जानवरों में कुत्तों को इन्सानों का सबसे करीबी साथी माना जाता है जो उसकी भावनाओं को समझ सकता है। कहा जाता है कि कुत्ते का दिमाग उसके आसपास की परिस्थितियों के अनुसार ही काम करता है। यह कई रिसर्च में सिद्ध भी किया जा चुका है। अब कुत्तों के दिमाग से जुड़ी एक और स्टडी सामने आई है। जिसमें कहा गया है कि गुजरते समय के साथ कुत्तों का दिमाग बड़ा हो गया है। यानि हजारों सालों पहले मौजूद ब्रीड के मुकाबले आधुनिक समय में कुत्तों की ब्रीड में बड़ा दिमाग पाया गया है। आइए जानते हैं क्या कहती है ये स्टडी।
हंगरी में शोधकर्ताओं ने एक स्टडी जारी की है जो कि
ELTE फैकल्टी ऑफ साइंस ऑफ हंगरी की ओर से जारी की गई है। इसमें बताया गया है कि कैसे बीतते समय के साथ कुत्तों के दिमाग का विकास हुआ है और यह साइज में बड़ा भी हो गया है। शोधकर्ताओं ने कहा है कि भेड़ियों से जेनेटिक रूप से बहुत अलग, कुत्तों की नस्लों में अब बड़े साइज का दिमाग पाया जा रहा है, जो कि हजारों साल पहले की नस्लों में नहीं था।
यहां पर ये भी कहा गया है कि
दिमाग के बढ़ते साइज का कारण शहरीकरण और जटिल सामाजिक वातावरण से प्रभावित हो सकता है। वर्तमान में कुत्तों की 400 से ज्यादा ब्रीड मौजूद हैं जो पिछले कुछ समय में तेजी से विकसित हुई हैं और जिनमें काफी विविधता मौजूद है। वैज्ञानिकों के लिए प्रजाति के भीतर इतना ज्यादा बदलाव काफी रोचक विषय है। वैज्ञानिक इसे जानने के लिए काफी लम्बे समय से उत्सुक रहे हैं कि आखिर वे कौन से कारक हैं जो दिमाग के आकार को प्रभावित करते हैं।
इसके लिए वैज्ञानिकों ने अलग अलग ब्रीड के
कुत्तों की जीवनशैली को स्टडी किया। इसे लेकर स्टॉकहॉम यूनिवर्सिटी में दिमाग के विकास को स्टडी करने वाले शोधकर्ता निकलास कॉम ने कहा कि अलग अलग डॉग ब्रीड अलग अलग सामाजिक जटिलताओं में रहती हैं और पेचीदा काम भी करती हैं। वे अलग अलग तरह के टास्क करते हैं। इसके लिए उनको दिमाग के घोड़े दौडा़ने पड़ते हैं। जाहिर है, इसके लिए उनको बड़ी दिमागी क्षमता भी चाहिए होती है। इससे माना गया कि दिमाग पर इस तरह का दबाव बनने से उसके आकार में परिवर्तन आया है। यह अलग अलग समाजों में रहने वाली ब्रीड के लिए अलग अलग हो सकता है।