एस्टरॉयड, कॉमेट (धूमकेतु) के बारे में आपने अक्सर सुना होगा। ये खगोलीय पिंड हैं जो धरती के लिए बड़े खतरे के रूप में हमेशा से ही मौजूद हैं। हालांकि ऐसी बहुत कम घटनाएं अभी तक सामने आई हैं जिसमें किसी एस्टरॉयड या अन्य खगोलीय पिंड ने पृथ्वी को तबाह करने तक प्रभावित किया हो। लेकिन हां, ऐसा कई रिपोर्ट्स में सामने आ चुका है कि अंतरिक्ष से मलबे के टुकड़े धरती पर गिरे और उन्होंने अपना असर जरूर दिखाया, चाहे कोई भारी नुकसान भले ही न किया हो। लेकिन क्या हो अगर कोई भारी भरकम एस्टरॉयड, या तूफानी रफ्तार से आता धूमकेतु धरती से टकरा जाए? वैज्ञानिकों ने इनकी टक्कर से होने वाले प्रभाव को एक रिसर्च मॉडल से समझने की कोशिश की है।
धूमकेतु के ग्रह से टकराने का प्रभावहाल ही में हुईं कुछ स्टडीज से पता चला है कि धूमकेतुओं के टकराने से
पृथ्वी के वायुमंडल पर व्यापक प्रभाव पड़ सकता है। ये ग्रहों के वातावरण को प्रभावित कर सकते हैं, विशेष रूप से वे ग्रह जो एम-ड्वार्फ तारों की परिक्रमा करते हैं। इन नतीजों ने न केवल ग्रहों के निर्माण की समझ को बढ़ाया है, बल्कि सुदूर रहने योग्य दुनिया की पहचान करने की उम्मीद भी जगाई है।
स्टडी इसलिए इतनी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संभावना जताती है कि छोटे बर्फीले
धूमकेतु भी अन्य ग्रहों तक पानी और ऑक्सीजन पहुंचा सकते हैं। अगर ऐसा है तो अवश्य ही धरती, या हमारे सौरमंडल के बाहर किसी अन्य खगोलीय पिंड पर जीवन मौजूद हो सकता है। डॉ. फेलिक्स सेन्सबरी मार्टिनेज के नेतृत्व में एक टीम द्वारा सितंबर 2024 में एक शोध शुरू किया गया। शोध में टाइडली लॉक्ड प्लेनेट पर बर्फीले धूमकेतुओं के प्रभाव को स्टडी किया गया। टाइडली लॉक्ड प्लेनेट ऐसे ग्रह होते हैं जिनका अपने तारे के लिए परिक्रमा और धुरी पर घूर्णण का समय एक जैसा होता है, जिसकी वजह से ये ग्रह हमेशा तारे की एक तरफ मुंह किए घूमते रहते हैं।
शोधकर्ताओं ने 2.5 किलोमीटर लंबे बर्फीले धूमकेतु का सिम्युलेशन किया जो एक तरह के वायुमंडल सिम्युलेशन में पृथ्वी से टकराता है। नतीजे मिले कि इस तरह के प्रभाव से ये वायुमंडल के रसायन विज्ञान को भी बदल सकते हैं। हाइड्रोजन या ऑक्सीजन युक्त अणुओं के साथ जल वाष्प में वृद्धि हो सकती है, लेकिन ओजोन स्तर में लगभग 10% की कमी आ सकती है। Astrophysical Journal के अनुसार, वर्तमान अंतरिक्ष टेलीस्कोप की मदद से ऐसे परिवर्तनों को देखा जा सकता है।
एस्टरॉयड के पृथ्वी से टकराने का प्रभाववैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि अगर ऐसे ही कोई एस्टरॉयड धरती से टकरा जाए तो क्या हो। IBS सेंटर फॉर क्लाइमेट फिजिक्स के शोधकर्ताओं ने 6 फरवरी 2025 को पृथ्वी पर बेन्नू प्रकार के एस्टरॉयड के प्रभावों का सिम्युलेशन किया। प्रयोग से पता चला कि इस तरह के प्रभाव से लाखों धूल के कण वायुमंडल में प्रवेश कर सकते हैं। इससे वैश्विक तापमान लगभग 4 डिग्री सेल्सियस तक कम हो सकता है और ओजोन स्तर में 32% की कमी आ सकती है। ऐसे बदलावों से खाद्य सुरक्षा के साथ ग्लोबल ईकोसिस्टम पर भी असर पड़ सकता है।