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ऑस्‍ट्रेलियाई रिसर्चर्स का कमाल : रात में चार्ज कर दिए सोलर पैनल… नहीं होगी बिजली की किल्‍लत!

ACS फोटोनिक्स में पब्लिश एक स्‍टडी में टीम ने इस थ्‍योरी को हकीकत बनाने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया है।

ऑस्‍ट्रेलियाई रिसर्चर्स का कमाल : रात में चार्ज कर दिए सोलर पैनल… नहीं होगी बिजली की किल्‍लत!

रिसर्चर्स की टीम ने रात में पृथ्वी द्वारा पैदा होने वाली गर्मी का इस्‍तेमाल करके सोलर पैनल चार्ज किए।

ख़ास बातें
  • ऐसा करने के लिए रिसर्चर्स ने थर्मोरेडिएटिव डायोड का इस्‍तेमाल किया
  • हालांकि इससे दिन के मुकाबले कम बिजली पैदा हुई
  • पर, वैज्ञानिकों को उम्‍मीद है कि भविष्‍य में इसे बढ़ाया जा सकता है
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जलवायु परिवर्तन की वजह से भविष्‍य में विनाशकारी असर देखने को मिल सकता है। इससे निपटने के लिए दुनियाभर में सौर ऊर्जा के इस्‍तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। हालांकि इसमें एक चुनौती सामने आती है। यह चुनौती है सूर्य की रोशनी। दुनिया के कई इलाकों में सूर्य की रोशनी बहुत अच्‍छे से नहीं पहुंचती। साथ ही रात में सौर पैनल चार्ज नहीं होते। इन चुनौतियों को ऑस्‍ट्रेलियाई रिसर्चर्स के एक ग्रुप ने सॉल्‍व करने का दावा किया है। रिसर्चर्स ने रात में ऊर्जा पैदा करने के तरीके को सामने रखा है।  

सौर ऊर्जा के बारे में यह तो सभी जानते हैं कि सौर पैनल सीधे सूर्य की रोशनी से ऊर्जा को अवशोषित करते हैं और इसे बिजली में बदल देते हैं। लेकिन रात में सौर ऊर्जा पैदा करना असंभव है। लेकिन ऑस्‍ट्रेलियाई रिसर्चर्स जो दावा कर रहे हैं, उसे इस क्षेत्र में एक बड़े कदम के तौर पर देखा जाना चाहिए। 

न्यू साउथ वेल्स यूनिवर्सिटी (UNSW सिडनी) की टीम ने रात में पृथ्वी द्वारा पैदा होने वाली गर्मी का इस्‍तेमाल किया है। दरअसल, सूर्य से आने वाली ऊर्जा पूरे दिन पृथ्वी को गर्म करती है और रात में हमारा ग्रह उतनी ही ऊर्जा अंतरिक्ष में वापस भेजता है। यह रेडिएटेड एनर्जी पृथ्‍वी की सतह से निकलती है, इसलिए एक थर्मल उत्सर्जन होता है, जिसे टैप किया जा सकता है। रिसर्चर्स ने कहा है कि इस ऊर्जा को सेल डिवाइस में टैप किया जा सकता है और बिजली में बदला जा सकता है।

ACS फोटोनिक्स में पब्लिश एक स्‍टडी में टीम ने इस थ्‍योरी को हकीकत बनाने के तरीके के बारे में विस्तार से बताया है। रिसर्चर्स ने पृथ्वी से निकलने वाले फोटॉनों को कैप्‍चर करने और उन्हें बिजली में बदलने के लिए थर्मोरेडिएटिव डायोड का इस्‍तेमाल किया। रिसर्चर्स बिजली पैदा करने में कामयाब हुए, हालांकि इस तरह पैदा होने वाली ऊर्जा की मात्रा सौर पैनल द्वारा सप्‍लाई की जाने वाली ऊर्जा से लगभग 100,000 गुना कम थी। फ‍िर भी वैज्ञानिकों को उम्‍मीद है कि भविष्य में और बेहतर रिजल्‍ट मिल सकते हैं। 

रिसर्च टीम के लीड एसोसिएट प्रोफेसर नेड एकिन्स-डौक्स ने कहा कि हमने थर्मोरेडिएटिव डायोड से बिजली पैदा करके दिखाई है। रिसर्चर्स को उम्‍मीद है कि भविष्‍य में इस तकनीक को अमल में लाकर रात के वक्‍त भी सोलर पैनल्‍स को चार्ज करना मुमकिन होगा।
 
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