अंतरिक्ष में चीन की बत्ती गुल! स्‍पेस स्‍टेशन से टकराया मलबा, पावर सप्‍लाई पर असर

Space debris : चीनी स्‍पेस एजेंसी का कहना है कि भविष्‍य में वह अपने स्‍पेस स्‍टेशन को अंतरिक्ष कचरे से बचाने के लिए तत्‍पर रहेगी।

विज्ञापन
Written by प्रेम त्रिपाठी, अपडेटेड: 25 अप्रैल 2024 12:28 IST
ख़ास बातें
  • तियांगोंग स्‍पेस स्टेशन की बिजली सप्‍लाई पर असर
  • अंतरिक्ष मलबे की टक्‍कर से हुआ नुकसान
  • चीन ने कहा, भविष्‍य में ऐसे खतरों से निपटेंगे

हालांकि चीन ने यह कन्‍फर्म नहीं किया है वह मलबा कोई माइक्रो-मीटरॉयड था या फ‍िर किसी सैटेलाइट का कचरा।

एक कहावत है कि आप जो बोएंगे, वही काटेंगे! चीन पर आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने अंतरिक्ष मलबे (space debris) का सही निपटारा नहीं करता। इस वजह से स्‍पेस में सैटेलाइट रूपी कचरा बढ़ता जा रहा है। अब खबर आई है कि ऐसे ही एक कथित कचरे ने चीन को मुसीबत में डाल दिया। चीन की सरकारी मीडिया के अनुसार, उसके तियांगोंग स्‍पेस स्टेशन (Tiangong space station) पर स्‍पेस मलबे के अटैक की वजह से आंशिक रूप से पावर सप्‍लाई पर असर हुआ। यह घटना 1 मार्च की बताई जा रही है, जब शेनझोउ 17 मिशन के अंतरिक्ष यात्री स्‍पेसवॉक कर रहे थे। 

तियांगोंग स्‍पेस स्टेशन को चीन की स्‍पेस एजेंसी CMSA ऑपरेट करती है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, चीनी अंतरिक्ष यात्री स्‍पेसवॉक कर रहे थे, तभी स्‍पेस स्‍टेशन के आउटपोस्‍ट पर अंतरिक्ष मलबे की टक्‍कर हुई। इस कारण बिजली सप्‍लाई संबंधी दिक्‍कत आ गई। 

CMSA ने एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कहा कि स्‍पेसवॉक के दौरान हुई इस गड़बड़ी के बावजूद स्‍पेसवॉक सफल रही। एजेंसी का कहना है कि भविष्‍य में वह अपने स्‍पेस स्‍टेशन को अंतरिक्ष कचरे से बचाने के लिए तत्‍पर रहेगी। चीनी स्‍पेस एजेंसी के डेप्‍युटी डायरेक्‍टर ने कहा कि सौर विंग की बिजली केबलों पर अंतरिक्ष कचरे के असर से स्‍पेस स्टेशन के कोर मॉड्यूल ‘तियान्हे' (Tianhe) को बिजली की कमी झेलनी पड़ी थी। 

हालांकि चीन ने यह कन्‍फर्म नहीं किया है वह मलबा कोई माइक्रो-मीटरॉयड था या फ‍िर किसी सैटेलाइट का कचरा। लेकिन ज्‍यादा संभावना इसी बात की है कि वह किसी सैटेलाइट का कचरा हो सकता है। ऐसे कचरे को आने वाले वक्‍त में स्‍पेस कंपनियों के सबसे बड़े चैलेंज के तौर पर देखा जा रहा है। 

खुद चीन अपने तमाम मिशनों की लाइफ पूरी होने के बाद उन्‍हें उनके हाल पर छोड़ देता है, जबकि ऐसे सैटेलाइट्स का सही से निपटारा किया जाना चाहिए। हाल के वर्षों में स्‍पेस मिशन लॉन्‍च की संख्‍या बढ़ी है जो भविष्‍य में स्‍पेस कचरे का दायरा बढ़ाती जाएगी। सबसे ज्‍यादा चुनौती लो-अर्थ ऑर्बिट यानी पृथ्‍वी की निचली कक्षा में आएगी। सबसे ज्‍यादा सैटेलाइट लो-अर्थ ऑर्बिट में ही मौजूद हैं। 
 
 

लेटेस्ट टेक न्यूज़, स्मार्टफोन रिव्यू और लोकप्रिय मोबाइल पर मिलने वाले एक्सक्लूसिव ऑफर के लिए गैजेट्स 360 एंड्रॉयड ऐप डाउनलोड करें और हमें गूगल समाचार पर फॉलो करें।

Advertisement
Popular Brands
#ट्रेंडिंग टेक न्यूज़
  1. Netflix मुफ्त देखने का जबरदस्त तरीका! बस करें ये रिचार्ज
#ताज़ा ख़बरें
  1. WhatsApp में बिना नंबर सेव किए कैसे भेजें मैसेज
  2. Netflix मुफ्त देखने का जबरदस्त तरीका! बस करें ये रिचार्ज
  3. OnePlus 13s vs iPhone 16e vs Vivo X200 FE: तीनों के बीच कड़ी टक्कर,देखें कौन है बेस्ट
  4. Google Pay, Paytm और PhonePe यूजर्स के लिए बड़ा अपडेट, अब बार-बार नहीं कर पाएंगे ये काम, 1 अगस्त से लागू होंगे
  5. आपके नाम पर कितने सिम कार्ड हैं रजिस्टर्ड, घर बैठे ऐसे करें चेक
  6. MG Motor ने भारत में लॉन्च की इलेक्ट्रिक स्पोर्ट्स कार Cyberster, 200 kmph की टॉप स्पीड 
  7. iQOO जल्द लॉन्च करेगी Z10 Turbo+, MediaTek Dimensity 9400+ चिपसेट
  8. Battlefield 6 गेम का धमाकेदार ट्रेलर रिलीज, 31 जुलाई को दिखाया जाएगा मल्टीप्लेयर गेमप्ले; यहां देखें वीडियो
  9. Honor Pad X7 टैबलेट 7020mAh बैटरी, लेटेस्ट Android 15 OS के साथ हुआ लॉन्च, जानें कीमत
  10. भारत ने किया ULPGM-V3 का सफल टेस्ट, ड्रोन से छोड़ी जाती है मिसाइल, जानें सब कुछ
Download Our Apps
Available in Hindi
© Copyright Red Pixels Ventures Limited 2025. All rights reserved.