अगर आप सोचते हैं कि समुद्र के पानी में सिर्फ जीव-जंतु, रेत और समुद्री पौधे ही रहते हैं तो यह नई खोज आपको चौंका देगी। समुद्र के नीचे 1 लाख से भी ज्यादा ऊंची-ऊंची चट्टानें छुपी हैं जो अभी तक बाहर नहीं आई हैं। नासा की यह नई खोज काफी चौंकाने वाली है। वैज्ञानिकों ने समुद्र के तल का हाई रिजॉल्यूशन मैप तैयार किया है जो दिखाता है कि समुद्र के नीचे हजारों-लाखों चट्टानें मौजूद हैं। और हैरानी की बात यह है कि ये वे चट्टानें जो अब से पहले कभी रिकॉर्ड में नहीं आईं। तो कहां से आई ये चट्टानें? क्या समुद्र को चीरकर ये बाहर प्रकट होने वाली हैं? आइए जानते हैं नासा क्या कहती है।
स्क्रिप्स इंस्टीट्यूशन ऑफ ओशनोग्राफी से डेविड सैंडवेल ने इस खोज में योगदान दिया है जिसके साथ में उन्होंने एड्वांस्ड सैटेलाइट ऑब्जर्वेशन का योगदान भी बताया (
via) है। इसके लिए दिसंबर 2022 में SWOT मिशन (Surface Water and Ocean Topography) लॉन्च किया गया था। जिसने मैपिंग की इस कोशिश को संभव बनाने वाले महत्वपूर्ण डेटा को एकत्रित करने में अहम भूमिका निभाई। दरअसल समुद्र के तल की मैपिंग जहाजों के द्वारा भी की जाती है जिसमें समय, ईंधन और लागत बहुत ज्यादा लगते हैं। सोनार मैपिंग में भी
समुद्र तल का एक छोटा सा हिस्सा ही मैप किया जा सकता है। लेकिन SWOT जैसे सैटेलाइट्स हरेक 21 दिन में पृथ्वी का 90 प्रतिशत हिस्सा कवर कर लेते हैं। हालांकि ये सोनार मैपिंग जैसी डिटेल्स नहीं ला पाते लेकिन एक बड़े हिस्से की मैपिंग तेजी से कर सकते हैं।
सी-फ्लोर मैपिंग इसलिए की जाती है ताकि पानी के नीचे मौजूद आर्थिक अवसरों का लाभ उठाया जा सके। यहां दुर्लभ खनिज मौजूद हो सकते हैं जो दुनिया की अर्थव्यवस्था को ऊंचा उठा सकते हैं। इसके जरिए समुद्री रूटों को ऑप्टिमाइज किया जा सकता है, या किसी खतरे की पहचान की जा सकती है।
समुद्र के नीछे छुपी चट्टानों का रहस्यसमुद्री पानी के नीचे छुपी चट्टानों को सीमाउंट (Seamounts) कहा जाता है। ये समद्र के तल के भी नीचे से पैदा होते हैं लेकिन सतह को फोड़कर बाहर नहीं आते हैं। इससे पहले की तकनीकी की बात करें तो अगर इन चट्टानों की ऊंचाई 3,300 फीट से कम होती थी तो इन्हें पहचानना मुश्किल होता था। लेकिन अब सैटेलाइट मैपिंग की मदद से इन्हें पहचान पाना बहुत आसान हो गया है।
वैज्ञानिक इसके लिए गुरुत्वाकर्षण के धक्कों पर फोकस करते हैं। जो डेटा निकलता है वो इनकी स्थिति को बताता है। इसी डेटा के आधार पर सामने आया है कि समुद्र के नीचे मौजूद पर्वतों की संख्या अब 44 हजार से बढ़कर 1 लाख हो गई है। यह तकनीक ग्रेविटी पर निर्भर करती है, न कि कैमरा पर। चूँकि समुद्री पर्वतों और अथाह पहाड़ियों का द्रव्यमान (mass) आस-पास के समुद्र तल से ज़्यादा होता है, इसलिए वे अपने ऊपर के समुद्र पर थोड़ा ज़्यादा खींचती हैं। यही खिंचाव या उठाव पानी की सतह पर छोटी-छोटी लहरें बनाता है जो कभी-कभी सिर्फ़ कुछ सेंटीमीटर ऊँची होती हैं। SWOT सैटेलाइट इन महीन बदलावों का पता लगाता है और उन्हें डिटेल्ड मैप में बदल देता है जो नीचे मौजूद चीजों की रूपरेखा बनाता है।
ये अथाह पहाड़ियाँ धरती पर सबसे ज्यादा मात्रा में पाई जाने वाली भू-आकृति हैं जो समुद्र तल के लगभग 70% हिस्से को कवर करती हैं। पानी के नीचे ये पहाड़ियाँ ढलान बनाती हैं जहाँ धाराएँ धीमी हो जाती हैं और इसी दौरान पोषक तत्वों को छोड़कर जाती हैं। पोषक तत्वों से भरपूर ये क्षेत्र प्लवक, मछली और गहरे समुद्र के कोरल के लिए इकट्ठा होने की जगह बन जाते हैं। यहाँ तक कि समुद्र के सबसे अंधेरे हिस्सों में भी ये संरचनाएँ जीवन के लिए चुंबक की तरह काम करती हैं।