NASA के James Webb Space Telescope से मिले नए डेटा में ब्रह्मांड के सबसे पुराने तारों के संकेत मिले हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये तारे बिग बैंग के तुरंत बाद बने Population III stars हो सकते हैं।
Photo Credit: NASA, ESA, CSA, STScI, Jose Diego (IFCA), Jordan D'Silva (UWA), Anton Koekemoer (STScI)
NASA के वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के सबसे पुराने तारों को लेकर अब तक का सबसे मजबूत संकेत मिला है। जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप यानी JWST की मदद से ऐसे बेहद पुराने तारे देखे जाने की संभावना जताई जा रही है, जो बिग बैंग के ठीक बाद बने थे। ये तारे LAP1-B नाम की एक बेहद दूरस्थ गैलेक्सी में मौजूद बताए जा रहे हैं, जो पृथ्वी से करीब 13 अरब लाइट ईयर दूर है। इस स्टडी के मुताबिक, अगर यह पुष्टि होती है तो यह पहली बार होगा जब वैज्ञानिक Population III यानी ब्रह्मांड की पहली पीढ़ी के तारों को सीधे तौर पर डिटेक्ट कर पाएंगे।
यह दावा हाल ही में The Astrophysical Journal Letters में पब्लिश हुई एक रिसर्च में किया गया है। रिसर्च टीम की अगुवाई एस्ट्रोनोमर Eli Visbal ने की है। वैज्ञानिकों का कहना है कि JWST के इंफ्रारेड स्पेक्ट्रम में ऐसे संकेत मिले हैं, जो बेहद ताकतवर अल्ट्रावॉयलेट रेडिएशन दिखाते हैं। ये रेडिएशन आम तारों की तुलना में कहीं ज्यादा है और यह इशारा करता है कि ये तारे सूरज से करीब 100 गुना ज्यादा भारी हो सकते हैं।
रिसर्च के मुताबिक, LAP1-B गैलेक्सी उन तीन अहम थ्योरी कंडीशन्स पर खरी उतरती है, जो Population III तारों के बनने के लिए जरूरी मानी जाती हैं। इनमें पहला, बेहद कम मेटलिसिटी वाला वातावरण, यानी जहां सिर्फ हाइड्रोजन और हीलियम मौजूद हों। दूसरा, कम द्रव्यमान वाले स्टार क्लस्टर, जिनमें गिने-चुने लेकिन बेहद बड़े तारे हों। तीसरा, इनिशियल मास फंक्शन से जुड़ी मैथमेटिकल कंडीशन्स का पूरा होना।
Eli Visbal ने Space.com से बातचीत में कहा कि अगर ये सच में Pop III तारे हैं, तो यह एक ऐतिहासिक खोज होगी। उनके मुताबिक, “इन आदिम तारों को देखने के लिए JWST की जबरदस्त सेंसिटिविटी जरूरी थी। इसके साथ ही हमारे और LAP1-B के बीच मौजूद एक गैलेक्सी क्लस्टर की ग्रैविटेशनल लेंसिंग ने करीब 100 गुना मैग्निफिकेशन दिया, जिससे यह डिटेक्शन संभव हो सका।”
वैज्ञानिक मानते हैं कि ये प्राचीन तारे बाद में बनने वाली बड़ी गैलेक्सीज के बिल्डिंग ब्लॉक्स हो सकते हैं। मौजूदा थ्योरी के अनुसार, बिग बैंग के बाद जब हाइड्रोजन और हीलियम ने डार्क मैटर के साथ मिलकर संरचनाएं बनाईं, तब ऐसे विशाल तारे बने, जो सूरज से लाखों गुना भारी और अरबों गुना ज्यादा चमकीले थे।
अब रिसर्च टीम का अगला फोकस Pop III से Pop II यानी दूसरी पीढ़ी के तारों में हुए बदलाव को समझना है। Eli Visbal के मुताबिक, इसके लिए और ज्यादा डिटेल्ड सिमुलेशंस किए जाएंगे ताकि यह देखा जा सके कि LAP1-B जैसे ऑब्जेक्ट्स का स्पेक्ट्रम इन थ्योरीज से कितना मेल खाता है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि LAP1-B शायद सिर्फ शुरुआत हो और ग्रैविटेशनल लेंसिंग की मदद से भविष्य में ऐसे और भी प्राचीन तारों की खोज हो सकती है।
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