शनि ग्रह के छोटे से चंद्रमा के नीचे हो सकता है महासागर, मिले सबूत

मीमास में महासागर या समुद्र की मौजूदगी को परखने से रिसर्चर्स को शनि ग्रह के बाकी चंद्रमाओं को भी बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

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गैजेट्स 360 स्टाफ, अपडेटेड: 27 जनवरी 2022 14:10 IST
ख़ास बातें
  • यह रिसर्च इकारस जर्नल में प्रकाशित हुई है
  • शनि का यह चंद्रमा सतह के 14 से 20 मील बर्फ के नीचे पानी को रख सकता है
  • इस ग्रह के 60 से ज्‍यादा चंद्रमा हैं

वैसे शनि ग्रह के चंद्रमा की तरह पृथ्‍वी के चंद्रमा पर भी पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं।

बृहस्पति के बाद हमारे सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा ग्रह शनि (Saturn) है। इसने हमेशा वैज्ञानिकों और शौकिया खगोलविदों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। शनि के चारों ओर लगे छल्लों को देखकर इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। लेकिन इसकी एक और विशेषता है इस ग्रह के 60 से ज्‍यादा चंद्रमा। इन चंद्रमाओं में से एक ने हाल में वैज्ञानिकों की जिज्ञासा को जगाया है। एक नई रिसर्च के अनुसार, इस ग्रह की परिक्रमा करने वाले एक छोटे से चंद्रमा मीमास (Mimas) की जमी हुई सतह के नीचे एक महासागर छिपा हो सकता है।

मीमास में घुमावदार घूर्णन होता है और वैज्ञानिकों का मानना है कि यह इसके अंदर मौजूद महासागर की वजह से है। हालांकि महासागरों वाले बाकी चंद्रमाओं से उलट मीमास की सतह पर ऐसा कोई निशान नहीं है, जो इसके नीचे महासागर का संकेत देता है। यह रिसर्च इकारस जर्नल में प्रकाशित हुई है। रिसर्चर एलिसा रोडेन और उनके सहयोगी मैथ्यू वॉकर ने महसूस किया कि यह चंद्रमा अपनी सतह के 14 से 20 मील बर्फ के नीचे पानी को रख सकता है।

बर्फीले उपग्रहों की जियोफ‍िजिक्‍स के स्‍पेशलिस्‍ट और नासा के नेटवर्क फॉर ओशन वर्ल्ड्स रिसर्च कोऑर्डिनेशन नेटवर्क के को-लीडर रोडेन ने कहा कि मीमास की सतह पर गड्ढा है। उन्‍हें और उनके सहयोगी को लगता है कि यह बर्फ का जमा हुआ टुकड़ा है। उनकी रिसर्च ने हमारे सौर मंडल और उसके बाहर एक संभावित रहने लायक दुनिया की धारणा को और मजबूत बना दिया है। 

उनका कहना है कि मीमास में महासागर या समुद्र की मौजूदगी को परखने से रिसर्चर्स को शनि ग्रह के बाकी चंद्रमाओं को भी बेहतर ढंग से समझने में मदद मिलेगी।

वैसे शनि ग्रह के चंद्रमा की तरह पृथ्‍वी के चंद्रमा पर भी पानी की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। चंद्रमा पर गए चीन के Chang'e 5 लुनर लैंडर ने वहां पानी से जुड़े अहम सबूत की खोज की है। इस लैंडर ने चंद्रमा की सतह पर पानी से जुड़ा पहला ऑन-साइट सबूत पाया है। यह बताता है कि आखिर पानी की मौजूदगी के बाद भी चंद्रमा सूखा क्‍यों है। 
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पीयर-रिव्यू जर्नल साइंस एडवांस में पब्‍लिश हुई स्‍टडी से पता चला है कि चंद्रमा की लैंडिंग साइट पर मौजूद मिट्टी में 120 भाग-प्रति-मिलियन (ppm) पानी है। यानी एक टन मिट्टी में 120 ग्राम पानी है। हल्की और वेसिकुलर चट्टान में यहां पानी की मात्रा 180ppm है। यह पृथ्‍वी की तुलना में बहुत कम है। इस वजह से चंद्रमा अधिक शुष्क है।
 
 

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