हमारे सौर मंडल का सबसे बड़ा तारा यानी ‘सूर्य' (Sun) कई विषयों पर वैज्ञानिकों के लिए पहेली बना हुआ है। साइंटिस्ट जानना चाहते हैं कि सूर्य का कोरोना उसकी सतह से ज्यादा गर्म क्यों है? ऐसा लगता है उन्हें इस सवाल का जवाब मिल गया है। रॉयल ऑब्जर्वेटरी ऑफ बेल्जियम (ROB) और केयू ल्यूवेन के वैज्ञानिकों को पता चला है कि सूर्य का कोरोना (corona) चुंबकीय तरंगों की वजह से गर्म हो सकता है।
स्पेसडॉटकॉम के
अनुसार सूर्य का कोरोना उसकी सतह फोटोस्फेयर (photosphere) से लगभग 200 गुना ज्यादा गर्म है। वैज्ञानिक आज तक नहीं जान पाए हैं कि सूर्य का कोरोना उसकी सतह से ज्यादा गर्म क्यों है। ROB और केयू ल्यूवेन के वैज्ञानिकों ने इसी पहेली को सुलझाने की कोशिश की है। उन्हें जो सबूत मिले हैं, उनके आधार पर यह माना गया है कि चुंबकीय तरंगों के कारण सूर्य का कोरोना ज्यादा गर्म हो सकता है।
इस निष्कर्ष तक पहुंचने में यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी के सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट पर लगे एक्सट्रीम अल्ट्रावॉयलेट इमेजर (EUI) टेलीस्कोप की मदद ली गई। यह टेलीस्कोप काफी अच्छे रेजॉलूशन में सूर्य के कोरोना की तस्वीर कैप्चर कर लेता है। तस्वीरों से पता चलता है कि हाई-फ्रीक्वेंसी वाली तरंगें सूर्य के वातावरण को गर्म करती हैं। इससे जुड़ी स्टडी एस्ट्रोफिजिकल जर्नल लेटर्स में पब्लिश हुई है।
सूर्य के बारे में कुछ और अहम जानकारियां सोलर ऑर्बिटर स्पेसक्राफ्ट के जरिए सामने आ चुकी हैं। बीते दिनों पहली बार सूर्य की सतह पर सौर तारे टूटते (solar shooting stars) हुए दिखाई दिए। यह पृथ्वी से दिखाई देने वाले टूटते तारों से अलग थे।
रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसायटी की
रिपोर्ट में बताया गया था कि हम जिन टूटते हुए तारों को देखते हैं, वो अंतरिक्ष की धूल, चट्टानें और छोटे एस्टरॉयड हो सकते हैं, जो पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश करते ही जलने लग जाते हैं। सूर्य में जो उल्कापिंडों जैसी धारियां नजर आई हैं, वो प्लाज्मा के विशाल गुच्छे हैं। सूर्य का वायुमंडल जिसे कोरोना कहते हैं, काफी पतला है। ऐसे में प्लाज्मा के गुच्छे सूर्य से अलग नहीं हो पाते और तारे की सतह पर ही बने रहते हैं।