर देखा गया था। पता चला है कि इस सनस्पॉट ने एक अस्थिर बीटा-गामा चुंबकीय क्षेत्र डेवलप कर लिया है। इस मैग्निेटिक फील्ड में M-क्लास सौर फ्लेयर विस्फोट के लिए पर्याप्त ऊर्जा है। सनस्पॉट अभी पृथ्वी की ओर फोकस्ड है। तो क्या हमें किसी चुनौती के लिए तैयार रहने की जरूरत है?
खबर पर आगे बढ़ने से पहले M-क्लास सौर फ्लेयर विस्फोट को समझना जरूरी है। सूर्य से निकलने वाले तूफानों को उनकी तीव्रता के हिसाब से क्लासिफाई किया जाता है। इससे वैज्ञानिक तय कर पाते हैं कि सौर तूफान कितना गंभीर है। सबसे कमजोर सौर तूफान- ए-क्लास, बी-क्लास और सी-क्लास में आते हैं। एम-क्लास के तूफान सबसे ताकतवर होते हैं। इनके हमारी पृथ्वी से टकराने की संभावना बनी रहती है।
वैज्ञानिकों ने जिस सनस्पॉट को ढूंढा है, उसे AR3068 नाम दिया गया है। पिछले हफ्ते सिर्फ 24 घंटों में इसका आकार तीन गुना हो गया था। अब इसने अपने चारों ओर एक बीटा-गामा चुंबकीय क्षेत्र विकसित किया है, जिसमें एम-क्लास सौर फ्लेयर विस्फोट के लिए पर्याप्त ऊर्जा है।
SpaceWeather.com के
मुताबिक अगर आज कोई भी विस्फोट होता है, तो उसका असर पृथ्वी तक दिखाई दे सकता है, क्योंकि सनस्पॉट सीधे पृथ्वी पर फोकस्ड है। नासा की सोलर डायनेमिक्स ऑब्जर्वेटरी इस सनस्पॉट को ऑब्जर्व कर रही है, ताकि किसी भी खतरे को लेकर आगाह किया जा सके। फिलहाल यह क्लीयर नहीं है कि सोलर फ्लेयर विस्फोट होगा या नहीं, क्योंकि सनस्पॉट का बिहेवियर काफी अटपटा है। अगर आज के बाद सौर फ्लेयर विस्फोट होता है, तो पृथ्वी पर इसका असर नहीं होगा। आज विस्फोट होने और पृथ्वी से टकराने पर यह पावर ग्रिड को फेल कर सकता है। ब्लैकआउट की नौबत आ सकती है। छोटे सैटेलाइट्स भी सौर फ्लेयर विस्फोट की जद में आ सकते हैं। यह GPS सिस्टम को भी बाधित कर सकता है साथ ही रेडियो ब्लैकआउट का कारण बन सकता है।
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