अमेरिकी स्पेस एजेंसी NASA के पास बहुत से पावरफुल टेलीस्कोप हैं जो वैज्ञानिकों की धरती से दूर के वातावरण को बेहतर तरीके से समझने में मदद करते हैं। NASA ने एक इमेजिंग X-ray पोलरिमेटरी एक्सप्लोरर (IXPE) कहा जाने वाला एक नया टेलीस्कोप लॉन्च किया है। इससे वैज्ञानिकों को ब्लैक होल के अंदर के वातावरण की बेहतर समझ मिल सकेगी। इसके साथ ही यह अंतरिक्ष में अधिक एनर्जी वाले ऑब्जेक्ट्स की जांच भी करेगा।
इस टेलीस्कोप की घोषणा सबसे पहले 2017 में की गई थी। यह पोलराइजेशन को समझने की क्षमता रखने वाला पहला X-ray टेलीस्कोप होगा। X-ray इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन से बनी हाई-एनर्जी लाइट वेव्स होती हैं। हम अपने आसपास जो लाइट देखते हैं वह अनपोलराइज्ड होती है, जिसका मतलब है कि वह इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक एनर्जी से बनती है जिसकी कोई विशेष दिशा नहीं होती। इसके विपरीत, पोलराइज्ड लाइट में इलेक्ट्रिक और मैग्नेटिक एनर्जी एक विशेष दिशा में जाती है। पोलराइज्ड लाइट महत्वपूर्ण है क्योंकि यह मैग्नेटिक फील्ड्स और केमिकल मेकअप की जानकारी दे सकती है।
NASA ने अमेरिका के
SpaceX की ओर से डिवेलप किए गए
Falcon 9 रॉकेट पर IXPE टेलीस्कोप गुरुवार को लॉन्च किया। SpaceX ने इसके लॉन्च का एक वीडियो ट्वीट किया है। IXPE में तीन टेलीस्कोप हैं जो लाइट की विशेषताओं की निगरानी और उन्हें मापने में मदद करेंगे। इनमें लाइट की दिशा, पहुंचने का समय, एनर्जी और पोलराइजेशन शामिल हैं। MIT Technology Review की
रिपोर्ट के अनुसार, IXPE अगले दो वर्ष तक अंतरिक्ष में 50 से अधिक सबसे अधिक एनर्जी वाले ऑब्जेक्ट्स की स्टडी करेगा। इनमें ब्लैक होल भी शामिल है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि IXPE न्यूट्रॉन स्टार्स और ब्लैक होल के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध करा सकता है। हालांकि, NASA के फ्लैगशिप X-ray टेलीस्कोप चंद्रा ऑब्जरवेटरी से IXPE का साइज कम है। NASA अगले साल की शुरुआत में चंद्रमा पर अपना पहला आर्टेमिस मिशन लॉन्च कर रही है, जो कई मायनों में खास होने वाला है। कॉमिक स्ट्रिप, 'पीनट्स' का मशहूर और दिल को छू लेने वाला कैरेक्टर 'स्नूपी' इस मिशन का हिस्सा होगा, यानी वो चंद्रमा पर जाएगा। स्नूपी चार दशकों से अधिक से NASA के साथ जुड़ा है। अपोलो युग के बाद से यह स्पेस क्राफ्ट की सुरक्षा के लिए एक मैस्कट यानी शुभंकर भी रहा है। 1969 में अपोलो 10 मिशन के दौरान लूनार मॉड्यूल का निकनेम "स्नूपी" था, क्योंकि उसका काम अपोलो 11 मिशन के लिए लैंडिंग साइट खोजने के लिए चंद्रमा की सतह के चारों ओर देखना था।
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